बायोचार तकनीक मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने और कृषि में सुधार के लिए महत्वपूर्ण
सिंहभूम चेंबर भवन में ‘कार्बन उत्सर्जन में कमी के लिये बायोचार प्रौद्योगिकी पर संगोष्ठी का आयोजन
Jamshedpur News :
टाटा स्टील के उपाध्यक्ष राजीव मंगल ने कहा कि बायोचार, जो जैविक अपशिष्ट से बनाया जाता है, न केवल कार्बन उत्सर्जन को कम करने में सहायक है, बल्कि मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने और कृषि में सुधार करने के लिये भी महत्वपूर्ण है. उन्होंने बायोचार तकनीक को पर्यावरणीय निरंतरता और औद्योगिक नवाचार का आधार मानते हुए इसे व्यवहार में लाने का सुझाव भी दिया. वह सिंहभूम चेंबर ऑफ कॉमर्स में शुक्रवार को ‘‘बायोचार (जैविक कोयला) की अभिनव तकनीक और कार्बन उत्सर्जन में इसकी भूमिका’’ पर आयोजित संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे. संगोष्ठी का उद्देश्य उद्योगों और व्यापार जगत को बायोचार तकनीक के महत्व और पर्यावरण संरक्षण में इनके अनु प्रयोगों से अवगत कराया गया. इस दौरान पर्यावरणीय और औद्योगिक उपयोगिता पर चर्चा की गयी कि कैसे उद्योग इस तकनीक को अपनाकर कार्बन फुटप्रिंट को कम कर सकते हैं. कार्यक्रम में अध्यक्ष विजय आनंद मूनका ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण और सतत विकास की दिशा में इस प्रकार की तकनीकी संगोष्ठियां समय की मांग है. सिंहभूम चेंबर हमेशा उद्यमियों और व्यावसायियों को समय के अनुसार अपने व्यवसाय और उद्यम में बदलाव के साथ आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता रहा है, ताकि वे आज के अनुरूप अपने व्यवसाय उद्यम को सुचारू ढंग से संचालित कर सकें.अध्यक्ष विजय आनंद मूनका ने कहा कि यह कार्यक्रम कार्बन उत्सर्जन को कम करने और पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में मील का पत्थर साबित हो सकता है. इस कार्यक्रम के आयोजन से व्यवसायी उद्यमी अवश्य लाभान्वित होंगे.
संगोष्ठी में उपाध्यक्ष पुनीत कांवटिया, महासचिव मानव केडिया, उपाध्यक्ष अनिल मोदी, अधिवक्ता राजीव अग्रवाल, अभिषेक अग्रवाल गोल्डी, बिनोद शर्मा, भरत मकानी, अंशुल रिंगसिया, सीए अनिल रिंगसिया, मोहित मूनका, पीयूष गोयल, पवन नरेडी समेत काफी संख्या में उद्यमी एवं व्यवसायी उपस्थित थे.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है