”सीओ की नोटिस का दलमा इसीजेड और सुवर्णरेखा नदी तट से संबंध नहीं”
एनजीटी (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) ने भुइयांडीह स्थित इंद्रानगर- कल्याण नगर के बस्तीवासियों का घर तोड़ने के नोटिस के विरुद्ध दायर हस्तक्षेप याचिका को सुनने से इनकार कर दिया.
एनजीटी ने इंद्रानगर-कल्याण नगर बस्तीवासियों का मुकदमा सुनने से किया इनकार
जमशेदपुर
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एनजीटी (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) ने भुइयांडीह स्थित इंद्रानगर- कल्याण नगर के बस्तीवासियों का घर तोड़ने के नोटिस के विरुद्ध दायर हस्तक्षेप याचिका को सुनने से इनकार कर दिया. एनटीजी ने कहा कि बस्तीवासियों का घर तोड़ने के लिए जमशेदपुर के अंचलाधिकारी द्वारा दी गयी नोटिस का एनजीटी के प्रासंगिक मुकदमा से कोई संबंध नहीं है. बस्तीवासियों की तरफ से सुप्रीम कोर्ट के वरीय अधिवक्ता संजय उपाध्याय ने हस्तक्षेप याचिका दायर की थी. एनजीटी ने वरीय अधिवक्ता को सुनने के बाद कहा कि जमशेदपुर अंचलाधिकारी की नोटिस का न तो दलमा इको सेंसेटिव जोन से इन घरों की दूरी का कोई संबंध है और न ही सुवर्णरेखा नदी तट से इनकी दूरी का कोई संबंध है. वहीं इस संबंध में विधायक सरयू राय ने कहा कि जमशेदपुर अंचलाधिकारी की यह नोटिस जिला प्रशासन का मामला है. एनजीटी में अपना पक्ष रखते हुए वरीय अधिवक्ता संजय उपाध्याय ने कहा कि जमशेदपुर के तमाम अखबारों में प्रमुखता से खबर प्रकाशित हो रही है कि इंद्रानगर- कल्याण नगर के करीब 150 घरों को तोड़ने की नोटिस जिला प्रशासन ने एनजीटी के आदेश पर जारी की है. इस पर एनजीटी की बेंच ने कहा कि इन घरों का उल्लेख एनजीटी के आदेशानुसार गठित संयुक्त जांच समिति के प्रतिवेदन में नहीं है. झारखंड सरकार के वन पर्यावरण विभाग की रिपोर्ट में भी इसका उल्लेख नहीं है.झारखंड सरकार के मुख्य सचिव ने अभी तक शपथ पत्र नहीं दिया है कि किनके घर तोड़े जायेंगे. एनजीटी ने बस्तीवासियों के अधिवक्ता संजय उपाध्याय की दलील पर कहा कि आगे कभी झारखंड सरकार के किसी प्रतिवेदन में अथवा मुख्य सचिव के शपथ पत्र में इन घरों को एनजीटी के निर्देशानुसार तोड़ने की बात आयेगी, तो उस समय आप इस मामले को लेकर एनजीटी के सामने आने के लिए स्वतंत्र हैं.
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