शहर के गोलचक्कर के नामकरण को लेकर राजनीति चमकाने की कोशिश, प्रशासन मौन, टाटा स्टील भी पशोपेश में

शहर में एक भी गोलचक्कर का नामकरण प्रशासन की मंजूरी के नहीं हुआ

By Prabhat Khabar News Desk | January 4, 2025 8:03 PM

Jamshedpur news.

शहर के गोलचक्कर के नामकरण को लेकर राजनीति चमकाने की कोशिश हो रही है. हाल के दिनों में तीन घटनाएं घटी है, जिसके बाद यह सवाल उठने लगा है कि सरकार सड़क या गोलचक्कर बनाती है या टाटा स्टील इन गोलचक्करों को बनाती है. वहीं किसी से बिना मंजूरी के लोग या तो मूर्तियां स्थापित कर देते हैं या फिर उसका बोर्ड लगाकर गोलचक्कर का नामकरण कर देते हैं. वैसे इसे लेकर कोई मंजूरी तक प्रशासन से नहीं ली जाती है. हाल के दिनों में जितने भी गोलचक्कर का नामकरण किया गया है, उसे लेकर किसी तरह का मंजूरी ना तो प्रशासन और ना ही टाटा स्टील प्रबंधन से ली गयी है. बस जिसकी लाठी उसकी भैंस वाली कहावत को चरितार्थ करते हुए गोलचक्कर का नामकरण कर दिया गया है. यह कितना सही है और प्रशासन मूकदर्शक क्यों बना हुआ है, यह बड़ा सवाल खड़ा हो रहा है. टाटा स्टील भी इस मसले को लेकर पशोपेश में है और कुछ कहने को तैयार नहीं है.

केस 1

बारीडीह में नया गोलचक्कर टाटा स्टील की ओर से बनाया गया. बारीडीह गोलचक्कर को बिरसा सेना ने कोंका कमार करमाली के नाम से पत्थलगढ़ी कर दिया. पहले तो टाटा स्टील ने रोका, लेकिन जब प्रशासन भी हस्तक्षेप नहीं किया, तो फिर छोड़ दिया गया और यह बना रह गया.

केस 2

बिष्टुपुर तलवार बिल्डिंग चौक के पास को मरांग गोमके जयपाल सिंह मुंडा के नाम पर बोर्ड लगा दिया गया. इस चौक का नामकरण जयपाल सिंह मुंडा के नाम पर कर दिया गया. इस दौरान भी रोकने का प्रयास किया गया, लेकिन 24 घंटे के बाद भी वह बोर्ड वहीं सजा हुआ है.

केस 3

सोनारी एयरपोर्ट के पास नया गोलचक्कर बनाया गया है. टाटा स्टील द्वारा निर्मित इस गोलचक्कर का नामकरण भी मरांग गोमके जयपाल सिंह मुंडा के चौक के नाम पर कर दिया गया. इसका स्थानीय लोगो ने विरोध किया. भाजपा के नेताओं ने मोर्चा लिया, लेकिन बाद में भाजपा का ही एक धड़ा ने अब इस काम का समर्थन कर दिया है. यह बोर्ड अब तक लगा हुआ है.

केस 4

रेलवे स्टेशन गोलचक्कर के पास शहीद सांसद सुनील महतो की प्रतिमा लगायी गयी. इसके काम को रोका गया, लेकिन कालांतर में यहां गोलचक्कर बनकर तैयार हो गया है. यहां प्रतिमा भी स्थापित है और गोलचक्कर का नाम हो चुका है.

केस 5

जुगसलाई के ही प्रदीप मिश्रा चौक का नामकरण किया गया. प्रदीप मिश्रा की हत्या नटराज गोलीकांड में 90 के दशक में किया गया था. उनकी याद में यहां प्रतिमा भी लगायी गयी है और उस गोलचक्कर का नाम प्रदीप मिश्रा चौक हो चुका है.

केस 6

साकची गोलचक्कर को बिरसा मुंडा चौक घोषित किया जाना था. इसे लेकर वहां भी पत्थलगढ़ी कर दी गयी थी. कई सालों तक गोलचक्कर को टीना से घेरकर रखा गया. बाद में साकची गोलचक्कर के बगल में बिरसा मुंडा का पार्क बनाया गया, जिसमें विधायक मंगल कालिंदी की बड़ी भूमिका रही. टाटा स्टील द्वारा विधायक मंगल कालिंदी के सहयोग से प्रतिमा स्थापित की गयी, तब जाकर गोलचक्कर का इस्तेमाल अब फिर से शुरू किया जा सका.

यह सभी गोलचक्कर के नाम जबरन रखे गये :

1. साकची मरीन ड्राइव गोलचक्कर-क्षत्रिय समाज के लोगों ने महाराणा प्रताप की प्रतिमा लगाकर इसका नामकरण महाराणा प्रताप चौक कर दिया2. साकची पुराना कोर्ट के पास बीआर आंबेडकर चौक बना दिया गया. यहां भव्य प्रतिमा लगा दी गयी. 3. एमजीएम अस्पताल गोलचक्कर का नामकरण भामाशाह चौक के रूप में कर दिया गया. यहां भी बोर्ड लगा दिया गया. वैश्य समाज के लोगों द्वारा इसका नामकरण कर दिया गया.

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