केबुल कंपनी खोलने के लिए एनसीएलटी में याचिका दायर, टाटा स्टील अकेला बिडर, जल्द फैसले की उम्मीद

जमशेदपुर: केबुल कंपनी (इंकैब इंडस्ट्रीज) को खोलने को लेकर अंतरिम मैनेजमेंट कमेटी के सदस्य आरबी सिंह ने एनसीएलटी में मामला दायर किया है. भारत सरकार ने एनसीएलटी का गठन बायफर व आयफर को बंद कर किया है. कोलकाता स्थित एनसीएलटी के ब्रांच में आरबी सिंह की ओर से मंगलवार को डिप्टी डायरेक्टर एम कन्नन के […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 17, 2017 8:52 AM
जमशेदपुर: केबुल कंपनी (इंकैब इंडस्ट्रीज) को खोलने को लेकर अंतरिम मैनेजमेंट कमेटी के सदस्य आरबी सिंह ने एनसीएलटी में मामला दायर किया है. भारत सरकार ने एनसीएलटी का गठन बायफर व आयफर को बंद कर किया है. कोलकाता स्थित एनसीएलटी के ब्रांच में आरबी सिंह की ओर से मंगलवार को डिप्टी डायरेक्टर एम कन्नन के नाम से मामला दायर किया गया है. इसके तहत बायफर में कहां तक मामला पहुंचा है और कितने सालों से केबुल के कर्मचारी परेशान हैं, उसकी भी कहानी बतायी गयी है और दिल्ली हाइकोर्ट और बायफर में हुई सुनवाई का पूरा ब्योरा, फैसले की कॉपी समेत तमाम चीजें समाहित की गयी है.
बंद और खुलती रही कंपनी
1920 में स्थापित केबुल कंपनी 15 साल पहले बंद हो गयी थी. 1988 में काशीनाथ तापूरिया ने तीन साल तक इसका संचालन किया. फिर 1991-92 में कंपनी की आर्थिक स्थिति काफी कमजोर हो गयी. घाटा दिखाया गया और काशीनाथ तापुरिया ने अपना हाथ खींच लिया. 1996-97 में केबुल कंपनी का मलेशिया की कंपनी लीडर यूनिवर्सल ने अधिग्रहण कर लिया. वाइस चेयरमैन पीके सर्राफ की देखरेख में उत्पादन 1999 तक चला. फिर पी घोष ने होलटाइम डायरेक्टर बने. 1999 में कंपनी का कामकाज पूरी तरह से ठप हो गया. अप्रैल 2000 में रुग्ण उद्योग बताकर कंपनी को बायफर में भेजा दिया गया.
कंपनी खुलने की दिशा में सार्थक पहल बता रहे कर्मी
एनसीएलटी में याचिका व सुनवाई के बाद केबुल खोलने को लेकर फैसला आयेगा. इसे कर्मचारी विलंब से किया गया सार्थक पहल बता रहे है. कंपनी को टेकओवर करने में पेगासस अपनी दावेदारी वापस ले चुकी है. इसी तरह आरआर केबुल भी सुप्रीम कोर्ट में हार जाने के बाद अपनी दावेदारी वापस ले चुकी है. अब अकेले टाटा स्टील ही बिडर बचा है जो मामले की सुनवाई में हिस्सा ले सकती है, जिसको ऑपरेटिंग एजेंट स्टेट बैंक ने वाजिब करार दिया है.

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