प्रवर्तन निदेशालय(इडी) ने ग्रामीण विकास विभाग के जूनियर इंजीनियर के किरायेदार के कमरे से मिले 2.67 करोड़ रुपये से जुड़े दस्तावेज की मांग की है. हालांकि अभी तक इडी को इससे जुड़े दस्तावेज नहीं मिले हैं. निगरानी ने जांच के बाद कोर्ट में आरोप पत्र समर्पित कर दिया है. लेकिन अब तक पैसों के स्रोत का पता नहीं लगा सकी है.
इडी ने निगरानी को पत्र लिख कर इस मामले से जुड़ी प्राथमिकी, आरोप पत्र सहित अन्य आवश्यक दस्तावेज की मांग की है. निगरानी से दस्तावेज मिलते ही इडी द्वारा इस मामले में मनी लाउंड्रिंग एक्ट के तहत कार्रवाई किये जाने की संभावना है. जेई के किरायेदार के कमरे से बरामद रुपयों की जांच के मामले में निगरानी की भूमिका शुरू से ही विवादों के घेरे में रही है. किरायेदार के घर की तलाशी के दौरान आयकर विभाग का दल वहां गया था.
लेकिन निगरानी के अधिकारियों ने आयकर अधिकारियों को जांच में शामिल नहीं होने दिया. इसकी वजह से आयकर अधिकारियों का दल वहां से खाली हाथ लौट गया था. आयकर विभाग द्वारा इसकी शिकायत करने के महीनों बाद उसे जांच करने की अनुमति दी गयी. जबकि नियमानुसार चुनाव के समय जब्त रुपये की जांच के लिए तत्काल आयकर विभाग से संपर्क करने का निर्देश था.
निगरानी ने ठेकेदार विकास कुमार की शिकायत पर जूनियर इंजीनियर सुरेश प्रसाद वर्मा के खिलाफ 13 नवंबर 2019 को एक प्राथमिकी दर्ज की. इसके बाद जूनियर इंजीनियर को 10 हजार घूस लेते गिरफ्तार किया. उसके घर की तलाशी की. जूनियर इंजीनियर के घर के एक कमरे को आलोक रंजन ने किराये पर ले रखा था. निगरानी ने आलोक रंजन के अनुपस्थित रहने की वजह को कमरे के सील कर दिया. बाद में इस कमरे की तलाशी के दौरान 2.67 करोड़ रुपये नकद मिले जिसे जब्त कर लिया गया. निगरानी ने जनवरी 2020 में सुरेश प्रसाद वर्मा और आलोक रंजन के खिलाफ आरोप पत्र दायर कर दिया. आरोप पत्र में निगरानी ने इस बात का उल्लेख किया कि जब्त रुपयों के स्रोत का पता अब तक नहीं लगाया जा सका है.
POSTED BY : SAMEER ORAON