सीएम चंपाई सोरेन ने अपने गांव के लोगों से मिलकर सुनी उनकी परेशानी, इन्हें बुलाया रांची

दिशोम देश परगना बैजू मुर्मू के नेतृत्व में एक दल गुरुवार को सीएम चंपाई सोरेन से मुलाकात की. उन्होंने आदिवासियों के सर्वांगीण विकास के मुद्दे पर मुख्यमंत्री के साथ चर्चा की.

By Prabhat Khabar News Desk | February 15, 2024 11:35 PM

रांची : मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन गुरुवार को रांची के लिए प्रस्थान करने से पहले सरायकेला-खरसावां जिले के गम्हरिया प्रखंड स्थित अपने पैतृक गांव जिलिंगगोड़ा में आम लोगों से मिले और उनकी परेशानियों को सुना. साथ ही त्वरित और यथोचित निराकरण करने का भरोसा दिया. चंपाई सोरेन ने कहा कि जन समस्याओं का समाधान सरकार की प्राथमिकता है. उनकी सरकार का हमेशा से प्रयास रहा है कि जनता की परेशानियों का निदान करे. यही वजह है कि ‘आपकी योजना- आपकी सरकार- आपके द्वार’ कार्यक्रम के तहत अधिकारियों का दल आपके दरवाजे पर पहुंचा और आपकी समस्याओं को पूरी संवेदनशीलता के साथ सुनकर उसका समाधान किया. यह सिलसिला आगे भी जारी रहेगा.

देश परगना बैजू मुर्मू ने मुख्यमंत्री आदिवासी मुद्दों पर बातचीत व 12 सूत्री मांग पत्र सौंपा

दिशोम देश परगना बैजू मुर्मू के नेतृत्व में एक दल गुरुवार को सीएम चंपाई सोरेन से मुलाकात की. उन्होंने आदिवासियों के सर्वांगीण विकास के मुद्दे पर मुख्यमंत्री के साथ चर्चा की. परगना बाबा ने आदिवासियों की सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक, शैक्षणिक व धार्मिक समेत अन्य मुद्दे को उनके समक्ष रखा. उन्होंने मुख्यमंत्री को बताया कि आदिवासी संताल समाज आदिकाल से ही अपने सामाजिक रीति रिवाज, पूजा पद्धति, धर्म, भाषा, संस्कृति, जल जंगल जमीन तथा परंपरा का निर्वाह करते हुए अपने अस्तित्व को स्थापित किया है.

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सदियों से पारंपरिक स्वशासन व्यवस्था के तहत संचालित होते आ रहे हैं, लेकिन वर्तमान में भारत के संविधान में आदिवासियों को प्रदत्त संवैधानिक अधिकार, जिसमें आदिवासियों के नियंत्रण, स्वशासन एवं उन्नति और कल्याण को अधिकार प्राप्त हैं, उनका हनन हो रहा है. उन्हें संरक्षण व संवर्धन किया जाये. इस संबंध में देश परगना बैजू मुर्मू व उनकी टीम ने उन्हें एक मांग पत्र भी सौंपा. मौके पर मुख्यमंत्री ने आदिवासी स्वशासन व्यवस्था के प्रमुख माझी बाबा, परगना आदि को सामाजिक मामलों पर चर्चा के लिए 17 फरवरी को रांची बुलाया. ज्ञापन सौंपने वाले प्रतिनिधिमंडल में बैजू मुर्मू, देश पारगना बाबा धाड़ दिशोम, लखन मार्डी, मधु सोरेन, दुर्गा चरण मुर्मू, सुनील मुर्मू नरसिंह मुर्मू आदि शामिल थे.

क्या है प्रमुख मांगें

  • झारखंड का स्थानीय नीति राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में हुए अंतिम सर्वे सेटेलमेंट खतियान के आधार पर बने तथा नियोजन नीति पंचवर्षीय क्षेत्र में प्रखंड स्तर पर बनायी जाये.

  • संताली भाषा संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल है, इसलिए संताली भाषा को झारखंड में प्रथम राज्य भाषा का दर्जा अविलंब दिया जाये.

  • प्राथमिक विद्यालयों से विश्वविद्यालय तक संथाली भाषा को ओलचिकी लिपि से पढ़ाई सुनिश्चित करने के लिए ‘भाषाई अल्पसंख्यक बोर्ड’ का अविलंब गठन किया जाये. आवश्यकता अनुसार संताली भाषा शिक्षकों की बहाली अविलंब किया जाये.

  • आगामी आम जनगणना में सरना धर्म को मान्यता देते हुए कलम कोड को जनगणना प्रपत्र में अंकित करने के लिए सरकार उचित पहल करे.

  • ‘लैंड पूल’ कानून से सीएनटी-एसपीटी कानून का घोर उल्लंघन हो रहा है तथा ‘लैंड बैंक’ कानून से ग्राम सभा के सार्वजनिक स्थलों/ जमीनों को ग्राम सभा से छीना जा रहा है, इसलिए दोनों कानून का अविलंब निरस्त करें.

  • झारखंड राज्य की विकास में जनजाति समुदाय का अहम भूमिका सुनिश्चित हो. इसके लिए टीएसी के 20 सदस्यों के अलावा आदिवासी पारंपरिक स्वशासन व्यवस्था के अगुवा परगना, माझी, मानकी, मुंडा, ढोकलो शोहोर, पड़हा राजा आदि को शामिल किया जाये.

  • पांचवीं अनुसूचित क्षेत्रों में पेसा नियमावली को अविलंब लागू किया जाये.

  • आदिवासी संताल समाज का धार्मिक धरोहर मारांग बुरु (पारसनाथ) गिरीडीह और लुगू बुरु, लालपानिया, बोकारो को राज्य सरकार द्वारा गजट नॉटिफिकेशन जारी कर आदिवासियों के नाम सुरक्षित एवं संरक्षित किया जाये.

  • पांचवी अनुसूचित क्षेत्रों में नगर निगम व नगर पालिका का गठन संविधान की अनुच्छेद 243 जेडसी के तहत असंवैधानिक है. अतः अनुसूचित क्षेत्रों में गठित नगर निगम, नगर पालिका, नगर पंचायत को अविलंब निरस्त किया जाये.

  • पांचवीं अनुसूचित क्षेत्रों में जनजाति भाषा, संस्कृति, रीति रिवाज व पारंपरिक स्वशासन व्यवस्था को जानने वाले प्रशासनिक पदाधिकारी को ही बहाल किया जाये.

  • जनजाति आदिवासी समुदाय के जाहेरथान, देशावली, सरना, मासना, माण घाटी, गोट टांडी आदि सार्वजनिक स्थल, जिसका प्लॉट खतियान में दर्ज नहीं है. इससे विभिन्न प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है, इसलिए इन सभी सार्वजनिक स्थलों का पट्टा दिया जाये.

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