निसार, जमशेदपुर. शहर के फुटबॉल प्रेमियों के लिए अच्छी खबर है. देश के सबसे पुराने फुटबॉल टूर्नामेंट डूरंड कप के 133वें संस्करण का आयोजन जमशेदपुर में किया जायेगा. 26 जुलाई से प्रतियोगिता की शुरुआत होगी, जो 31 अगस्त तक चलेगी. जमशेदपुर में पहली बार इस टूर्नामेंट का आयोजन किया जा रहा है, जिससे खेल प्रेमियों में इसे लेकर काफी उत्सुकता है. जमशेदपुर फुटबॉल क्लब (जेएफसी) ने टूर्नामेंट की तैयारी शुरू कर दी है. प्रतियोगिता में जमशेदपुर की टीम भी शिरकत करेगी. पहले जेएफसी की रिजर्व टीम इसमें खेलती थी, लेकिन इस बार मुख्य टीम खेल सकती है. इसके लिए जेएफसी ने खिलाड़ियों को साइन करना भी शुरू कर दिया है. टूर्नामेंट शुरू होने से पहले ट्रॉफी जमशेदपुर लायी जायेगी. ट्रॉफी टूर का भी आयोजन होगा. इस बार प्रतियोगिता में गत विजेता मोहन बागान समेत लगभग 24 टीमें हिस्सा लेंगी. पिछले वर्ष प्रतियोगिता में 27 वर्ष बाद नेपाल, भूटान और बांग्लादेश जैसी विदेशी टीमों को भी खेलने की इजाजत दी गयी थी. एशिया की सबसे पुरानी फुटबॉल प्रतियोगिता फुटबॉल जगत में डूरंड कप की राष्ट्रीय और विश्व स्तर पर काफी प्रतिष्ठा है. हिमाचल प्रदेश के डगशाई में 1888 में इसकी शुरुआत हुई थी. इसे दुनिया की तीसरी और एशिया की सबसे पुरानी फुटबॉल प्रतियोगिता के रूप में मान्यता प्राप्त है. टूर्नामेंट का नाम सर मोर्टिमर डूरंड के नाम पर है, जो ब्रिटिश भारत के विदेश सचिव थे. प्रारंभ में टूर्नामेंट विशेष रूप से ब्रिटिश सैनिकों के लिए था. बाद में नागरिकों को भी इस टूर्नामेंट में खेलने की अनुमति मिली. विजेता टीम को मिलती हैं तीन ट्रॉफियां : टूर्नामेंट की खासियत यह है कि विजेता टीम तीन ट्रॉफियां लेकर जाती हैं, पहला डूरंड कप ट्रॉफी (एक रोलिंग ट्रॉफी और मूल पुरस्कार), शिमला ट्रॉफी (यह भी रोलिंग ट्रॉफी है, जो पहली बार 1904 में शिमला के निवासियों द्वारा दी गयी थी) और प्रेसिडेंट्स कप (स्थायी रूप से रखने के लिए, जिसे पहली बार 1956 में भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने प्रस्तुत किया था).
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