कोरोना के नये वैरिएंट Omicron से खतरे के बीच अच्छी खबर,CSIR के वैज्ञानिकों ने ‘सुपर वैक्सीन’ की तैयार की तकनीक

jharkhand news: जमशेदपुर पहुंचे CSIR के चीफ साइंटिस्ट डॉ राजेंद्र प्रसाद सिंह ने MRNA तकनीक से वैक्सीन तैयार करने की बात कही. इसमें CSIR के वैज्ञानिकों ने अहम भूमिका निभायी है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 28, 2021 3:53 PM

Coronavirus Update News: कोराेना वायरस के नये वैरिएंट ओमिक्रोन (B.1.1.529) से गंभीर खतरे की आशंका के बीच अच्छी खबर है कि भारत के काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्चर (CSIR) के वैज्ञानिकों ने कोरोना के हर प्रकार के वैरिएंट से लड़ने के लिए ‘सुपर वैक्सीन’ तैयार करने की टेक्नोलॉजी विकसित की है.

अमेरिका में जिस मैसेंजर राइबोन्यूक्लिक एसिड (MRNA) तकनीक के इस्तेमाल से अमेरिकी दवा कंपनी का फाइजर और दूसरा टीका मोर्डना तैयार किया गया था. उसी MRNA तकनीक को भारतीय वैज्ञानिकों ने भी विकसित कर लिया है. इसमें CSIR के वैज्ञानिकों ने अहम भूमिका निभायी है.

प्रभात खबर से खास बातचीत में CSIR के चीफ साइंटिस्ट सह इनोवेशन मैनेजमेंट एंड डायरेक्टोरेट डॉ राजेंद्र प्रसाद सिंह ने यह जानकारी दी. श्री सिंह CSIR-NML में आयोजित एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने जमशेदपुर शहर पहुंचे थे. डॉ सिंह कहा कि MRNA तकनीक का लैब टेस्ट हो चुका है. दिसंबर में इसका ट्राइल जानवरों पर किया जायेगा.

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कैंसर के इलाज की जगी उम्मीद

कैंसर जैसी लाइलाज बीमारी को भी MRNA टीकों का प्रोटीन हरा सकता है. विश्व में अब तक निपाह, जीका, हपींज, डेंगू और हेपेटाइटिस के लिए एमआरएनए टीकों की घोषणा की गयी है. वैज्ञानिकों का मानना है कि इस तकनीक के इस्तेमाल से कैंसर के मरीजों को ठीक किया जा सकता है.

यह तकनीक तेजी से डेवलप करती है एंटी बॉडी

भारत में अब तक इस्तेमाल हो रहे कोविशील्ड या कोवैक्सीन दोनों से यह वैक्सीन अलग होगा. कारण है अब तक मौजूद वैक्सीन में एक वायरस के एमआरएनए कोड का इस्तेमाल किया गया है. जबकि एमआरएनए (मैसेंजर राइबोन्यूक्लिक एसिड) से बनने वाली वैक्सीन में कई प्रकार के कोरोना वायरस के एमआरएनए कोड को एक साथ जोड़ दिया गया है.

इसके ट्रायल में पाया गया है कि यह एक साथ कई प्रकार की स्पाइक प्रोटीन का सामना कर सकता है. प्रोटीन के जरिये ही इंसान के शरीर में संक्रमण की शुरुआत होती है और यह तेजी से एंजाइम रिसेप्टर से जुड़कर फेफड़ों में पहुंचता है. लेकिन, एमआरएनए तकनीक से बने वैक्सीन कई गुणा अधिक एंटी बॉडी डेवलप करता है, जिससे किसी प्रकार के संक्रमण का कोई खतरा नहीं रहेगा.

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तेजी से हो सकता है वैक्सीन उत्पादन : डॉ राजेंद्र प्रसाद सिंह

सीएसआईआर के चीफ साइंटिस्ट डॉ राजेंद्र प्रसाद सिंह ने कहा कि एमआरएनए टेक्नोलॉजी से वैक्सीन बनाने के लिए कोराेना वायरस की जरूरत नहीं होती है. ऐसे में एमआरएनए टेक्नोलॉजी के जरिये वैक्सीन के उत्पादन काफी तेजी से किया जा सकता है. भारत में अब अगर कोरोना के अलावा किसी भी प्रकार के वायरस से महामारी की स्थिति आती है, तो देश एक सप्ताह के अंदर ही उस वायरस को मात देने के लिए वैक्सीन तैयार करने की क्षमता रखता है. अब तक इसका इस्तेमाल अमेरिका में हो रहा था.

रिपोर्ट: संदीप सवर्ण, जमशेदपुर.

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