बिरसा मुंडा जयंती पर पीएम मोदी को देंगे सरना धर्म कोड की सौगात! दो सेंगेल कार्यकर्ताओं ने दी ये धमकी

प्रधानमंत्री मोदी 15 नवंबर को धरती आबा की जयंती पर झारखंड आ रहे हैं. आदिवासी समुदाय मांग करता है कि उस दिन सरना धर्म कोड को मान्यता देने की घोषणा करें. कान्हू राम टुडू ने उलीहातु में, चंद्रमोहन मार्डी ने नया मोड़ गोलचक्कर स्थित बिरसा मुंडा की प्रतिमा के सामने आत्मदाह करने की धमकी दी है.

By Mithilesh Jha | November 11, 2023 7:19 PM
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धरती आबा बिरसा मुंडा की जयंती सह जनजातीय गौरव दिवस पर 15 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उनके बिरसा की जन्मस्थली उलिहातु आ रहे हैं. वे यहां बिरसा मुंडा को श्रद्धांजलि देंगे. खूंटी स्टेडियम में एक जनसभा को भी संबोधित करेंगे. दूसरी ओर, पीएम मोदी के आगमन को देखते हुए आदिवासी सेंगेल अभियान के दो कार्यकर्ताओं ने घोषणा की है कि यदि प्रधानमंत्री ने सरना धर्म कोड को मान्यता देने की घोषणा नहीं करते हैं, तो उसी दिन अपराह्न 4 बजे वे आत्मदाह करेंगे. इन दोनों कार्यकर्ताओं में से एक पश्चिम सिंहभूम जिला के सोनुवा प्रखंड निवासी कान्हू राम टुडू व दूसरे बोकारो जिला के पेटरवार निवासी चंद्रमोहन मार्डी हैं. दोनों कार्यकर्ताओं का कहना है कि इस राज्य का गठन भगवान बिरसा मुंडा की जयंती पर 15 नवंबर 2000 को हुआ था. आदिवासी समुदाय को आज तक धार्मिक पहचान नहीं मिली है. उन्होंने कहा कि सरना धर्म कोड को मान्यता देने की मांग लंबे अर्से से हो रही है. प्रधानमंत्री 15 नवंबर को धरती आबा की जयंती पर झारखंड आ रहे हैं. आदिवासी समुदाय उनका स्वागत करता है. साथ ही मांग करता है कि उस दिन सरना धर्म कोड को मान्यता देने की घोषणा करें. कान्हू राम टुडू ने उलीहातु में जाकर जबकि चंद्रमोहन मार्डी ने नया मोड़ गोलचक्कर स्थित बिरसा मुंडा की प्रतिमा के सामने आत्मदाह करने की धमकी दी है.

बलिदानी भावना की सराहना, लेकिन यह व्यक्तिगत फैसला : सालखन

आदिवासी सेंगेल अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष सालखन मुर्मू ने कदमा में संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि सेंगेल अभियान के दो नेताओं कान्हू राम टुडू व चंद्रमोहन मार्डी ने 15 नवंबर को सरना धर्म कोड को मान्यता नहीं देने पर आत्मदाह करने की बात कही है. सेंगेल अभियान उनके बालिदानी भावना की सराहना करता है. लेकिन यह उनका व्यक्तिगत फैसला है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जिस महान आदिवासी महापुरुष की धरती पर 15 नवंबर को आ रहे हैं, उस धरती पर रहने वाले आदिवासियों को आज तक धार्मिक पहचान नहीं मिली है. पीएम को सरना धर्म कोड को मान्यता देने की घोषणा करनी चाहिए. सालखन ने कहा कि आदिवासी समाज प्रधानमंत्री का झारखंड की धरती पर स्वागत करता है, लेकिन आदिवासी समाज उनसे अपेक्षा करता है कि वे सरना धर्म कोड की सौगात देकर जायेंगे.

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