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लाइव फोनिंग प्रोग्राम भी संदेह के घेरे में

चाईबासा. चाईबासा रेडियो सेंटर द्वारा रीजनल ऑफिस से मिले फिक्स प्वाइंट चार्ट में स्थानीय स्तर पर एक साल के भीतर कई दफा किये गये बदलाव भी अब प्रबंधन के गले की फांस बनता जा रहा है. क्योंकि इस बदलाव को लेकर रीजनल कार्यालय कोलकाता से किसी तरह का एप्रूवल नहीं लिया गया है, जो नक्सलियों […]

चाईबासा. चाईबासा रेडियो सेंटर द्वारा रीजनल ऑफिस से मिले फिक्स प्वाइंट चार्ट में स्थानीय स्तर पर एक साल के भीतर कई दफा किये गये बदलाव भी अब प्रबंधन के गले की फांस बनता जा रहा है. क्योंकि इस बदलाव को लेकर रीजनल कार्यालय कोलकाता से किसी तरह का एप्रूवल नहीं लिया गया है, जो नक्सलियों को संदेश प्रसारण करने के मामले में एक अहम कड़ी पुलिस के लिए साबित हो सकती है.

इस दिशा में जांच कर रही पुलिस को यह भी सबूत मिले हैं कि फिक्स प्वाइंट चार्ट में स्थानीय स्तर पर फेरबदल करते हुए हो भाषा के कार्यक्रम को कई दफा सुबह के स्लॉट में विशेष दिन व तारीख में चलाया गया था. जबकि स्थानीय स्तर पर फिक्स प्वाइंट चार्ट बनने के बाद इसे एप्रूवल के लिए कोलकाता रीजनल कार्यालय भेजा जाता है.

जिसमें अमूमन बदलाव नहीं होता है. लेकिन बताया जा रहा है कि इस चार्ट में समय-समय किये गये बदलाव की कोई जानकारी रीजनल कार्यालय को नहीं दी गयी है. यहां तक की कार्यक्रमों में फेरबदल के लिये मंजूरी भी नहीं ली गयी है. इसके अलावा फिक्स प्वाइंट चार्ट में नहीं रहने के बावजूद टेलीफोनिक वार्ता के भी कई कार्यक्रम चलाये गये हैं. यह कार्यक्रम भी संदेह के घेरे में बताये जा रहे हैं. इन सभी कार्यक्रमों की जानकारी रीजनल कार्यालय को दी गयी है या नहीं इसका अब खुलासा नहीं हो पाया है. हालांकि यह तो साफ है कि टेलीफोनिक लाइव कार्यक्रम का रिकॉर्ड नहीं रखा गया है. जिसके कारण रेडियो प्रबंधन इसे दिखा पाने में असमर्थ है.

एंकरों से अलग-अलग होगी पूछताछ
रेडियो प्रबंधन द्वारा कार्यक्रम व एंकरों की सूची उपलब्ध कराने के बाद पुलिस अब अलग-अलग तरीके से इनसे पूछताछ की तैयारी कर रही है. पुलिस सूत्रों के मानें तो पूछताछ के लिए कई प्वाइंट निर्धारित किये गये हैं. एंकरों व कर्मचारियों से यह पूछा जायेगा कि क्या किसी कर्मचारी ने उनके डायलॉग पूर्व निर्धारित किये थे. डायलॉग के संदेश प्रसारण के दौरान उन्हें किन्हीं शब्दों पर संदेह हुआ था. दूसरे एंकरों के लाइव शो के दौरान क्या चीजें उनके नजरों में खटकी थी. रिकॉर्डिंग कार्यक्रम बंद क्यों किया गया. लाइव कार्यक्रमों से क्या कोई फायदा हुआ. किनके कहने पर फिक्स प्वाइंट चार्ट में फेरबदल किया गया. किस भाषा के कार्यक्रमों का कुछ विशेष समय तय किया जाना सभी लोगों को खटका. क्या विरोध के बावजूद प्रबंधन किसी के दबाव में उन्हें बदल तो नहीं रहा था. इसी तरह की कई और सवालों की पुलिस ने सूची तैयारी की है.

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