बालू माफिया के खिलाफ अभियान चला रहे थे पालजोरी के बीडीओ, रेलवे ट्रैक पर मिला शव
देवघर जिले के पालाजोरी प्रखंड के बीडीआे सह सीओ नागेंद्र तिवारी (47) का शव जुगसलाई के दुखु मार्केट के पास रेलवे लाइन पर रविवार को मिला था.
जमशेदपुर : देवघर जिले के पालाजोरी प्रखंड के बीडीआे सह सीओ नागेंद्र तिवारी (47) का शव जुगसलाई के दुखु मार्केट के पास रेलवे लाइन पर रविवार को मिला था. झारखंड प्रशासनिक सेवा के 2013 बैच के अधिकारी स्व तिवारी मूल रूप से मानगो पोस्ट ऑफिस रोड के निवासी थे. बीडीओ के बड़े भाई सुरेंद्र तिवारी ने पालाजोरी के मुखिया दाऊद आलम पर प्रताड़ना और हत्या का आरोप लगाते हुए जुगसलाई थाने में लिखित शिकायत दी है. घटना की सूचना पर एडीसी सौरभ कुमार सिन्हा, जमशेदपुर सीओ अनुराग तिवारी, मानगो सीओ कामिनी कौशल लकड़ा, डीपीआरओ रोहित कुमार सहित कई पदाधिकारी पोस्टमार्टम हाउस व उनके घर पहुंचे और घटना की जानकारी ली.
बड़े भाई सुरेंद्र तिवारी के अनुसार, नागेंद्र तिवारी इन दिनों काफी तनाव में थे, जिसकी वजह से उनकी तबीयत खराब चल रही है. इसलिए वे 25 दिनों से छुट्टी लेकर घर में रह रहे थे. रविवार सुबह परिवार के लोगों के साथ नाश्ता करने के बाद दिन के 11:30 बजे वे अपने एक छात्र उमा राधे के साथ बाइक से घूमने निकल गये. दोपहर 12:30 बजे उमा ने उन्हें घर के पास छोड़ दिया. इसके बाद वे मंदिर जाने की बात कह कर निकल गये. रात 8:00 बजे तक वे घर नहीं लौटे, तो परिजन ने मानगो थाने में सनहा दर्ज कराया.
कुछ देर बाद ही मानगो पुलिस ने परिवार के लोगों को फोन कर बताया कि जुगसलाई में रेलवे लाइन पर ट्रेन से कट कर एक व्यक्ति की मौत हो गयी है. शव एमजीएम मेडिकल कॉलेज के पोस्टमार्टम हाउस में रखा हुआ है. सूचना पाकर परिजन वहां पहुंचे, तो मृतक की शिनाख्त नागेंद्र तिवारी के रूप में हुई.शव को देख कर रो पड़े परिजन, कहा : सब कुछ बर्बाद हो गया पोस्टमार्टम के बाद बीडीओ का पार्थिव शरीर मानगो पोस्ट आॅफिस रोड स्थित उनके आवास में लाया गया. यहां शव देख कर परिजन खुद को रोक नहीं पाये और रो पड़े. ट्रेन से कटने के कारण शव क्षत-विक्षत हो गया था. इसलिए सिर्फ अंतिम विधान के लिए पार्थिव शरीर को घर में रखा गया. इसके फौरन बाद ही अंतिम यात्रा निकाली गयी.
भुइयांडीह स्थित बर्निंग घाट पर पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार किया गया. इस दौरान परिवार के लोग रो-रोकर एक ही बात कह रहे थे : सब कुछ बर्बाद हो गया.मुखिया और वरीय अधिकारी की प्रताड़ना से तनाव में थे नागेंद्र तिवारी पालाजोरी से पहले सिमडेगा और तांतनगर में भी पदस्थापित रह चुके थे. भतीजे सुजीत कुमार तिवारी ने ‘प्रभात खबर’ को बताया कि पिछले 25 दिनों से वह अधिकांश समय अपने चाचा के साथ ही रहता था. उसने बताया कि स्व तिवारी ने पालाजोरी में अवैध बालू उठाव और मनरेगा में गड़बड़ी की जांच शुरू की थी. इस वजह से क्षेत्र के बालू माफिया और मुखिया दाऊद आलम उन्हें धमका रहे थे. मुखिया ने उन पर गलत आरोप लगा कर सरकार से शिकायत भी की थी.
