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बोले यूपीएससी में 301वां रैंक लाने वाले अनिल कुमार- लगन व समर्पण के साथ तैयारी करें, टेंशन नहीं लेने का

एनसीइआरटी के 11वीं व 12वीं का कोर्स पूरा पढ़ा है, तो सफलता आसान जमशेदपुर: यूपीएससी सिविल सेवा प्रतियोगिता परीक्षा में शहर के अनिल कुमार को 301वां रैंक मिला है. अनिल कदमा निवासी व टाटा स्टील से सेवानिवृत्त कमलेश्वर ठाकुर व कमला ठाकुर के द्वितीय पुत्र हैं. बिष्टुपुर स्थित मिसेज केएमपीएम इंटर कॉलेज से इंटरमीडिएट के […]

एनसीइआरटी के 11वीं व 12वीं का कोर्स पूरा पढ़ा है, तो सफलता आसान
जमशेदपुर: यूपीएससी सिविल सेवा प्रतियोगिता परीक्षा में शहर के अनिल कुमार को 301वां रैंक मिला है. अनिल कदमा निवासी व टाटा स्टील से सेवानिवृत्त कमलेश्वर ठाकुर व कमला ठाकुर के द्वितीय पुत्र हैं. बिष्टुपुर स्थित मिसेज केएमपीएम इंटर कॉलेज से इंटरमीडिएट के बाद उन्होंने एनआइटी राउरकेला से इलेक्ट्रीकल इंजीनियरिंग में इंटीग्रेटेड एमटेक (बीटेक+एमटेक) की डिग्री हासिल की है. प्रस्तुत है प्रभात खबर के साथ अनिल की बातचीत के अंश :
प्र. आपने पहले प्रयास में ही यह सफलता पायी है?

उ. नहीं, यह मेरा तीसरा प्रयास था. पहले प्रयास में सफल नहीं हो सका. दूसरे प्रयास में इंटरव्यू तक पहुंचा था. उसके बाद इस बार स‌फलता मिली है.

प्र. इंजीनियरिंग की पढ़ाई किस वर्ष में पूरी हुई?

उ : वर्ष 2014 में. एनआइटी राउरकेला से ही टाटा स्टील में कैंपस प्लेसमेंट मिला था. कंपनी के मुंबई कार्यालय में पदस्थापित था.

प्र. नौकरी करते हुए तैयारी की या …?
उ. कुछ दिन नौकरी करने के बाद छोड़ दी. उसके बाद दिल्ली में रह कर तैयारी की.

प्र. सिविल सेवा में जाने का विचार कैसे आया, पहले से ही सोचा था?
उ. पहले से नहीं सोचा था. मेरे बड़े भाई सुनील कुमार आइआइटी खड़पुर से पासआउट व एनटीपीसी दिल्ली में कार्यरत हैं. उन्हीं से मोटीवेशन मिला. साथ ही शहर में रहे एसपी चंदन झा मेरे बड़े भाई के मित्र हैं. दिल्ली में उनसे मिलना-जुलना होता था. उनसे भी मार्गदर्शन मिला.

प्र. सिविल सेवा प्रतियोगिता परीक्षा में सफलता के लिए क्या जरूरी है?
उ. सबसे पहले तो दृढ़ संकल्प व समर्पण जरूरी है. जॉब करते हुए तैयारी करना मुश्किल है और जॉब छोड़ना बड़ा रिस्क है, लेकिन सपनों को साकार करने के लिए रिस्क लेना पड़ता है.
प्र. आपने तैयारी कैसे की?
उ. तैयारी में समय देना पड़ता है. कम से कम 8-9 घंटे नियमित पढ़ाई जरूरी है. वाजीराव के नोट्स, केजीएस के नोट्स व लगातार टेस्ट सीरीज देने से आत्ममूल्यांकन व तैयारी बेहतर होती है.
प्र. सिविल सेवा की परीक्षा में आपका विषय क्या था?
उ. पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन विषय रखा था. इसके अलावा 11वीं व 12वीं कक्षा के पाठ्यक्रम को ठीक तरह से पढ़ा व समझा था. यदि आपने एनसीइआरटी को पूरा व ठीक से पढ़ा है, तो सफलता आसान हो जाती है.
प्र. इंटरव्यू में खुद को कैसे प्रस्तुत किया?
उ. पहले तो थोड़ी घबराहट होती है, लेकिन चंद मिनट बाद सबकुछ सामान्य हो जाता है. जब भी इंटरव्यू के लिए जायें, अपने-आप को वैसा ही प्रस्तुत करें, जैसे आप हैं, क्योंकि इंटरव्यू बोर्ड के लोग इतने कुशाग्र होते हैं, कि चार-पांच मिनट में ही परख लेते हैं, इसलिए बनावटीपन से परहेज करें. जो पूछते हैं, यदि संबधित विषय की भाषा में नहीं बोल पाते हैं, तो कोई बात नहीं, एक ले मैन की तरह ही बोलें.

