सरहुल पर प्राइवेट स्कूलों को बंद कराने की कोशिश
जमशेदपुर: सरहुल को लेकर सभी सरकारी प्रतिष्ठानों में छुट्टी थी, लेकिन शहर के प्राइवेट स्कूल चल रहे थे. यहां प्रबंधन की अोर से छुट्टी नहीं दी गयी थी. इसे लेकर आदिवासी छात्र एकता से जुड़े नेता सुबह-सुबह लोयोला स्कूल पहुंचे. यहां सभी ने स्कूल गेट जाम कर दिया. इसके वजह से अभिभावकों व शिक्षकों से […]
जमशेदपुर: सरहुल को लेकर सभी सरकारी प्रतिष्ठानों में छुट्टी थी, लेकिन शहर के प्राइवेट स्कूल चल रहे थे. यहां प्रबंधन की अोर से छुट्टी नहीं दी गयी थी. इसे लेकर आदिवासी छात्र एकता से जुड़े नेता सुबह-सुबह लोयोला स्कूल पहुंचे. यहां सभी ने स्कूल गेट जाम कर दिया. इसके वजह से अभिभावकों व शिक्षकों से छात्र नेताओं के बीच थोड़ी देर के लिए बहस भी हुई. इधर, डीबीएमएस इंग्लिश स्कूल अौर जेएच तारापोर स्कूल को भी बंद कराने की कोशिश की गयी. दोनों स्कूल प्रबंधन से सरहुल में छुट्टी रखने की बात कही गयी. इसके बाद जेएच तारापोर स्कूल ने 10 बजे बच्चों को छुट्टी दे दी.
लोयोला स्कूल में हंगामे के बीच सभी छात्र व शिक्षक स्कूल के अंदर जाना चाह रहे थे, लेकिन छात्र नेता सरहुल की छुट्टी का हवाला दे उन्हें रोक रहे थे. स्कूल की गेट पर उत्पन्न स्थिति की जानकारी स्कूल प्रबंधन ने बिष्टुपुर पुलिस को दी. इसके बाद पुलिस मौके पर पहुंची अौर बच्चों व शिक्षकों को स्कूल के अंदर जाने दिया गया. इसके बाद आदिवासी छात्र एकता के अध्यक्ष जोसाई मार्डी ने प्रिंसिपल फादर सेबेस्टियन से मुलाकात की. इस दौरान उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया में पर्यावरण संरक्षण की बात हो रही है, दुनिया के लिए यह सबसे बड़ा मुद्दा बन कर उभर रहा है. लेकिन प्राइवेट स्कूलों में बच्चों को इससे दूर रखा जा रहा है.
सरहुल क्या है अौर किस प्रकार यह प्रकृति से जुड़ा है, इसकी जानकारी उन्हें तब होगी जब प्राइवेट स्कूल इस पर्व का सम्मान करेंगे. इसके बाद प्रिंसिपल फादर सेबेस्टियन ने कहा कि डीसी की अोर से स्कूल बंदी को लेकर किसी प्रकार का कोई नोटिस नहीं मिला था. अगर मिलता तो जरूर किया जाता. जहां तक बात इस पर्व की जानकारी देने की है, तो बच्चों को इस पर्व की जानकारी देने के लिए एक व्यक्ति को बुलाया गया था, लेकिन गेट पर हंगामे की वजह से वे लौट गये. हालांकि प्रिंसिपल ने अगली बार सरहुल पर छुट्टी देने का भरोसा दिया. आदिवासी छात्र एकता के इंद्र हेंब्रम, राजेश कुमार, तिलका मार्डी, हरिराम टुडू, तपन सरदार, नंदलाल सरदार, गुरुचरण सोरेन, राम हांसदा, विक्रम किस्कू, अर्जुन आदि स्कूल बंद कराने निकले थे.