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कोल्हान की लाइफलाइन ‘टीएमएच’ में 30 दिनों में 25 बच्चों की मौत, तीन माह से लेकर 15 साल तक के बच्चे हैं शामिल

बच्चों की मौत की वजहें अलग-अलग हैं. खुद टीएमएच प्रबंधन भी चिंतित है. मौत के आंकड़े में बच्चों में तेज बुखार के बाद इलाज के दौरान मौत होने की संख्या अधिक है. यह रहस्य जरूर बना हुआ है कि आखिर इन बच्चों की मौत कैसे होती गयी?

जमशेदपुर, ब्रजेश सिंह : जमशेदपुर ही नहीं कोल्हान की लाइफलाइन टाटा मुख्य अस्पताल (टीएमएच) में सितंबर माह में बच्चों की लगातार मौत के चौंकाने वाले आंकड़े सामने आये हैं. सिर्फ एक माह में 25 बच्चों की मौत हुई है, जिसमें तीन माह से लेकर 15 साल तक के बच्चे शामिल है. इन बच्चों को बुखार या डेंगू के बाद इलाज के लिए भर्ती कराया गया था. हाल के दिनों में हुई बच्चों की मौत की संख्या सामान्य से अधिक है. इसमें शहर के हर इलाके के बच्चे शामिल हैं. हालांकि बच्चों की मौत की वजहें अलग-अलग हैं. खुद टीएमएच प्रबंधन भी चिंतित है. मौत के आंकड़े में बच्चों में तेज बुखार के बाद इलाज के दौरान मौत होने की संख्या अधिक है. यह रहस्य जरूर बना हुआ है कि आखिर इन बच्चों की मौत कैसे होती गयी?

इन बच्चों की गयी जान

  • अनमोल गुप्ता, 3 माह, काशीडीह

  • आराधना महतो, 7 साल, सोनारी

  • रणधीर कुंभकार, 9 साल, बोड़ाम

  • शान्या पटेल, 4 साल, सोनारी

  • अभिषेक रविदास, 10 साल, बिरसानगर

  • कविता सरकार, 1 साल, सरायकेला

  • श्रेष्ठ बनर्जी, 4 साल, पारडीह

  • मंगल डे, 15 साल, बड़ा गम्हरिया

  • नितेश कुमार, 8 साल, कदमा

  • रिशु गुप्ता, 8 साल, साकची

  • निखिल कुमार, 10 साल, टेल्को

  • अविनाश नारायण, 10 साल, मानगो

  • रश्मि सिंह, 6 साल, मानगो

  • रितिका द्विवेदी, 12 साल, आदित्यपुर

  • इशिका गोप, 8 साल, कदमा

  • सलोनी सरदार, 3 साल, हल्दीपोखर

  • तनिषा मुखी, 7 साल, सिदगोड़ा

  • तुषिर, 5 माह, कदमा

  • अंशु, 4 साल, डिमना बस्ती, मानगो

  • आरती करुआ, 9 साल, आदित्यपुर (इमरजेंसी में हुई मौत)

  • कोमल कुमारी, 7 साल, आदित्यपुर (इमरजेंसी में हुई मौत)

  • दिशा तोमर, 9 साल, मानगो

  • कियांत कुमार, 9 माह

  • पूनम सिंह, 2 साल, जादूगोड़ा

  • अवन अशरफ, 5 साल, मानगो

टीएमएच प्रबंधन बाेला- कई मरीज काफी देर से पहुंचे अस्पताल

बच्चों की मौत पर टीएमएच प्रबंधन ने कहा कि अगस्त और सितंबर माह में बच्चों के अस्पताल आने की संख्या काफी बढ़ी है. यह संख्या पहले से ज्यादा है. अस्पताल में बड़ी संख्या में बच्चों के आने के बावजूद पीआइसीयू और वार्डों में अधिक बेड लगाकर सभी का हर संभव इलाज किया गया. यह भी देखा गया कि इनमें से कई मरीज काफी देर से अस्पताल पहुंचे, जब बीमारी काफी बढ़ चुकी थी और वे बहुत गंभीर स्थिति में थे. इन सभी मरीजों को स्पेशलिस्ट की टीम द्वारा पीआइसीयू में लाइफ सपोर्ट सहित बेहतर और त्वरित उपचार गया था. लेकिन उनमें से कुछ को उनकी गंभीर स्थिति के कारण बचाया नहीं जा सका. अस्पताल प्रबंधन ने कहा कि इनमें वायरल फीवर, डेंगू जैसी बीमारी और डेंगू बुखार से पीड़ित मरीज शामिल थे. एलाइजा टेस्ट से डेंगू की पुष्टि किये गये 7 बच्चों की मौत हुई थी और वे देर से अस्पताल पहुंचे थे.

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