1978 में मतलाडीह में पहली बार गुरुजी से मिले चंपई सोरेन, फिर बढ़ती गयीं नजदीकियां

8 सितंबर, 1980 को गुवा गोलीकांड के बाद झारखंड आंदोलनकारी शैलेंद्र महतो जमशेदपुर आ गये. वे शिबू सोरेन के काफी करीबी रहे. शिबू सोरेन जब चाईबासा आते थे, तो जमशेदपुर सर्किट हाउस आते थे. यहां शैलेंद्र महतो के साथ करनडीह होकर सोमाय झोपड़ी जाते थे.

By Prabhat Khabar News Desk | February 3, 2024 3:24 AM

जमशेदपुर : झारखंड के मुख्यमंत्री बने चंपई सोरेन की झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन से पहली मुलाकात 10 सितंबर, 1978 को बागबेड़ा के मतलाडीह में हुई थी. संगठन को लेकर चंपई सोरेन की सोच और गुरुजी के प्रति सम्मान भाव के कारण दोनों करीब आते गये. वर्ष 1981 में चंपई सोरेन विधिवत रूप से झामुमो से जुड़ गये. 1986 में उन्हें सिंहभूम झामुमो का जिलाध्यक्ष बनाया गया. इसके बाद चंपई सोरेन ने पीछे नहीं देखा. वे झामुमो से विधायक बने. पार्टी में इतने लोकप्रिय हुए कि शिबू सोरेन उन्हें चंपई बाबू कहकर बुलाते हैं. गुरुजी कोल्हान दौरा में हमेशा चंपई सोरेन को अपने साथ रखते हैं. उनके (चंपई सोरेन) अनुसार, गुरुजी ही यहां के राजनीतिक आंदोलन की रूपरेखा तय करते थे. चंपई सोरेन अर्जुन मुंडा सरकार में मंत्री रहे. बाद में, झामुमो सरकार में मंत्री रहे. अब झारखंड के 12वें मुख्यमंत्री बन गये हैं. दरअसल, शिबू सोरेन की भतीजी का विवाह मतलाडीह में है.

धीरे-धीरे झामुमो के करीब आये

8 सितंबर, 1980 को गुवा गोलीकांड के बाद झारखंड आंदोलनकारी शैलेंद्र महतो जमशेदपुर आ गये. वे शिबू सोरेन के काफी करीबी रहे. शिबू सोरेन जब चाईबासा आते थे, तो जमशेदपुर सर्किट हाउस आते थे. यहां शैलेंद्र महतो के साथ करनडीह होकर सोमाय झोपड़ी जाते थे. चंपई सोरेन अक्सर करनडीह में रहते थे. वे भी गुरुजी से मिलने आते थे. इससे दोनों की बीच नजदीकियां बढ़ती गयीं. इस दौरान निर्मल महतो, कृष्णा मार्डी और सूर्य सिंह बेसरा भी झामुमो के साथ जुड़ गये.

पूर्वी और पश्चिमी सिंहभूम को बांटने से नाराज थे चंपई

उत्कल एसोसिएशन में हुए सम्मेलन में पार्टी के महासचिव शैलेंद्र महतो ने कृष्णा मार्डी को 1981 में सिंहभूम का जिलाध्यक्ष बनाया, जो 83 तक रहे. 1985 में कृष्णा मार्डी चुनाव जीत गये, तो उनकी जगह चंपई सोरेन को सिंहभूम का जिलाध्यक्ष बनाया गया. 1986 में पूर्वी सिंहभूम को अलग जिला बनाया गया, तो पहला अध्यक्ष रामदास सोरेन को बनाया गया. चंपई सोरेन यथावत सिंहभूम के अध्यक्ष बने रहे. पूर्वी सिंहभूम और पश्चिम सिंहभूम जिला को संगठन हित में अलग-अलग बांटने को लेकर चंपई सोरेन कुछ नाराज भी हुए थे, लेकिन उन्हें गुरुजी व शैलेंद्र महतो ने मिलकर समझाया.

शहर में झामुमो की मजबूती के लिए बारी मैदान में हुई थी सभा

वर्ष 1986 में शैलेंद्र महतो केंद्रीय सचिव बने. इसके बाद सीतारामडेरा आदिवासी भवन में 22 जून, 1986 को आजसू पार्टी का गठन किया गया. सिंहभूम के देहात एरिया में झामुमो का संगठन काफी बड़ा आकार ले रहा था. हालांकि, शहरी एरिया में उनकी पकड़ नहीं थी. इस कारण शैलेंद्र महतो को झामुमो के केंद्रीय अध्यक्ष रहे निर्मल महतो ने कांड्रा से जुलूस निकालकर बारी मैदान में आने को कहा. इस जुलूस में चंपई सोरेन पूरी ताकत के साथ शैलेंद्र महतो के साथ रहे. बारी मैदान में मजदूरों की बड़ी सभा हुई, जिसके बाद शहर में भी झामुमो का संगठन खड़ा होना शुरू हो गया.

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