संजीव भारद्वाज, जमशेदपुर : आदित्यपुर आैद्याेगिक क्षेत्र स्थित बेब्को (भारत इंजीनियरिंग एंड बॉडी बिल्डिंग कंपनी) ने आइसीएमआर की गाइडलाइन के तहत कोरोना जांच के लिए मोबाइल टेस्टिंग लैब तैयार किया है. इसमें जांच की सारी सुविधाएं हैं. लैब एक दिन में 400 से अधिक लाेगाें की जांच कर रिपाेर्ट देगी.
इसके लिए प्रति व्यक्ति जांच महज 1250 रुपये खर्च करने हाेंगे आैर यह 20 मिनट में रिपाेर्ट दे देगी. लैब तैयार करने के बाद इसका वीडियो जब सोशल मीडिया पर अपलाेड किया गया, तो छत्तीसगढ़ सरकार ने इसे देखने के लिए मंगाया और रख लिया. इसके बाद टेंडर करने की घाेषणा की.
बेब्काे काे ऐसी ही कोरोना मोबाइल टेस्टिंग लैब वैन बनाने के लिए नेपाल, काेलकाता, महाराष्ट्र, गाेवा सरकार के अलावा टाटा स्टील से भी अॉर्डर मिला है. वैन में सबसे पहले व्यक्ति को सैनिटाइज किया जाता है. इसके बाद थर्मल स्कैनिंग के लिए केबिन में जाना पड़ता है, जहां थर्मल स्कैनर सेंसर और थर्मल कैमरे लगे हैं, जाे बॉडी के आर-पार की स्कैनिंग व टेंपरेचर लेता है. स्कैनिंग के बाद आइजीजी एंटी बॉडी टेस्ट मशीन द्वारा किया जाता है. इसके बाद सैंपल कलेक्शन एरिया में भेजा जाता है, जहां पर सैंपल लिया जाता है. इस टेस्टिंग लैब में चार तकनीशियनाें के अलावा छह लाेग काम कर सकते हैं.
कंपनी टेस्टिंग लैब वैन नाे प्राेफिट-नाे लॉस पर उपलब्ध करायेगी : कंपनी ने 55 लाख रुपये खर्च कर दाे माह में इस लैब काे तैयार किया है. वाहन के निर्माण में टाटा 407 चेसिस का इस्तेमाल किया गया है. बेब्काे के निदेशक नवीन भालाेटिया ने बताया कि लैब निर्माण के दाैरान इसमें लगाये गये काफी उपकरण चीन निर्मित थे.
गलवान की घटना के बाद कंपनी ने फैसला किया कि यह वैन पूरी तरह से स्वदेशी हाेगी, जिसके बाद उन्हाेंने रांची की एक लैब से संपर्क किया, जहां से सभी जरूरी उपकरण उपलब्ध हाे गये. वाहन में थर्मल स्क्रीनिंग चेंबर के अलावा इम्युनाेग्लाेबुलिन जी एंटीबॉडी टेस्ट की भी सुविधा है, जाे बतायेगी कि मरीज काेराेना पॉजिटिव है या निगेटिव. इसमें बायाेसेफ्टी कैबिनेट व केमिकल टॉयलेट भी लगाया है, जिसका इस्तेमाल सिर्फ वैन के कर्मी ही करेंगे. तकनीशियनों के लिए अलग से चेंबर बनाया गया है.
इस वाहन में जब संदिग्ध मरीज चढ़ेगा, ताे ऑटोमैटिक तरीके से दरवाजा खुलेगा. उन्हें हाथ लगाने की भी जरूरत नहीं होगी. उसे पूरी तरह से सैनिटाइज किया जायेगा, फिर 30 सेकेंड खड़ा कर ड्रायर से सुखाया जायेगा. इसके बाद दूसरा दरवाजा खुलेगा. वहां कैमरा सेंसर करेगा और थर्मल स्कैनिंग हाेगी. फिर आइजीजी एंटीबॉडी टेस्ट हाेगा. इस वाहन का उपयाेग गांव व गलियाें में रहनेवालाें के साथ-साथ कंपनियाें में बेहतर तरीके से किया जा सकता है.
नवीन भालाेटिया, निदेशक, भारत इंजीनियरिंग एंड बॉडी बिल्डिंग, झारखंड
Post by : Pritish Sahay