Coronavirus 3rd Wave News (जमशेदपुर, पूर्वी सिंहभूम) : कोरोना वायरस की थर्ड वेब का आना बस कुछ महीनों की बात है. विशेषज्ञों ने कहा है कि इसकी चपेट में सबसे ज्यादा बच्चे आ सकते हैं. लिहाजा, खतरे को देखते अभी से तैयारियां शुरू हो गयी है. इसे लेकर स्वास्थ्य विभाग की चिंता बढ़ गयी है. सिविल सर्जन डॉ एके लाल ने इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक (आइएपी) जमशेदपुर शाखा से वर्तमान स्थिति और कैसी हो तैयारी पर सुझाव मांगा था.
इस पर आइएपी के अध्यक्ष व जाने माने शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ अखौरी मिंटू सिन्हा ने सिविल सर्जन को दिये सुझाव में कहा है कि शहर के सभी अस्पतालों के कुल बेड का 30 प्रतिशत पीडियाट्रिक बेड बनाना होगा. साथ ही इन बेड पर सेंट्रलाइज आॅक्सीजन पाइपलाइन की व्यवस्था, मल्टीपल माॅनीटर विथ इनफैंट एंड पीडियाट्रिक प्राॅब्लम, इनफ्यूजन व सिरिंज पंप की सुविधा उपलब्ध करानी होगी.
होम आइसोलेशन के मरीजों को किट देने की व्यवस्था करनी होगी, जिसमें पैरासिटामोल सिरप, मल्टी विटामिन और कफ सिरप के एक पंपलेट भी दिया जाये, जिसमें मरीज की कैसे देखभाल करनी है, इसकी पूर्ण जानकारी हो. साथ ही ग्रामीण स्तर पर हल्के लक्षण वाले मरीजों को पंचायत भवन, स्कूल समेत अन्य भवन में कोविड केयर सेंटर की स्थापना करनी होगी.
इसकी निगरानी संबंधित स्वास्थ्य केंद्र करें. ग्रामीण क्षेत्र के हर गांव में आॅक्सीमीटर व थर्मामीटर उपलब्ध हो, जिसके माध्यम से मरीजों की मॉनीटरिंग की व्यवस्था करनी होगी. किसी तरह की गंभीरता का एहसास हो, तो उसे तत्काल हायर सेंटर रेफर किया जाना चाहिए.
डॉ अखौरी मिंटू ने बताया है कि कोरोना बच्चों के लिए खतरनाक साबित हो सकता है. उन्होंने आशंका व्यक्त की है कि हो सकता है कुछ में इसमें लक्षण दिखें, तो कुछ में नहीं भी दिखेंगे. ऐसे बच्चे जिनमें क्रोनिक इम्युनिटी प्रॉब्लम है, उनके लिए यह समस्या खतरनाक हो सकती है. लेकिन, कोरोना के जो सबसे आम लक्षण खांसी, बुखार, जुकाम और सिरदर्द ही हैं. लेकिन उन्होंने बताया है कि नये तरह के लक्षणों को भी इग्नोर न करते हुए टेस्ट जरूर कराना चाहिए. बच्चों में बड़ों से अलग लक्षण भी देखने को मिल सकते हैं. आम लक्षण को लेकर उन्होंने अपने सुझाव पत्र में जानकारी दी है.
– बुखार का बने रहना
– त्वचा पर चकत्ते
– आंखें लाल होना
– शरीर या जोड़ों में दर्द
– उल्टी जैसा होना, पेट में ऐंठन या इससे संबंधित अन्य समस्या
– फंटे होठ, चेहरे और होठों का नीला पड़ना
– जलन, थकान, सुस्ती और अधिक नींद आना
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– त्वचा पर अलग रंग के पैच नजर आना
– बुखार आना, भूख न लगना या चिड़चिड़ापन
– उल्टी, मांसपेशियों में दर्द, होठों व त्वचा में सूजन, छाले होना
कोरोना की थर्ड वेब काे लेकर जिला स्वास्थ्य विभाग ने तैयारी शुरू कर दी है. एक्सपर्ट डॉक्टरों की मानें, तो आने वाला समय कठिन है. कोरोना का नया म्यूटेंट बच्चों के लिए बेहद खतरनाक है. अपने शहर की बात करें, तो इस खतरनाक वायरस से बचाने के लिए संसाधन की कमी है. अस्पतालों में मौजूद बेड, डाॅक्टर्स, वेंटिलेटर समेत अन्य जरूरी सुविधाओं को देखें, तो वह नाकाफी है.
डॉ अखौरी मिंटू सिन्हा के अनुसार, जिले में 14 साल के करीब चार लाख बच्चे हैं. टीएमएच, टाटा मोटर्स, ब्रह्मानंद हॉस्पिटल, एमजीएम, सदर अस्पताल को मिलाकर शहर में 19 वेंटिलेटर व 195 बेड और करीब 70 डाॅक्टर हैं. 2051 बच्चों पर एक बेड, 21,062 बच्चों पर एक वेंटिलेटर और 5,714 बच्चों पर एक शिशु रोग विशेषज्ञ हैं.
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डॉ अखौरी ने खतरा ज्यादा न हो इसके लिए बच्चों को पीवीसी वैक्सीनेशन का सुझाव दिया. उन्होंने कहा कि बच्चों का टीकाकरण के साथ कृमि से बचाव की दवा के साथ जिंक, विटामिन सी सप्लीमेंट देने चाहिए.
शहर में अब तक 47,881 संक्रमित मिले हैं. इसमें 14 साल से कम उम्र के 1859 बच्चे हैं, जो कुल संक्रमितों का 3.88 फीसदी है. 44 को अस्पताल में एडमिट होना पड़ा है. अब तक एक बच्चे की मौत हुई है. 16 बच्चे इलाजरत हैं.
कोरोना महामारी की तरह अब म्यूकोरमाइकोसिस ब्लैक फंगस को भी सरकार महामारी घोषित करेगी. इससे संबंधित प्रस्ताव स्वास्थ्य विभाग द्वारा तैयार कर मुख्यमंत्री के पास भेजा गया है. मुख्यमंत्री से मंजूरी मिलने के बाद इस प्रस्ताव को कैबिनेट की मंजूरी के लिए भेजा जायेगा. झारखंड में अबतक ब्लैक फंगस के 14 केस मिले हैं. इनमें 10 मरीजों का इलाज रिम्स, दो का मेडिका में व दो का टीएमएच में चल रहा है. महामारी घोषित किये जाने के बाद अस्पतालों को ब्लैक फंगस के मरीजों की जानकारी देनी होगी. सरकार द्वारा जारी गाइडलाइन और प्रोटोकॉल को अस्पतालों व मरीजों के साथ आमलोगों को भी पालन करना होगा.
Posted By : Samir Ranjan.