थैंक्यू! जिन्होंने जरूरतमंदों के जीवन में जलाये खुशियों के दीप, इस दिवाली उदास चेहरे पर लायें मुस्कान

दीप से दीप जले तो हो दीपावली उदास चेहरे खिल उठे, तो मने खुशियों की दीपावली. जी हां, चलिए इस साल ऐसे ही खुशियों की दीपावली मनाते हैं. दीपावली के दिन हर कोई दीये से अपने घर को रोशन करता है

By Prabhat Khabar News Desk | November 14, 2020 8:54 AM
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रीमा डे, राजीव पांडेय, जमशेदपुर : दीप से दीप जले तो हो दीपावली उदास चेहरे खिल उठे, तो मने खुशियों की दीपावली. जी हां, चलिए इस साल ऐसे ही खुशियों की दीपावली मनाते हैं. दीपावली के दिन हर कोई दीये से अपने घर को रोशन करता है. लेकिन कुछ ऐसे लोग हैं, जो दूसरों के जीवन से अंधकार दूर करने को समर्पित हैं. जरूरतमंदों की सेवा में नि:स्वार्थ भाव से लगे हैं.

जयराम दास: शिक्षा से वंचित बच्चों की संवार रहे जिंदगी : केबल टाउन निवासी जयराम दास पात्रा बचपन से ही अपने परिचितों के यहां से पुराने कपड़े संग्रहित कर गरीबों में बांटते हैं. लॉकडाउन में जब कई लोगों की नौकरी चली गयी और उनके बच्चे शिक्षा से वंचित होने लगे, तो जयराम ने उन बच्चों को पढ़ाना शुरू किया. हर दिन हरिजन बस्ती के करीब 30 से 40 बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा देने लगे. जयराम बताते हैं कि कई बच्चों के पास कॉपी किताब भी नहीं थी, उन्हें पाठ्य सामग्री भी उपलब्ध करायी. वे बताते हैं कि जब तक स्कूल नहीं खुलता है, वे बच्चों को शिक्षा देने का काम करते रहेंगे. जयराम दास पात्रा टुइलाडुंगरी स्थित उड़िया स्कूल के सह सचिव भी है.

कमल किशोर: जरूरतमंदों की मदद को हर वक्त तैयार : कमल किशोर अग्रवाल को लोग संगीतकार या व्यवसायी के रूप में जानते हैं. इनका एक और दूसरा परिचय है. कमल किशोर अग्रवाल जरूरतमंदों की मदद को हमेशा तत्पर रहते हैं. लेकिन इसका जिक्र करना उन्हें पसंद नहीं है. उनका कहना है कि वे जरूरतमंदों की मदद प्रचार-प्रसार के लिए नहीं करते हैं. बल्कि यह उम्मीद करते हैं कि उनके कार्य को देखकर समाज के अन्य लोग इस नेक कार्य में आगे आयें. हर वंचित तबका के लोगों की मदद करें. उन्होंने इस दीपावली कम से कम तीन जरूरतमंद परिवारों के जीवन में बेहतरी लाने का संकल्प लेने का आह्वान किया.

वंशिका की आंखों से रोशन हो रहीं दो लोगों की जिंदगियां : दो साल की बच्ची वंशिका की मौत इस साल 18 मार्च 2020 को हो गयी थी. मां-बाप ने बच्ची की आंख को दान करने का फैसला लिया. परिजन बच्ची को लेकर रात में ही कश्यप मेमोरियल के आई बैंक पहुंचे. आई बैंक टीम द्वारा रात में ही बच्चे के दोनों काॅर्निया को संग्रहित किया गया. आज बच्ची की दोनों आंखों से दो लोगों की जिंदगी में रोशनी आयी है.

Posted by: Pritish Sahay

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