बेटियों के बचपन से खिलवाड़: छात्रा के बाल विवाह की जानकारी मिली तो शिक्षा सचिव गये घर, ये है पूरा मामला
जमशेदपुर में बेटियों के बचपन से खिलवाड़ हो रहा है. दसवीं की शिक्षा पूरी करने से पहले ही बेटियों की शादी करवा दी जा रही है. ऐसा गांव में नहीं शहर के बीचोबीच गोलमुरी में हुआ. जानकारी मिलने के बाद शिक्षा सचिव उनके घर गये और पढ़ाई जारी रखने का आग्रह किया.
जमशेदपुर में बेटियों के बचपन से खिलवाड़ हो रहा है. दसवीं की शिक्षा पूरी करने से पहले ही बेटियों की शादी करवा दी जा रही है. ऐसा गांव में नहीं शहर के बीचोबीच गोलमुरी में हुआ. इसका खुलासा तब हुआ जब मंगलवार को स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के सचिव के. रवि कुमार मंगलवार को औचक निरीक्षण करने शहर पहुंचे. वे सबसे पहले गोलमुरी स्थित माइकल जॉन हाई स्कूल पहुंचे. यहां उन्होंने दसवीं विद्यार्थियों की उपस्थिति पंजी देखी, जिसमें पाया कि स्कूल की एक छात्रा करीब छह माह से अनुपस्थित है.
कारण पूछने पर शिक्षक ने ठोस जवाब नहीं दे पाये. पूछताछ में पता चला कि छात्रा की शादी हो गयी है. इस वजह से वह स्कूल नहीं आ रही है. जानकारी मिलने के बाद शिक्षा सचिव छात्रा के घर पहुंचे. छात्रा की मां ज्योति मिश्रा से बातचीत की. बातचीत के क्रम में पता चला कि उसके पिता की मौत 2014 में हो गयी थी. आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है. रिश्तेदारी में ही एक लड़का ठीक लगा.
बड़ी बेटी से शादी करने को कहा, लेकिन उसने मना कर दिया. बड़ी बहन ग्रेजुएट कॉलेज में पढ़ाई कर रही है, इसके बाद घर वालों ने दसवीं में पढ़ाई करने वाली छोटी बेटी से शादी करवा दी. शिक्षा सचिव ने छात्रा की मां को प्रेरित की और बेटी को आगे की शिक्षा देने की बात कही. छात्रा अभी चाईबासा में रहती है.
राज्य में वयस्क होने से पूर्व 5.8 प्रतिशत बच्चियों का हो रहा है विवाह
केंद्रीय गृह मंत्रालय के नवीनतम जनसांख्यिकीय नमूना सर्वेक्षण के अनुसार झारखंड में बालिकाओं का वयस्क होने से पहले विवाह करने का प्रतिशत 5.8 है. उक्त आंकड़ा गृह मंत्रालय के महापंजीयक और जनगणना आयुक्त के कार्यालय द्वारा सर्वेक्षण के जरिये सामने आया है.
झारखंड के गांव में सबसे अधिक बुरा हाल:
झारखंड के गांव में बेटियों के बचपन से सबसे अधिक खिलवाड़ हो रहा है. यहां 7.3 प्रतिशत बच्चियों का विवाह 18 साल से कम उम्र में किया गया, जबकि शहरों में यह मामला तीन प्रतिशत तक है.
शिक्षा सचिव ने मंगलवार को शहर के दो सरकारी स्कूलों (गोलमुरी स्थित माइकल जॉन हाई स्कूल व काशीडीह स्थित आर्य वैदिक मध्य विद्यालय) का औचक निरीक्षण किया. उन्होंने स्कूल की आधारभूत संरचना देखी इसके साथ बच्चों से बातचीत की, उन्हें कई सवालों को हल करने दिया. उन्होंने कहा- मुख्यालय स्तर व जिला स्तर के विभागीय अधिकारी, तीन माह पर नियमित रूप से सरकारी स्कूलों का निरीक्षण करें. जिससे जो योजनाएं चल रही हैं, उसकी मॉनिटरिंग अच्छे से हो.
शिक्षा सचिव को स्कूलों में ये कमियां मिलीं
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स्कूलों में आधारभूत संरचना की कमी है.
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शौचालय की स्थिति खराब है.
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शहरी क्षेत्र के बच्चों को मिड डे मील में अंडे नहीं दी जाती है.
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बच्चों की उपस्थिति काफी कम है.
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कई बच्चे लंबे समय से अनुपस्थित हैं, लेकिन इसकी जानकारी प्रिंसिपल या शिक्षक को नहीं है.
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स्कूल डेवलपमेंट फंड में राशि है उसके बावजूद उसका स्कूल के विकास के लिए उपयोग नहीं हो रहा है.
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शिक्षक लेशन प्लान तैयार नहीं कर रहे हैं.
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ज्ञान सेतु पर नियमित रूप से कोई काम नहीं हो रहा है.
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बच्चों का सिलेबस पूरा नहीं हो रहा.
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बच्चों के खेलने की समुचित व्यवस्था नहीं है.
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एक ही क्लास में कुछ बच्चे बेहतर हैं तो कुछ बच्चे की शैक्षणिक स्थिति औसत से भी खराब है.
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स्कूलों में रंगरोगन नहीं हुआ है , फाइलें ठीक से नहीं रखी है