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Durga Puja 2023: शारदीय नवरात्र 15 अक्टूबर से, मुहूर्त में करें पूजन, कलश स्थापना का ये है शुभ मुहूर्त

ज्योतिषाचार्य राजेश पाठक बताते हैं कि धार्मिक और पौराणिक मान्यता के अनुसार यदि नवरात्र सोमवार या रविवार से शुरू हो रहा है, तो मां का वाहन गज होता है. स्पष्ट है इस बार मां गज पर आ रही हैं. मां का गज पर आना शुभ माना जाता है.

By Guru Swarup Mishra | October 14, 2023 6:15 AM
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जमशेदपुर: शारदीय नवरात्र का शुभारंभ रविवार 15 अक्तूबर को हो रहा है. इसी दिन कलश स्थापना और माता शैलपुत्री का पूजन होगा. ज्योतिषाचार्य राजेश पाठक बताते हैं कि कलश स्थापना पूजन के लिए सुबह 8:00 बजे से लेकर दोपहर 3:00 बजे तक शुभ मुहूर्त है. पहला मुहूर्त चर मुहूर्त सुबह 07:48 से 09:14 बजे तक रहेगा. लाभ मुहूर्त 09:14 से 10:40 बजे तक, अमृत मुहूर्त 10:40 से 12:07 बजे तक और शुभ मुहूर्त दिन के 01:33 से 02:49 बजे तक रहेगा. इसी प्रकार पंचांग के अनुसार अभिजीत मुहूर्त दिन के 11:44 बजे से लेकर 12:30 बजे तक, अमृत काल दिन के 11:20 बजे से लेकर 01:03 बजे तक और विजय मुहूर्त दिन के 02:02 बजे से लेकर 02:48 बजे तक रहेगा. इस दौरान अपनी सुविधा को देखते हुए मुहूर्त के अनुसार आप कलश स्थापना कर सकते हैं.

मां दुर्गा के आगमन का श्लोक

शशि सूर्ये गजा रूढ़ा शनि भौमे तुरंग में, गुरौ शुक्रे च दोलायां बुधे नौका प्रकीर्त्तिता.

गजे च जलदा देवी छत्र भंगस्तुरंगमे, नौकायां सर्व सिद्धि स्यात् डोलायां मरणं ध्रुवम.

बुध शुक्र दिने यदि सा विजया गजवाहन गा शुभ वृष्टि का, सुरराजगुरौ यदि सा विजया नरवाहन गा शुभ सौख्य करा.

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शुभ है मां का गज पर आना

ज्योतिषाचार्य राजेश पाठक बताते हैं कि धार्मिक और पौराणिक मान्यता के अनुसार यदि नवरात्र सोमवार या रविवार से शुरू हो रहा है, तो मां का वाहन गज होता है. स्पष्ट है इस बार मां गज पर आ रही हैं. मां का गज पर आना शुभ माना जाता है क्योंकि, सनातनी परंपरा और अनुष्ठान में गज का विशेष महत्व है. भगवान गणेश का मुख हाथी का सूंड है. शादी-विवाह के मौके पर भी हाथी का प्रतीक चिह्न रखा जाता है. मां का गज पर आगमन से देश-दुनिया में खुशहाली रहेगी. सुख और समृद्धि का साम्राज्य रहेगा. इसलिए मां का आगमन शुभ माना जा रहा है.

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कुकुट पर होगा प्रस्थान

वे बताते हैं कि नौ दिनों तक पृथ्वी लोक में रहने के बाद दसवें दिन मां कैलाश के लिए प्रस्थान कर जाती हैं. मां दुर्गा रविवार और सोमवार को अगर पृथ्वी लोक से प्रस्थान करती हैं, तो भैसे पर सवार होकर जाती हैं. मंगलवार और शनिवार को प्रस्थान करने पर कुकुट (मुर्गे) की सवारी करती हैं. बुधवार और शुक्रवार को प्रस्थान करने पर गज की सवारी होती है. गुरुवार को प्रस्थान करने पर मनुष्य की सवारी होती है. इस बार दसमी तिथि मंगलवार को पड़ रही है. इसलिए मां कुकुट पर सवार होकर जायेंगी.

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बांग्ला पंजी में अश्व पर आगमन

आचार्य एके मिश्र बताते हैं कि बांग्ला पंजी के अनुसार माता का आगमन और गमन दोनों अश्व पर हो रहा है, जो छत्र भंग (राज्य भय) और छोटे-मोटे युद्ध का संकेत देता है.

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नवरात्र एक नजर में

प्रथम दिवस : रविवार, 15 अक्तूबर को कलश स्थापना व माता शैलपुत्री का पूजन

द्वितीय दिवस : सोमवार, 16 अक्तूबर को माता ब्रह्मचारिणी का पूजन

तृतीय दिवस : मंगलवार, 17 अक्तूबर को माता चंद्रघंटा का पूजन

चतुर्थ दिवस : बुधवार, 18 अक्तूबर को माता कुष्मांडा का पूजन

महापंचमी : गुरुवार, 19 अक्तूबर को माता स्कंदमाता का पूजन

महाषष्ठी : शुक्रवार, 20 अक्तूबर को बिल्व अभिमंत्रण, माता कात्यायनी का पूजन

महासप्तमी : शनिवार, 21 अक्तूबर को पत्रिका प्रवेश, माता कालरात्रि का पूजन

महाष्टमी : रविवार, 22 अक्तूबर को नवरात्र व्रत, माता महागौरी का पूजन.

महानवमी : सोमवार, 23 अक्तूबर को माता सिद्धिरात्रि का पूजन

विजयादशमी : मंगलवार, 24 अक्तूबर को पूजन

शुभ मुहूर्त

महाष्टमी को माता महागौरी के पूजन व पुष्पांजलि के लिए शुभ मुहूर्त : सुबह 7:12 से 11:53 बजे व 12:57 से 2:20 बजे तक. संधि पूजन के लिए शुभ मुहूर्त : संध्या 5:01 से 5:49 बजे, बलि पूजन के लिए शुभ मुहूर्त : संध्या 5:25 बजे.

महानवमी को माता सिद्धिरात्रि का पूजन, कुमारी पूजन, नवरात्र के निमित्त हवन आदि के लिए शुभ मुहूर्त : सुबह 8:39 से 10:03 बजे, 11:08 से 11:52 बजे व 12:56 से 3:19 बजे तक.

विजयादशमी को पूजन, शमी अपराजिता पूजन, शस्त्र पूजन व विजय मुहूर्त के लिए सर्वोत्तम मुहूर्त : सुबह 8:39 से दोपहर 12:48 बजे तक.

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