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रतन टाटा और चंद्रशेखरन ने लिया संज्ञान : मामले की आंतरिक जांच करायी गयी, होगी कार्रवाई टायो बंद करने में फंसेंगे कई अधिकारी

जमशेदपुर : टाटा स्टील की ओर से संचालित टायो रोल्स को बंद करने के मामले में कई अधिकारी फंस सकते हैं. इसको लेकर टाटा स्टील के कुछ वरीय अधिकारियों पर गाज गिर सकती है. टाटा संस के एमिरट्स चेयरमैन रतन टाटा और चेयरमैन एन चंद्रशेखरन ने इस मामले में संज्ञान लिया है. टायो रोल्स को […]

जमशेदपुर : टाटा स्टील की ओर से संचालित टायो रोल्स को बंद करने के मामले में कई अधिकारी फंस सकते हैं. इसको लेकर टाटा स्टील के कुछ वरीय अधिकारियों पर गाज गिर सकती है. टाटा संस के एमिरट्स चेयरमैन रतन टाटा और चेयरमैन एन चंद्रशेखरन ने इस मामले में संज्ञान लिया है. टायो रोल्स को बंद करने को लेकर कर्मचारियों के दो प्रतिनिधियों अजय शर्मा और संतोष सिंह ने तीन मार्च के संस्थापक दिवस के दौरान ही बिष्टुपुर गोलचक्कर पर उनसे मुलाकात की थी और अपनी बातों को लिखित तौर पर रतन टाटा और एन चंद्रशेखरन को सौंपा था.
टायो बंद होने से टाटा घराने की साख पर असर पड़ा
चाहे कोरस का मामला रहा हो या टायो का, अब तक टाटा घराना बंद कंपनियों को चालू कराने के लिए जाना जाता रहा है. पूर्व चेयरमैन सायरस मिस्त्री के कार्यकाल में कोरस को बेचने का फैसला लिया गया वहीं टायो जैसी कंपनी नहीं चल पायी जबकि स्टील कंपनियों के लिए रोल्स का बिजनेस साथ- साथ ही चलता है. ऐसे में कंपनी बंद कैसे हो सकती है, इस पर सवाल उठाये गये थे. इसकी आंतरिक जांच करायी गयी है, जिसमें कुछ अधिकारियों को गैर जिम्मेवार पाया गया है. ऐसे वरिष्ठ अधिकारी पर एक मई तक कार्रवाई की बात बतायी जा रही है. हालांकि, इसको लेकर कोई भी ठोस जानकारी देने से बच रहा है.
300 करोड़ के घोटाले के आरोप की हुई जांच
टायो संघर्ष समिति ने गम्हरिया स्थित टायो रोल्स में 300 करोड़ का वित्तीय घोटाला होने और इसे छिपाने के लिए प्रबंधन द्वारा आनन-फानन में कंपनी बंद करने की कोशिश करने का आरोप लगाते हुए रतन टाटा को ज्ञापन सौंपा था और कंपनी बंद होने के कारणों के बारे में जानकारी दी थी. जिसमें कहा था कि प्रबंधन घोटाले को छिपाने के लिए 674 कर्मियों के भविष्य से खिलवाड़ कर रहा है. समिति का आरोप है कि कंपनी में 300 करोड़ का निवेश किया जाना था. लेकिन मशीन की खरीद में 169 करोड़ की गड़बड़ी हुई है. 10 करोड़ से प्रोड्यूसर गैस प्लांट लगा. कुछ दिन ऑपरेशन के बाद उसका उपयोग रुक गया. 40 लाख से स्पंज आयरन फीडर प्रोजेक्ट लगा. लगभग 35 लाख की लागत से इंडक्शन फर्नेस के लिए ट्रांसफाॅर्मर मंगवाया गया, लेकिन इसमें ऑटो चार्जर ही नहीं था. एक करोड़ की लागत से 60 टन की क्षमता वाली क्रेन मंगवाई गयी, जो अब बेकार पड़ी है. यह भी बताया गया था कि जेएसइबी से एनओसी लिए बगैर जुस्को से बिजली ली गयी. कंपनी को 217 करोड़ का बिल आया है. 4 करोड़ का गोलमाल री ट्रीटमेंट फर्नेस में हुआ. 3 करोड़ की गड़बड़ी नाली सफाई और मरम्मत के नाम पर की गयी.

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