15.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

Coronavirus In Jharkhand : जमशेदपुर में बेटी के लिए डॉ पिता वेंटिलेटर की लगाता रहा गुहार लेकिन नहीं मिली सहायता, तड़प तड़प कर बेटी ने तोड़ा दम, जानें पूरा मामला

डॉ सुरभि की मौत के बाद उनके पिता डॉ मनोज कुमार बर्मन ने मेडिट्रीना की चिकित्सीय व्यवस्था व वहां के डॉक्टर व मेडिकल स्टाफ के व्यवहार पर सवाल उठाते हुए पूरे मामले की जांच की मांग की है. डॉ बर्मन की शिकायत पर सरायकेला-खरसावां के सिविल सर्जन डॉ हिमांशु भूषण बरवार ने दो डॉक्टरों की टीम गठित कर जांच का आदेश दिया है.

Jharkhand News, Coronavirus Jamshedpur Updates जमशेदपुर : 20 मई की सुबह 6.30 बज रहे थे. आदित्यपुर के मेडिट्रीना अस्पताल में केबिन नंबर तीन में भर्ती डॉ सुरभि कंचन जीवन की हर सांस के लिए संघर्ष कर रही थीं. उसके डॉक्टर पिता डॉ मनोज कुमार बर्मन डॉक्टरों से लगातार वेंटिलेटर सपोर्ट देने का अनुरोध कर रहे थे, जिसे मेडिट्रीना के डॉक्टर गैर जरूरी करार देते रहे. जीवन के लिए संघर्ष करती डॉ सुरभि की स्थिति बिगड़ती गयी. लगातार 24 घंटे हर सांस के लिए संघर्ष करती डॉ सुरभि की आखिरकार मौत हो गयी.

डॉ सुरभि की मौत के बाद उनके पिता डॉ मनोज कुमार बर्मन ने मेडिट्रीना की चिकित्सीय व्यवस्था व वहां के डॉक्टर व मेडिकल स्टाफ के व्यवहार पर सवाल उठाते हुए पूरे मामले की जांच की मांग की है. डॉ बर्मन की शिकायत पर सरायकेला-खरसावां के सिविल सर्जन डॉ हिमांशु भूषण बरवार ने दो डॉक्टरों की टीम गठित कर जांच का आदेश दिया है.

डॉ बर्मन के अनुसार उन्होंने सहयोगी डॉ रामकुमार की सलाह पर बेटी को मेडिट्रीना अस्पताल में 19 मई को भर्ती कराया था. डॉ रामकुमार ने डॉ सुजीत से अस्पताल में केस देखने को कहा था, लेकिन वह वहां मौजूद नहीं थे. जिस समय बेटी डॉ सुरभि का भर्ती कराया गया, उसकी तबीयत ठीक थी और बुखार नहीं था़ न ही सांस फूल रही थी.

परामर्श शुल्क लेने के बावजूद उस रात तक डॉ रामकुमार, डॉ सुजीत अथवा कोई डॉक्टर देखने नहीं आये. रात के ऑन ड्यूटी डॉक्टर अथवा इलाज व दवा की जानकारी पूछने पर भी उन्हें नहीं दी गयी. 20 मई की सुबह बेटी को सांस लेने में परेशानी हुई. सुबह के राउंड में डॉ रामकुमार व डॉ सुजीत आये, लेकिन वेंटिलेटर सपोर्ट देने का अनुरोध करने पर डॉ रामकुमार ने यह कहकर मना कर दिया कि ‘कोई फायदा नहीं’ होगा.

बाद में आईसीयू में शिफ्ट कर बाईपेप मशीन सपोर्ट दिया गया, जो उस समय अपर्याप्त था. डॉ बर्मन ने आरोप लगाया कि 21 मई को भी उनके अनुरोध के बावजूद वेंटिलेटर सपोर्ट नहीं दिया गया. इस दौरान ऑक्सीजन लेवल 40 तक पहुंचने पर बेटी मेरे सामने ही बिस्तर पर लुढक गयी. मैंने उसे कॉर्डियक मसाज देना शुरू किया और दो मिनट में वह होश में आ सकी.

उस समय डॉ कौशल उसे देखने आये. अचानक आइसीयू के मॉनिटर पर एसिस्टोल (हार्ट बिट स्टॉप) प्रदर्शित होते देखा. उस समय वहां डॉ कौशल, डॉ मुकुल और नर्सिंग स्टॉफ मौजूद थे, लेकिन कोई जीवन बचाने के अंतिम प्रभावी उपाय में शामिल कॉर्डियक मसाज बेटी को नहीं कर रहा था. डॉ मुकुल ने मुझे यह कहकर बाहर कर दिया कि उनकी मौजूदगी में वह परफॉर्म नहीं कर सकते. कुछ मिनट बाद ही डॉ कौशल ने बाहर आकर डॉ सुरभि के निधन की सूचना दी.

हमने ईमानदारी और गंभीरता से इलाज किया. नवंबर 2020 में डॉ सुरभि कंचन को ब्रेन फीवर हुआ था, जिसका इलाज चल रहा था. इससे वह कमजोर हो गयी थी. फिर वह कोरोना संक्रमित हो गयीं. डॉ सुरभि कंचन की मौत का हमें भी अफसोस है, क्योंकि वह हमारे परिवार का ही हिस्सा थीं.

डॉ रामकुमार व डॉ सुजीत, मेडिट्रीना अस्पताल

Posted By : Sameer Oraon

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें