जमशेदपुर के सुंदरनगर कस्तूरबा विद्यालय से एनीमिया अभियान की शुरूआत, जानें झारखंड में कुपोषण की स्थिति
पूर्वी सिंहभूम जिले में एनिमिया अभियान की शुरुआत हुई. राज्य में छह महीने से लेकर 59 महीने आयु वर्ग के 67 फीसदी बच्चे एनीमिया के शिकार हैं. वहीं, राज्य की 65.3 फीसदी महिलाएं खून की कमी से जूझ रही है.
Jharkhand news: पूर्वी सिंहभूम जिला अंतर्गत जमशेदपुर के सुंदरनगर स्थित कस्तूरबा विद्यालय से जिले में एनीमिया मुक्त भारत कार्यक्रम की शुरूआत हुई. इस अभियान के पहले दिन शुक्रवार को करीब 600 स्कूली बच्चों को आयरन की गोली दी गयी. इसकी शुरूआत सिविल सर्जन डॉ जुझार मांझी, जिला समाज कल्याण पदाधिकारी, जिला शिक्षा विभाग के पदाधिकारी, जुगसलाई सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी डॉ लक्ष्मी कुमारी ने बच्चों को आयरन की गोली खिलाकर किया.
ड्रॉप आउट बच्चों को दी जाएगी आयरन की गोली
इस अवसर पर सिविल सर्जन डॉ मांझी ने उपस्थित बच्चों को एनीमिया से बचने के उपाय बताने के साथ ही इसके लक्षण की जानकारी दी, ताकि बच्चे इसको लेकर जागरूक हो सकें. उन्होंने बताया कि स्कूलों के साथ आंगनबाड़ी केंद्रों, सभी स्वास्थ्य केंद्रों में बच्चों एवं गर्भवती महिलाओं को आयरन की गोली दी जायेगी. वहीं, जो बच्चे स्कूल नहीं जाते हैं उनको खोज कर उनके घर में सहिया द्वारा दवा दिया जायेगा.
छह माह से 19 साल के किशोरों को दी जाएगी आयरन की गोली
उन्होंने कहा कि इस अभियान के दौरान छह से 59 माह के बच्चे को IFA सिरप, पांच से नौ साल के बच्चों को IFA आयरन की गुलाबी गोली सप्ताह में एक बार खिलाना है. वहीं, 10 से 19 वर्ष के किशोर एवं किशोरियों को IFA आयरन की नीली गोली सप्ताह में एक बार खिलाना है, जिससे जिले के सभी बच्चे एनिमिया से बच सके. वहीं एक जुलाई से नियमित रूप से स्कूलों एवं आंगनबाड़ी केंद्रों में सहिया के द्वारा आयरन की गोली दी जायेगी.
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गर्भवती महिला को हर दिन एक गोली
वहीं, गर्भवती महिलाओं को प्रतिदिन एक गोली, जो एनिमिया से पीड़ित नहीं हैं या पीड़ित हैं उनको प्रतिदिन लाल रंग की दो गोली दी जायेगी. इस दौरान स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों व पदाधिकारियों के साथ स्कूल के शिक्षक व अन्य लोग उपस्थित थे.
क्या है एनिमिया बीमारी
चिकित्सकों के मुताबिक, शरीर में आयरन की कमी इस बीमारी का मुख्य वजह माना जाता है. हालांकि, इसके अन्य कारण भी हो सकते हैं. इसमें विटामिन बी औरर सी की कमी के अलावा लगातार खून बहना, प्रोटीन की कमी और फॉलिक एसिड की कमी होने से एनीमिया बीमारी होती है. शिशुओं में इसकी सबसे बड़ी वजह उन्हें पूरक आहार नहीं मिलना है. राज्य में शिशुओं को समुचित पूरक आहार नहीं मिल पाता है. चिकित्सकों के मुताबिक, जन्म से छह माह तक बच्चों को पूरक आहार मिलना चाहिए, लेकिन राज्य में केवल सात प्रतिशत बच्चों को ही समुचित पूरक आहार मिल पाता है.
झारखंड में एनिमिया की स्थिति
नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (National Family Health Survey- NFHS 5) के अनुसार, झारखंड में छह महीने से लेकर 59 महीने यानी पांच साल से कम आयु वर्ग के 67 फीसदी बच्चे एनीमिया के शिकार हैं. वहीं, राज्य की 65.3 फीसदी महिलाएं खून की कमी से जूझ रही है. इसके अलावा 30 फीसदी पुरुष एनीमिया के शिकार हैं.
Posted By: Samir Ranjan.