Jharkhand News: अपने आसपास की खामियों और अक्षमता का दोष दूसरों पर नहीं डालना, मौजूदा परिस्थितियों को कोसने के बजाय, छोटे-छोटे कदम उठाकर सकारात्मक बदलाव लाने की पृष्टभूमि तैयार करना जैसे कार्यों के लिए पूर्वी सिंहभूम जिले के पोटका प्रखंड के पिछड़े इलाकों में स्थित उत्क्रमित मध्य विद्यालय, टांगराइन सरकारी स्कूल के शिक्षक अरविंद तिवारी ने एक नयी रेखा खींची है. उन्होंने नयी पहल के जरिये परिवर्तन लाने की कोशिश की है. कठिन परिस्थितियों और चुनौतियों का सामना करते हुए सीमित संसाधनों में इन्होंने आश्चर्यजनक परिणाम दिये हैं. अरविंद तिवारी वर्तमान में इस स्कूल के प्रभारी प्रधानाध्यापक हैं. वे पिछड़े इलाकों में रहने वाले सबर बच्चों, गरीब ग्रामीणों, आदिवासियों व मूलवासियों के बीच रहकर शिक्षा की ज्योत जला रहे हैं.
टांगराइन का सरकारी स्कूल, प्राइवेट स्कूलों को दे रहा टक्कर
पूर्वी सिंहभूम जिला अंतर्गत जमशेदपुर से करीब 40 किलोमीटर दूर पोटका के जंगलों के बीच झारखंड सरकार द्वारा संचालित उत्क्रमित मध्य विद्यालय, टांगराइन के इस स्कूल में एक कंप्यूटर लैब, तीरंदाजी की कोचिंग की सुविधा, तैराकी की कोचिंग की सुविधा, भाषा प्रयोगशाला और बागवानी की कक्षाएं उपलब्ध हैं. सरकारी स्कूल की व्यवस्था को देख कोई भी सोच में पड़ जाता है. यह लाजिमी भी है. क्योंकि ऐसी व्यवस्था आमतौर पर प्राइवेट बडे़ स्कूलों में ही देखते को मिलती है. स्कूल के कार्यों से प्रभावित होकर तारापोर स्कूल ने टांगराइन मध्य विद्यालय में कंप्यूटर लैब तैयार कराने में मदद की. इस स्कूल को 10 कंप्यूटर और फर्नीचर दान में दिये.
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खास शिक्षण विधि है इनकी पहचान
प्रभारी प्रधानाध्यापक अरविंद तिवारी ने अपने खास शिक्षण शैली से भी खासी लोकप्रियता हासिल की है. वैसे, शिक्षक बनने से पूर्व ये उत्साही सामाजिक कार्यकर्ता भी रहे हैं. उन्होंने 56 से अधिक बार रक्तदान किया है और कई सारे छात्रों और गरीब बच्चों के अध्ययन और चिकित्सा में उल्लेखनीय योगदान किया है. अरविंद तिवारी पहले छोटागोविंदपुर जनता मध्य विद्यालय में शिक्षक थे. वर्ष 2017 में प्रमोशन देकर इन्हें टांगराइन मध्य विद्यालय भेजा गया. शहर में शिक्षा व स्वास्थ्य के क्षेत्र में अग्रणी सामाजिक संस्था युवा के संस्थापक भी हैं.
रीडिंग क्लब बच्चों को पढ़ने के लिए करता है मोटिवेट
स्कूल में एक अक्कड़- बक्कड़ रीडिंग क्लब बनाया गया है. जहां बच्चे अपनी चलती कक्षा के बीच में कभी भी जाकर कहानी की किताबें पढ़ने के लिए स्वतंत्र हैं. यहां बच्चे कहानी, कविता व अन्य पत्र-पत्रिकाएं पढ़ते हैं. क्लब में बच्चों को जो मन चाहता है, वह पढ़ते हैं. क्लब के माध्यम से बच्चों की रुचि का पता लगाया जाता है. फिर प्रत्येक बच्चे को उसके इच्छा के अनुरूप सहयोग प्रदान किया जाता है, ताकि उसका सर्वांगीण विकास हो सके.
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ग्रामीण क्षेत्रों में प्रतिभाशाली बच्चों की कमी नहीं : अरविंद
प्रभारी प्रधानाध्यापक अरविंद तिवारी बताते हैं कि सुदूर गांव-देहात के बच्चों में प्रतिभा की कमी नहीं है. कमी है तो उन्हें परखने व मार्गदर्शन देने वालों की. यदि बच्चों को शुरुआती दौर से अच्छी शिक्षा दी जाये, तो वे अच्छे स्थानों पर जाकर गांव, राज्य व देश का नाम रोशन कर सकते हैं. प्रत्येक सरकारी स्कूल में शैक्षणिक व्यवस्था को दुरुस्त करने की जरूरत है. सरकारी स्कूलों को लेकर लोगों के दिलो-दिमाग में जो अलग तस्वीर बनी है, उसमें गुणात्मक सुधार करते हुए एक अलग तस्वीर बनानी होगी.
अरविंद तिवारी की पहल व उत्क्रमित मध्य विद्यालय, टांगराइन की उपलब्धियां
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पहला सरकारी विद्यालय जिसकी अपनी वेबसाइट है. डब्ल्यूडब्ल्यूडब्ल्यू डॉट टगराइन डॉट इन.
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पोटका प्रखंड का एकमात्र सरकारी विद्यालय, जहां स्काउट एंड गाइड की यूनिट है.
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पहला सरकारी विद्यालय जहां तीरंदाजी एवं तैराकी कोच की देखरेख में प्रशिक्षण होता है.
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पहला सरकारी विद्यालय जिसमें प्रधानाध्यापक के निजी प्रयास से विद्यालय में भाषा प्रशिक्षण केंद्र खोला गया है, जहां नियमित रूप से भूमिज संथाली एवं बांग्ला की पढ़ाई होती है.
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बच्चों को स्कूल आने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए कहो पहाड़ा व पहाड़ा रैली का आयोजन किया.
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स्कूल में माहवारी स्वच्छता के लिए छात्राओं के लिए पैड बैंक बनाया. जागरूकता के लिए मल्टीप्लेक्स में फिल्म पैडमैन दिखायी.
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सृजन क्षमता के विकास के लिए सुनो कहानी कार्यक्रम शुरू किया गया.
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तीन दिवसीय कहानी मेला का आयोजन किया, जिसमें शहर के प्रसिद्ध साहित्यकारों ने शिरकत की.
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बच्चों में शारीरिक क्षमता के विकास तथा पुलिस व सेना की नौकरी के प्रति जागरूकता के लिए मिशन आर्मी शुरू की.