वहीं, विभाग के कई वरीय अधिकारी भी उन्हें प्रताड़ित कर रहे थे. इससे वे काफी तनाव में थे. रात को सोते समय भी वे मुखिया के बारे में बातें करते और बड़बड़ाते थे. लगभग हर दिन वे मुखिया की धमकी को याद कर सोते-सोते उठकर बैठ जाते थे. वे बार-बार कहते : भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ना काफी मुश्किल है. बड़े भाई सुरेंद्र तिवारी ने बताया कि नागेंद्र इतने परेशान थे कि घर में जब भी नौकरी की बात होती थी, तो वह कहते : अब पालाजोरी में ज्वाइन नहीं करूंगा. कोई और जिला मिलेगा, तो नौकरी करूंगा, वरना छोड़ दूंगा. वहीं, विभाग के वरीय अधिकारी बार-बार फोन कर उन्हें जल्द ड्यूटी ज्वाइन करने को कह रहे थे. इससे वे काफी तनाव में थे.मौत की सीबीआइ जांच हो.
नागेंद्र की मौत का जिम्मेदार पालाजोरी का मुखिया दाऊद आलम है. मेरा भाई उसकी प्रताड़ना और धमकी से परेशान था. उसकी हत्या की गयी है और उसे आत्महत्या का रूप दिया गया है. इसकी सीबीआइ जांच होनी चाहिए. साथ ही मुखिया को सजा मिलनी चाहिए, तभी हमारे परिवार को इंसाफ मिलेगा.- भाई सुरेंद्र तिवारी, नागेंद्र तिवारी के बड़े
ऐसे थे नागेंद्र तिवारी : शादी नहीं की, अपने तनख्वाह के पैसों से जरूरमंद बच्चों को पढ़ायास्व नागेंद्र तिवारी के पिता मंगल तिवारी साकची जेल में हवलदार के पद पर कार्यरत थे. नागेंद्र तिवारी को तांतनगर के लोग ‘शेर खान’ बुलाते थे. क्याेंकि वह गलत करनेवालों के खिलाफ फौरन कार्रवाई करते थे. पहले शिक्षक और उसके बाद सचिवालय सहायक की नौकरी करने बाद वे प्रशासनिक सेवा में आये थे.
समाज से बेरोजगारी समाप्त करने के लिए वे गरीब बच्चों को मुफ्त में पढ़ाते थे. साकची जेल चौक पर छोटी सी गुमटी में वे बच्चों को निशु:ल्क शिक्षा देते थे. नौकरी के दौरान वे जहां भी रहे, वहां गांव में जा कर गरीब बच्चों को पढ़ाया. उन्होंने बच्चों के लिए लाइब्रेरी खोली है. तांतनगर में नौकरी के दौरान शिक्षा को लेकर कई अभियान भी चलाये. सिमडेगा में नक्सली क्षेत्र में रहनेवाले कई बच्चों को पढ़ा कर उन्हें सरकारी अफसर बनाया.
जमशेदपुर के कई युवा उनसे जानकारी लेने के लिए आते रहते थे. उनके पढ़ाये करीब 200 से ज्यादा लोग सरकारी नौकरी में हैं. कई बच्चों का दाखिला नेतरहाट और नवोदय विद्यालय में कराया. शादी के बाद जिम्मेदारी बढ़ जायेगी, यह सोच कर उन्होंने शादी नहीं की. अपने वेतन का अधिकांश हिस्सा वह गरीब बच्चों की पढ़ाई और उनकी फीस भरने में खर्च करते थे.
Post by : Pritish Sahay