13.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

ढाई आखर प्रेम पदयात्रा: नाचते-गाते शहीद-पुरखों को किया याद, जमशेदपुर में बिरसा मुंडा को नमन कर होगा समापन

वरिष्ठ नागरिक समिति की पदयात्रा बुधवार की सुबह झारखंड के पूर्वी सिंहभूम जिले के जमशेदपुर स्थित प्रेम नगर से निकलेगी और बिरसा चौक पहुंचेगी. बिरसा मुंडा को श्रद्धासुमन अर्पित करने के बाद ढाई आखर प्रेम की पदयात्रा संपन्न हो जाएगी.

जमशेदपुर: ढाई आखर प्रेम की पदयात्रा के पांचवें दिन की शुरुआत हड़तोपा गांव से हुई. नाचते-गाते और अपने गीतों के माध्यम से शहीद-पुरखों को याद करते हुए यात्रा गांव से निकलकर प्राथमिक विद्यालय हड़तोपा स्कूल पहुंचीं. यहां बच्चों के बीच सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया. सांस्कृतिक कार्यक्रम के प्रारंभ में स्कूल के बच्चों ने गीत से पदयात्रियों का स्वागत किया. इसके बाद बच्चों ने एक नाटक प्रस्तुत किया. नाटक के माध्यम से पढ़ाई-लिखाई के महत्व को बताया. इसके बाद विद्यालय में कार्यक्रम का संयोजन उर्मिला हांसदा और रामचंद्र मार्डी ने किया. जमशेदपुर में शाम में वरिष्ठ नागरिक समिति में स्थानीय साथियों में शामिल संस्था पथ, डी शार्प, लिटिल IPTA, डाल्टनगंज, चाईबासा के साथियों ने प्रस्तुति दी. आपको बता दें कि वरिष्ठ नागरिक समिति की पदयात्रा बुधवार की सुबह प्रेम नगर से निकलेगी और बिरसा चौक पहुंचेगी. बिरसा मुंडा को श्रद्धासुमन अर्पित करने के बाद ढाई आखर प्रेम की पदयात्रा संपन्न हो जाएगी.

हरिपोदो मुर्मू को किया सम्मानित

कार्यक्रम के बाद ढाई आखर प्रेम की पदयात्रा नाचते-गाते आगे बढ़ी. बीच रास्ते में चाईबासा के साथी यात्रा में शामिल हुए. इस तरह कारवां में लोग जुड़ते चले गए और यात्रा आगे बढ़ती रही. 4 किलोमीटर की यात्रा करने के बाद पदयात्री डोमजुड़ी पहुंचे. डोमजुड़ी पहुंचने के बाद पदयात्रियों की ओर से फिल्मकार तरुण मोहम्मद ने परगना हरिपोदो मुर्मू को प्रेम और श्रम का प्रतीक भेंटकर सम्मानित किया.

Also Read: झारखंड में नफरत के खिलाफ आठ से 12 दिसंबर तक होगी ढाई आखर प्रेम पदयात्रा

आने वाली पीढ़ी को देंगे प्रेम का संदेश

इस मौके पर परगना हरिपोदो मुर्मू ने कहा कि आप सभी पदयात्रियों को ढेर सारी शुभकामनाएं. आप सभी प्रेम बांट रहे हैं. यह सबसे बड़ी बात है. इसके बाद उर्मिला और राम ने सामूहिक रूप से संथाली गीत प्रस्तुत किया. गीत के माध्यम से उन्होंने कहा कि पहाड़, पर्वत, फूल और पत्तों से सजे हैं. नदी झरना सजे हैं. झर-झर बातें पानी से. हम लोग फूलों से सजेंगे और फलों का आनंद लेंगे. दु:ख की घड़ी में हम एक दूसरे का सहारा बनेंगे. आने वाली पीढ़ी को प्रेम का संदेश देंगे.

Also Read: झारखंड: सिर्फ 49 रुपए से ऐसे बन रहे करोड़पति, रातोंरात बदल रही तकदीर

हो भाषा में किया गीत प्रस्तुत

कार्यक्रम की कड़ी आगे बढ़ते हुए परवेज आलम ने हो भाषा में एक गीत प्रस्तुत किया. उन्होंने गीत के माध्यम से बिरसा के जीवन और उनके संघर्षों को विस्तार से बताया. इसके साथ ही उन्होंने जल जंगल जमीन के प्रति बिरसा के समर्पण को भी प्रतिबिंबित किया. जल, जंगल, जमीन और स्वतंत्रता की खातिर उन्होंने अपने जीवन को कुर्बान कर दिया. कार्यक्रम का संचालन उर्मिला ने किया. इसके बाद डोमजुरी नाचते-गाते और पर्चा बांटते हुए यात्रा गोविंदपुर स्टेशन पर पहुंची. गोविंदपुर स्टेशन पर पहुंचते ही पदयात्रियों को गांधी शांति प्रतिष्ठान के सुख चंद्र झा, कामरेड केदार दास के पौत्र अशोक लाल दास, प्रगतिशील लेखक संघ के विनय कुमार एवं रामजीवन कामद सहित गोविंदपुर के नागरिकों ने स्वागत किया.

Also Read: झारखंड:सीएम हेमंत सोरेन दुमका में बोले, केंद्र सरकार बकाया देती तो गैस सिलेंडर 500 में और पेंशन 2500 रुपए देता

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें