Basant Panchami 2021, Jharkhand News, जमशेदपुर (कन्हैया सिंह) : माघ शुक्ल पक्ष पंचमी तिथि मंगलवार, 16 फरवरी को श्री बसंत पंचमी, वागीश्वरी जयंती और सरस्वती पूजा है. इस दिन विद्या की कामना से ज्ञान की देवी मां शारदे की पूजा की जाती है. विद्यार्थी, संगीतज्ञ व अन्य क्षेत्र से जुड़े व्यक्ति ज्ञान की प्राप्ति के लिए माता सरस्वती की परंपरागत रूप से पूजा करते हैं. प्रात:काल स्नानादि से निवृत्त होकर स्वच्छ और धवल वस्त्र धारण कर पूजा की जाती है.
पूर्वाभिमुख होकर मां सरस्वती की प्रतिमा अथवा चित्र के सामने बैठकर आचमन, पवित्रीकरण, भूमि पूजन, स्वास्ति वचन, दीपक पूजन, पूजन संकल्प, गणेश पूजन, षोडश मातृका पूजन, कलश पूजन, नवग्रह पूजन करने का विधान है. तत्पश्चात माता सरस्वती का पूजन करना चाहिए.
मां शारदे का आह्वान करें. आसन, प्राण प्रतिष्ठा, स्नान, पंचामृत स्नान, शुद्धोधक स्नान, वस्त्र-आभूषण, गंध, सिंदूर, कुमकुम, अक्षत, पुष्प व पुष्प माला, धूप, दीप, नैवेद्य, ऋतु फल, पान-सुपाड़ी, द्रव्य दक्षिणा अर्पण करने के बाद मां की आरती, पुष्पांजलि करें.
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वैसे तो बसंत पंचमी के दिन सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक किसी भी समय मां शारदे का विधिवत पूजन किया जा सकता है. फिर भी शुभ मुहूर्त में पूजा करना अच्छा माना जाता है. आचार्य एके मिश्र मुहूर्त में मां की पूजा करने की सलाह देते हैं. वे बताते हैं कि पूजन के लिए सर्वोत्तम मुहूर्त सुबह 9:10 से दिवा 1:24 बजे तक है.
Posted By : Guru Swarup Mishra