सब्जियों की बंपर पैदावार से खरीददारों की बल्ले-बल्ले, लेकिन सब्जी विक्रेता क्यों हैं परेशान? देखें वीडियो
जमशेदपुर में लोकल सब्जियों की आवक से सब्जियों के दाम कम हो गए हैं. इससे खरीददार तो मस्त हैं, लेकिन सब्जी विक्रेता परेशान हैं. पढ़िए सब्जी विक्रेताओं की पीड़ा बयां करती ये रिपोर्ट.
जमशेदपुर, संजय मिश्र: झारखंड के पूर्वी सिंहभूम जिले के पटमदा, बोड़ाम और तमाड़ में सब्जियों की बंपर पैदावार के बाद सब्जी बाजार में खरीददारों के लिए तो बहार है, लेकिन सब्जी बेचने वाले और सब्जी उपजाने वाले किसान दोनों ही हैरान-परेशान हैं. करीब एक महीने पहले सब्जी बाजार में जो फूलगोभी पचास की एक बिक रही थी, आज पांच रुपये में भी खरीददार नहीं हैं. यही हालत टमाटर, लौकी, कद्दू , बैंगन, पालक, सरसों, मेथी से लेकर सभी मौसमी साग-सब्जियों की है. सब्जियां बिक तो रही हैं लेकिन कमाई कम हो गयी है.
सब्जी विक्रेताओं की दिहाड़ी बराबर भी नहीं हो रही आमदनी
जमशेदपुर शहर के सबसे पुराने साकची के टिनशेड सब्जी बाजार में सब्जी दुकानदारों के अनुसार दिहाड़ी बराबर भी आमदनी नहीं है. करीब पचास साल से सब्जी बेचने वाले बमबम बताते हैं कि एक महीने पहले सब्जी के दाम आसमान पर थे. तब भी परेशानी थी. अब अचानक सब्जियों की आवक बढ़ गयी है तो दाम धड़ाम से नीचे गिरने से परेशानी ज्यादा बढ़ गयी है. टमाटर, फूलगोभी, बंधगोभी, गांठ गोभी, ब्रोकली को पूछने वाला कोई नहीं है. किसानों की परेशानी तो और है.
चालीस रुपये किलो में भी नहीं मिल रहे धनिया पत्ता के खरीददार
अस्सी की उम्र पार कर चुके नथुनी प्रसाद धनिया पत्ता का ढेर लेकर बैठे हैं. चालीस रुपये किलो में भी खरीददार नहीं मिल रहा है. युवा सब्जी बेचने वालों ने इस मार से बेचने का जुगाड़ लगाया है. कोची मैती भरवा अचार वाला लाल मिर्च, पकौड़े में इस्तेमाल होने वाला हरा मिर्चा, बड़े आंवले जैसे अलग प्रकार की सब्जियां को अपनी दुकान में शामिल कर लिया है क्योंकि इसके दाम अब भी अच्छे मिल रहे हैं.
दाम कम होने के बाद भी हैं खरीदार कम
मानगो शंकोसाई से आने वाली सुगिया कहती है कि फूलगोभी के चक्कर में आज रोटी का भी खर्चा नहीं निकलेगा. उसके पड़ोस में रहने वाली सोमवारी बताती है कि दाम कम होने के बाद भी सब्जी खरीददार कम हैं. इससे अच्छा तो रेजा का काम करना है.
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