कोल्हान के क्षेत्रीय परिवहन प्राधिकार (आरटीए) की बैठक शुक्रवार को भी स्थगित कर दी गयी. 27 जनवरी को सुबह 11 बजे से बैठक आहूत की गयी थी, लेकिन अंतिम समय में सूचित किया गया कि मीटिंग स्थगित कर दी गयी है. अब यह मीटिंग तीन फरवरी को सुबह 11 बजे आहूत की गयी है.
कोल्हान के क्षेत्रीय परिवहन प्राधिकार के सचिव सह उपपरिवहन आयुक्त की ओर से जारी पत्र में कहा गया है कि किसी कारण से इसको स्थगित किया गया है. करीब तीन साल के बाद राज्य सरकार ने आरटीए का गठन किया. उसके बाद लगातार तीन बार मीटिंग स्थगित की गयी है. करीब 150 बसें परमिट के बगैर संचालित हो रही हैं. बैठक स्थगित होने से मायूसी हाथ लगी है.
जमशेदपुर से लंबी दूरी की 300 बसें खुलती हैं, जिनमें करीब 15 हजार यात्री सफर करते हैं. लेकिन करीब 150 बसें यहां से ऐसी खुलती हैं, जिनका परमिट फेल है. यह सीधे तौर पर यात्रियों की जान के साथ खिलवाड़ है. अगर कोई यात्री ऐसी बस में यात्रा करता है, तो दुर्घटना के बाद बीमा राशि भी नहीं मिलेगी.
जमशेदपुर से बोकारो, धनबाद, हजारीबाग, गिरिडीह, दुमका, देवघर, रांची, डाल्टनगंज के साथ बिहार के मुजफ्फरपुर, भागलपुर, मधेपुरा, सहरसा, आरा, बक्सर, सासाराम, बिहारशरीफ, पटना, गया, छपरा, सीवान के लिए प्रतिदिन बसें खुलती हैं. जमशेदपुर से बिहार जाने वाली अधिकतर बसों का या तो परमिट नहीं है या फेल है. शहरी इलाके के टेम्पो ग्रामीण क्षेत्र के परमिट पर चल रहे हैं.
लंबी दूरी की बसों के मालिकों के एसोसिएशन के अध्यक्ष उदय शर्मा ने कहा कि बिना परमिट वाली बसों में यात्रा करने से खतरा होता है कि दुर्घटना होने पर यात्रियों को बीमा की राशि नहीं मिल सकती है. बस मालिकों को भी नुकसान होता है. इस कारण परमिट जरूरी है. परमिट नहीं है तो हम लोग क्या कर सकते हैं. यह सरकार की गलती है. हम लोगों ने तो आवेदन दे रखा है.
एमवीआइ बिमल किशोर सिंह ने बताया कि बसों का परमिट जरूरी है. जिनका आवेदन लंबित है, उस पर सरकार फैसला लेगी.