सुप्रीम काेर्ट ने खारिज किया हाइकाेर्ट का फैसला, उद्यमियों को देना होगा बकाया इंट्री टैक्स
जमशेदपुर. झारखंड के व्यवासयियाें काे इंट्री टैक्स (प्रवेश कर) देना हाेगा. विभाग ने वर्ष 2002 से बकाया इंट्री टैक्स की गणना आरंभ कर दी है. इस संबंध में सुप्रीम काेर्ट के फैसले के बाद उद्याेगपतियाें के पास अब आैर काेई रास्ता नहीं रहा है. इंट्री टैक्स लागू हाेने का उद्योग जगत पर व्यापक असर पड़ेगा. […]
जमशेदपुर. झारखंड के व्यवासयियाें काे इंट्री टैक्स (प्रवेश कर) देना हाेगा. विभाग ने वर्ष 2002 से बकाया इंट्री टैक्स की गणना आरंभ कर दी है. इस संबंध में सुप्रीम काेर्ट के फैसले के बाद उद्याेगपतियाें के पास अब आैर काेई रास्ता नहीं रहा है. इंट्री टैक्स लागू हाेने का उद्योग जगत पर व्यापक असर पड़ेगा. सुप्रीम काेर्ट ने अपने आदेश में झारखंड हाइकाेर्ट के फैसले काे रद्द करते हुए इंट्री टैक्स की वसूली को सही ठहराया है.
सुप्रीम काेर्ट की नाैवीं बेंच की जज ने इस मामले की सुनवाई के बाद अग्रेतर सुनवाई के लिए खंडपीठ काे स्थानांतरित कर दिया. इस मामले में अब राज्य सरकार द्वारा खंडपीठ के समक्ष एफिडेविट फाइल किया जायेगा. वहीं उद्यमियाें-उद्याेगपतियाें काे इस बात की चिंता सता रही है कि अब 16 साल से खरीदे गये-बेचे-इस्तेमाल किये गये उत्पादों पर बकाया टैक्स का भुगतान करना हाेगा.
काेर्ट के फैसले के बाद यदि प्रवेश कर लागू किया जाता है, तो इसका उद्याेग-जगत पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा.
मानव केडिया, उपाध्यक्ष, सिंहभूम चेंबर
इंट्री टैक्स के मामले में सरकार काे काउंटर एफिडेविट फाइल करना है. कुछ बिंदुआें पर विभाग ने जवाब मांगा है, जिसकी तैयारी की जा रही है. झारखंड से लगभग 82 लाेगाें ने एसएलपी दायर की थी.
जय प्रकाश टाेप्पाे, संयुक्त आयुक्त
सभी व्यापारी संगठन ग्लाेबल समिट में लगे हुए हैं. यह मामला संज्ञान में आया है. मुख्य सचिव से माैखिक चर्चा हुई है. समिट के बाद इस पर बैठ कर बात हाेगी, इसका हल निकलेगा.
इंदर अग्रवाल, अध्यक्ष, एसिया