प्र. तैयारी कर रहे अभ्यर्थियों के लिए क्या कहेंगे?
उ. लगन व समर्पण के साथ तैयारी करें. टेंशन न लें.

रैंक के आधार पर जो भी कैडर मिलेगा वह मंजूर : ज्योति
आदित्यपुर: यूपीएससी की परीक्षा में 872वां रैंक लाने वाली गम्हरिया की ज्योति को स्कूल के शिक्षक सिविल सेवा में जाने के लिए प्रेरित करते थे. बचपन से देश सेवा करने व लोगों की मदद करने का उसका दिल करता था, इसलिए अब रैंक के आधार पर जो भी कैडर उसे मिलेगा वह सिविल सेवा में जायेगी. दूरभाष पर ज्योति ने अपनी सफलता के पीछे अपने पिता शिवराम महतो से मिले सपोर्ट को महत्वपूर्ण बताया. श्री महतो रांची के निजी फर्म में काम करते हैं, जबकि मां प्रतिभा महतो गृहिणी हैं. छोटी बहन निकिता भुवनेश्वर में फैशन डिजाइन का कोर्स कर रही हैं, तो छोटा भाई हर्षित अभी दसवीं कक्षा का छात्र है. श्री महतो ने बताया कि ज्योति मैट्रिक के बाद से ही सिविल सर्विसेज में जाने का सपना संजोये हुई थी. उनके परिवार में किसी व्यक्ति ने इतनी बड़ी परीक्षा में सफलता नहीं पायी है. बचपन से उसका खानपान काफी साधारण रहा है. वह घर में बने व्यंजन ही पसंद करती है. प्रतिदिन 10 से 12 घंटे की पढ़ाई. ज्योति ने बताया कि वह प्रतिदिन 10 से 12 घंटे पढ़ाई किया करती है. उसने कभी व्हाट्स अप जैसी सोशल मीडिया का सहारा नहीं लिया, लेकिन फेसबुक पर कभी-कभी चैटिंग कर लेती हैं. खुद पर भरोसा रखें. ज्योति ने युवाओं को संदेश देते हुए कहा कि खुद पर भरोसा रखना बहुत जरूरी है. सकारात्मक सोच के साथ कभी हिम्मत नहीं हारनी चाहिए.
ताइक्वांडाे की राष्ट्रीय चैंपियन है ज्योति. ज्योति पढ़ाई के साथ खेल-कूद में भी अपनी प्रतिभा साबित करती रही है. ज्योति ने 2003, 2005 व 2007 में राष्ट्रीय ताइक्वांडो चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीता था. इसके अलावे उसने झारखंड स्टेट ताइक्वांडो में वर्ष 2006 में गोल्ड मेडल अपने नाम किया था. ज्योति के नाम ताइक्वांडो का ब्लैक ब्लेट खिताब भी है. डीएवी एनआइटी में 12वीं की पढ़ाई के दौरान ज्योति को डीएवी पब्लिक स्कूल एनआइटी का हेड गर्ल चुना गया था. पढ़ाई के अलावा ज्योति कि रूची किताबें पढ़ने, पेंटिंग में भी है. उसने सिविल डिफेंस ट्रेनिंग सेंटर जमशेदपुर से फर्स्ट एड एंड डिजास्टर मैनेजमेंट का कोर्स भी किया है.

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