सुकमा नक्सली हमला : रॉकेट लांचर से एक हाथ हुआ नाकाम, दूसरे हाथ से रायफल उठा फायरिंग की

जमशेदपुर : छत्तीसगढ़ के सुकमा में सोमवार को हुए नक्सली हमले में सीआरपीएफ के बहादुर जवानों ने दिलेरी दिखायी. भले ही गोलियां खायीं, लेकिन जख्मी हालत में भी नक्सलियों से लोहा लेते रहे. जवान लच्छु उरांव झारखंड के गुमला के रहनेवाले हैं. उनका एक हाथ नक्सलियों द्वारा दागे गये रॉकेट लांचर से नाकाम हो गया. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 26, 2017 6:42 AM
जमशेदपुर : छत्तीसगढ़ के सुकमा में सोमवार को हुए नक्सली हमले में सीआरपीएफ के बहादुर जवानों ने दिलेरी दिखायी. भले ही गोलियां खायीं, लेकिन जख्मी हालत में भी नक्सलियों से लोहा लेते रहे. जवान लच्छु उरांव झारखंड के गुमला के रहनेवाले हैं. उनका एक हाथ नक्सलियों द्वारा दागे गये रॉकेट लांचर से नाकाम हो गया. उन्होंने दूसरे हाथ से रायफल उठायी और लगातार फायरिंग करते हुए बढ़ते गये. नक्सलियों से लोहा लेते हुए अपने साथियों तक मदद पहुंचायी.
रायपुर के बालाजी अस्पताल में भरती लच्छु उरांव को जब सीटी स्कैन के लिए ले जाया जा रहा था तो मीडिया से बातचीत के दौरान उन्होंने घटना का ब्योरा साझा किया. लच्छु ने बताया कि नक्सलियों की हमला करने की योजना पहले से थी, कुछ हरकत भी हो रही थी.
हमारे बटालियन के जवान सब बैठे हुए थे. अचानक से एक ग्रेनेड हमारे पास गिरा. उसने कई जवानों को चपेट में ले लिया. मेरे हाथ में ग्रेनेड का स्पलिंटर लगा. मेरा एक हाथ काम करना बंद कर चुका था. लेकिन, मेेरे कई साथी मारे जा चुके थे. मैंने एक हाथ से ही वहां से रायफल उठायी, और जो नक्सली हमलोगों पर फायरिंग कर रहे थे, उन्हें मारते हुए मैं भागा. वहां से मैं दूसरी कंपनी के बंकर के पास पहुंचा और काफी जवानों को लेकर फिर इधर आया. तब तक नक्सली बटालियन को बहुत नुकसान पहुंचा दिया था.
उसके बाद लच्छु बेहोश हो गये. अब उनकी स्थिति पहले से बेहतर है. लच्छु उरांव ने बताया कि उनके घरवाले यहां आना चाहते थे, लेकिन मैंने ही उन्हें मना किया कि सब ठीक है, परेशान न हों. लच्छु पिछले 11 साल से सीआरपीएफ में हैं. उनकी पहली पोस्टिंग जम्मू में थी. पिछले चार साल से छत्तीसगढ़ में हैं. लेकिन, छत्तीसगढ़ जम्मू से भी ज्यादा खतरनाक है. छत्तीसगढ़ में पोस्टिंग के दौरान नक्सलियों से यह उनकी चौथी मुठभेड़ थी. अस्पताल में घायल जवानों को देखने पहुंचे सीआरपीएफ के डीजी ने लच्छु उरांव की बहादुरी के लिए उन्हें शाबाशी दी और कहा -घबराने की बात नहीं है.

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