झारखंड: संताल परगना इलाके में बाहा पर्व शुरू, सादे पानी से होली खेलने का है रिवाज, जानें क्या है मान्यता
संताली आदिवासियों का पर्व बाहा बोंगा रविवार को कल से शुरू हो गया है. इस दिन संथाल समुदाय के लोग गांव की सुख शांति और समृद्धि के लिए पूजा अर्चना करते हैं. इसके साथ ही साथ लोगों में सादे पानी से होली खेलने का भी रिवाज है
जमशेदपुर : आदिवासी संताल बाहुल्य क्षेत्रों में प्रकृति का पर्व बाहा बोंगा रविवार से हर्षोल्लास के साथ शुरू हो गया. इसी क्रम में रविवार को सुंदरनगर के हाकेगोड़ा स्थित जाहेरथान में नायके बाबा पिथी बास्के द्वारा पूजा-अर्चना की गयी. इसके बाद गांव के सभी महिलाएं एवं पुरुषों ने अपने इष्ट देवता मारांग बुरु जाहेर आयो के सामने माथा टेककर आशीर्वाद प्राप्त किया.
प्रसाद स्वरूप सोड़े-खिचड़ी का वितरण किया गया. गांव के माझी बाबा वीर सिंह बास्के ने बताया कि इस बाहा बोंगा में साल के फूलों का अलग ही महत्व है. पूजा के बाद पुरुष इस फूल को कानों पर लगाते हैं. वहीं महिलाएं इसे अपनी जुड़ों पर सजाती हैं. बाहा बोंगा की पूजा संताल समुदाय के उत्थान के लिए तथा पूरे गांव को बीमारी से बचाने के लिए भी बहुत ही आवश्यक एवं उत्तम माना जाता है.
प्रसाद स्वरूप सोड़े-खिचड़ी का वितरण किया गया. गांव के माझी बाबा वीर सिंह बास्के ने बताया कि इस बाहा बोंगा में साल के फूलों का अलग ही महत्व है. पूजा के बाद पुरुष इस फूल को कानों पर लगाते हैं. वहीं महिलाएं इसे अपनी जुड़ों पर सजाती हैं. बाहा बोंगा की पूजा संताल समुदाय के उत्थान के लिए तथा पूरे गांव को बीमारी से बचाने के लिए भी बहुत ही आवश्यक एवं उत्तम माना जाता है.
Posted By: Sameer Oraon