रक्षा में कुर्बान होनेवाला ही सिख : डॉ जसपाल

जमशेदपुर: श्री गुरु गोबिन्द सिंह जी के 350वें प्रकाश पर्व को समर्पित बिष्टुपुर माइकल जॉन सभागार में सर्व धर्म सम्मेलन के ‘आपे गुर चेला’ विषय पर आयोजित सेमिनार में पंजाबी विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ जसपाल सिंह ने कहा कि विविधता की रक्षा की खातिर कुर्बानी देने को तैयार रहनेवाला ही सिख है. गुरु गोबिन्द सिंह […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 12, 2017 8:15 AM
जमशेदपुर: श्री गुरु गोबिन्द सिंह जी के 350वें प्रकाश पर्व को समर्पित बिष्टुपुर माइकल जॉन सभागार में सर्व धर्म सम्मेलन के ‘आपे गुर चेला’ विषय पर आयोजित सेमिनार में पंजाबी विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ जसपाल सिंह ने कहा कि विविधता की रक्षा की खातिर कुर्बानी देने को तैयार रहनेवाला ही सिख है. गुरु गोबिन्द सिंह जी के परदादा गुरु अर्जुन देव, पिता गुरु तेग बहादुर, मां गुजरी जी, चारों बेटे की शहादत का जिक्र करते हुए कहा कि गुरुजी तो देश को चमन बनाना चाहते थे. चमन एक फूल अथवा एक रंग से नहीं बनता है.
विविधता,बहुलता, अनेकता प्रकृति की देन है. श्री गुरुग्रंथ साहिब में गुरुओं की वाणी का जिक्र करते हुए कहा कि जब भी विभिन्नता पर खतरा होगा तो खालसा इसके खिलाफ खड़ा रहेगा. उन्होंने सिखों को सचेत करते हुए कहा कि मुगलों के अत्याचार को इस्लाम से जोड़ना गलत है. जफरनामा को उद्धृत करते हुए कहा कि इसे पढ़ें तो सच सामने आ जायेगा. गुरुजी ने औरंगजेब को जफरनामा लिख कहा था कि मैं अल्लाह की पनाह में हूं बता तेरा-मेरा क्या मुकाबला है. न तो तू हारा दीन (धर्म) है ना ही तुम मुसलमान हो. विभिन्नता ही दुनिया की खूबसूरती है.

मुगल अलग-अलग धर्म, भाषा को खत्म करना चाह रहे थे. जबकि गुरुजी देश की बहुलता, अनेकता, विविधिता को बचाना चाहते थे. उन्होंने कहा कि गुरु तेग बहादुर दुनिया का पहला उदाहरण हैं जिन्होंने दूसरों के धर्म को बचाने की खातिर खुद को कातिल के हवाले कर दिया. उन्होंने गुरु नानक देव जी, गुरु गोबिन्द सिंह की वाणी एवं श्री गुरुग्रंथ साहिब को उद्धृत करते हुए कहा कि दूसरों की पहचान को स्वीकार करना, उसे आदर देना और फिर उसकी रक्षा करना ही मानवता है. गुरु गोबिन्द सिंह की रचना में विविध राष्ट्रवाद के आदर का उल्लेख किया.

साका सर हिन्द दूसरी करबला : डॉ नसर नकवी
डाॅ नसर नकवी ने साका सरहिन्द में गुरु गोबिन्द सिंह के नौ साल के जोरावर सिंह एवं सात साल के फतेह सिंह को जीवित दीवार में चुनकर शहादत की घटना को दूसरी करबला बताया. उनके अनुसार सन 680 में पैंगबर के नवासे दीन बचाने के लिए करबला में शहीद हुए थे. डॉ नकवी ने खुद को सूफी संत भीखण शाह का वंशज बताया. उनके अनुसार कुरान पाक की तीन आयत में है कि किसी दूसरे दीन को तंग मत करो, मेरी जमीन पर फसाद मत करो और वे हमेशा जिन्दा रहते हैं जो अल्लाह की राह पर शहादत देते हैं. औरंगजेब ने तो दो आयतें भी पूरी नहीं की.
राष्ट्रवाद की खातिर किया बदलाव : एसएस पाहवा
हरियाणा के एसएस पाहवा के अनुसार गुरु तेग बहादुर की शहादत से बात नहीं बनी तो गुरु जी ने 1699 की बैसाखी में बदलाव कर खालसा पंथ सजाया. तीन घटना का जिक्र यथा तीन दिन बाद बैणी नदी से गुरु नानक का बाहर आना, 1699 की बैसाखी में पंडाल के अंदर गुरुजी और शिष्यों और नांदेड़ की धरती पर कमरे में माधव दास बैरागी और गुरु जी के बीच की घटना किया. उनके अनुसार इन तीन घटनाओं ने देश की तस्वीर बदल डाली. पंजाब में मुगलों का मटियामेट कर खालसा राज्य की स्थापना बंदा सिंह बहादुर ने कर दी.

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