जमशेदपुर में बिल्डिंग बायलॉज के उल्लंघन पर कार्रवाई में पक्षपात कर रहा जिला प्रशासन व अक्षेस, बोले सरयू राय

जमशेदपुर पूर्वी के विधायक सरयू राय ने कहा कि जमशेदपुर में बिल्डिंग बायलॉज के उल्लंघन पर कार्रवाई में जिला प्रशासन व अक्षेस पक्षपात कर रहा है. हाईकोर्ट के आदेश का सही से अनुपालन नहीं हो रहा है.

By Guru Swarup Mishra | June 2, 2024 6:28 PM

जमशेदपुर: जमशेदपुर पूर्वी के विधायक सरयू राय ने कहा कि जमशेदपुर में बिल्डिंग बायलॉज का घोर उल्लंघन होता आ रहा है. इसके कारण झारखंड हाईकोर्ट ने नक्शा विचलन कर निर्माण किए गए भवनों के अवैध भाग को तोड़ने का स्पष्ट आदेश दिया है, लेकिन इस निर्देश का अनुपालन जिला प्रशासन द्वारा और जमशेदपुर अक्षेस द्वारा पक्षपातपूर्ण तरीके से किया जा रहा है. जिनकी पैरवी है उनकी तरफ जिला प्रशासन और जमशेदपुर अक्षेस नजर तक नहीं उठा रहे हैं. दरबार में हाजिरी लगानेवाले अवैध भवन निर्माताओं पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है. कुछ अवैध निर्माणों को अंशिक रूप से ध्वस्त कर उच्च न्यायालय में गलत प्रतिवेदन सौंपा जा रहा है. वे रविवार को जमशेदपुर में प्रेस वार्ता कर रहे थे.

इन संरचनाओं की हो रही अनदेखी

विधायक सरयू राय ने कहा कि साकची ठाकुरबाड़ी रोड के प्लॉट नंबर 52 और 46 पर बने अवैध निर्माण और बाराद्वारी के प्लॉट नंबर 122 पर निर्माणाधीन संरचना की अनदेखी की जा रही है, जबकि उच्च न्यायालय द्वारा गठित टीम की सूची में भी ये संरचनाएं शामिल हैं. साकची में ही ‘साकची फार्मा’ के भवन का जी$2 का नक्शा पारित कर 5 तल्ला निर्माण हो गया है और पार्किंग एरिया भी नहीं है. ‘अपेक्स अस्पताल’ के भवन के निर्माण में भी भारी नक्शा विचलन हुआ है और इन भवनों के नक्शा को अनियमित रूप से पारित किया गया है. टीके कंस्ट्रक्शन की रीगल चैक पर बनी बिल्डिंग जिसमें ‘क्रोमा’ और ‘ऑक्सीजन’ जैसे उपक्रम चल रहे हैं. उनका नक्शा अनियमित होने और अनियमित नक्शा में भारी विचलन होने के बावजूद उच्च न्यायालय का आदेश इन पर लागू नहीं हो रहा है. रात 10 बजे तक सामने की सड़क पर 2-3 कतार में वाहन पार्क दिखाई पड़ते हैं.

गलत नक्शा बनाने वाले आर्किटेक्ट पर कोई कार्रवाई नहीं

विधायक सरयू राय ने कहा कि झारखंड बायलॉज के सेक्शन 440 में कॉमर्शियल एवं आवासीय भवनों के कितने हिस्से में पार्किंग रहेगा और कितना हिस्सा सैट बैक छोड़ना पड़ेगा. इसका प्रावधान है, परंतु जिला प्रशासन और जमशेदपुर अक्षेस इन प्रावधान को लागू किए बिना ही नक्शा पारित कर दे रहा है. जमशेदपुर अक्षेस में पंजीकृत गलत नक्शा बनाने वाले आर्किटेक्ट पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है. जिन अधिकारियों ने पिछले 10 वर्षों में गलत नक्शा पारित किया है उन पर तो सेक्शन 438 का उपयोग ही नहीं हो रहा है, जिसमें अनियमितता बरतने वालों पर प्राथमिकी दर्ज करने का प्रावधान है.

ऑक्यूपेंशी सर्टिफिकेट देने में भी धांधली

जमशेदपुर पूर्वी से विधायक सरयू राय ने कहा कि इससे भी बदतर स्थिति निर्मित एवं निर्माणाधीन भवनों को ऑक्यूपेंशी सर्टिफिकेट देने में हो रही है. इसमें जमशेदपुर अक्षेस और टाटा स्टील के टाउन डिवीजन दोनों द्वारा ही नियमों का उल्लंघन किया जा रहा है. संक्षेप में भवनों का नक्शा पास करने में, इन्हें ऑक्यूपेंशी सर्टिफिकेट देने में और नक्शा पारित करने में घोर धांधली हो रही है. जो सरकारी अधिकारी अनियमितताओं को दूर करना चाहते हैं, विचलन को रोकना चाहते हैं, अवैध निर्माण को ध्वस्त करना चाहते हैं, उन पर सरकार में बैठे लोगों द्वारा राजनीतिक दबाव दिया जाता है.

हाईकोर्ट का आदेश लागू करने में पक्षपात

सरयू राय बताते हैं कि वे अधिवक्ता अखिलेश श्रीवास्तव और याचिकाकर्ता राकेश झा से मिले और बातचीत की. इससे निष्कर्ष निकला कि जिला प्रशासन और जमशेदपुर अक्षेस के स्तर पर उच्च न्यायालय के आदेश को लागू करने में पक्षपात किया जा रहा है. इनके द्वारा झारखंड बिल्डिंग बायलॉज और नगरपालिका अधिनियम में प्रदत्त शक्तियों का सही ढंग से इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है. जमशेदपुर में दो नगर पालिका चल रही है. एक झारखंड सरकार की और दूसरा टाटा स्टील की. नगर पालिका का यह डबल इंजन अलग-अलग पटरियों पर दौड़ रहा है, जिसका खामियाजा जनता को भुगतना पड़ रहा है.

दोहरी नीति मे पीस रही आम जनता

सरयू राय ने कहा कि एक ओर टाटा लीज से बाहर की बस्तियों को मालिकाना हक देने में नियमों का गलत हवाला देकर अनाकानी की जा रही है तो दूसरी ओर लीज क्षेत्र और लीज क्षेत्र के बाहर निर्मित एवं निर्माणाधीन भवनों में हो रही अनियमितताओं की ओर आंख मंदा जा रहा है. इस दोहरी नीति की शिकार जनता इनके बीच पीस रही है. उन्होंने अधिवक्ता अखिलेश श्रीवास्तव और याचिकाकर्ता राकेश झा को आश्वस्त किया कि जमशेदपुर में नगरपालिका के दोहरे प्रचलन के चलते आम जनता को हो रहे नुकसान और अवैध भवनों के निर्माण के कारण जनसुविधाओं में आ रही कठिनाइयों के मद्देनजर जनहित में जरूरी हुआ तो वे उच्च न्यायालय में चल रहे प्रासंगिक मामले में हस्तक्षेप करने को तैयार हैं.

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