मंगल माझी को अकादमी पुरस्कार
जमशेदपुर: परसुडीह, हलुदबनी के रहनेवाले मंगल माझी को साहित्य अकादमी अनुवाद पुरस्कार 2014 मिला है. यह पुरस्कार मंगल माझी को उनकी पुस्तक ‘मोलोंग ओनोल’ के लिए दिया जा रहा है, जो मूल बांग्ला भाषा के लेखक हराधन अधिकारी द्वारा लिखित उपन्यास ‘भाग्य चक्र ’ का संताली अनुवाद है. सोमवार को साहित्य अकादमी अनुवाद पुरस्कार 2014 […]
जमशेदपुर: परसुडीह, हलुदबनी के रहनेवाले मंगल माझी को साहित्य अकादमी अनुवाद पुरस्कार 2014 मिला है. यह पुरस्कार मंगल माझी को उनकी पुस्तक ‘मोलोंग ओनोल’ के लिए दिया जा रहा है, जो मूल बांग्ला भाषा के लेखक हराधन अधिकारी द्वारा लिखित उपन्यास ‘भाग्य चक्र ’ का संताली अनुवाद है.
सोमवार को साहित्य अकादमी अनुवाद पुरस्कार 2014 के लिए कुल 24 भाषाओं के अनुवादकों के नामों की घोषणा साहित्य अकादमी मुख्यालय नयी दिल्ली में की गयी. टिस्को से सेवानिवृत्त श्री माझी पिछले 30 साल से भाषा-साहित्य व समाज की सेवा में लगे हैं.
कौन हैं मंगल माझी
मंगल माझी मूल रूप से पोटका क्षेत्र के धिरोल गांव के रहने वाले हैं. टिस्को में नौकरी की वजह से शहर आ गये. उनका जन्म गरीब कृषक परिवार में 23 जनवरी 1947 को हुआ था. मिडिल स्कूल की पढ़ाई मानपुर स्कूल से हुई. हाइस्कूल की पढ़ाई परसुडीह श्याम प्रसाद स्कूल से और इंटरमीडिएट की पढ़ाई पूरी की वर्कर्स कॉलेज से. वहीं से बीकॉम व एमकॉम की भी पढ़ाई पूरी की. 1964 में मैट्रिक पास करने के बाद अप्रैंटिस किया. 1968 में टिस्को ज्वाइन किया.
जनजातीय पुस्तक विक्रेता की है पहचान
मंगल माझी एक पुस्तक विक्रेता हैं. परसुडीह स्थिति चतुर्वेदी कॉम्प्लेक्स में 1997 से आदिम बुक स्टोर चला रहे हैं. वर्ष 2004 में नौकरी से सेवानिवृत्त होने के बाद पूर्ण रूप से इसी कार्य में लग गये. साकची टैगोर सोसाइटी द्वारा आयोजित पुस्तक मेला में 1997 से ही स्टॉल लगा कर जनजातियों का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं. श्री माझी की पहचान जनजातीय पुस्तक विक्रेता के रूप में ही है.