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बैंक घोटाला से जुड़े मामले में आदित्यपुर औद्योगिक क्षेत्र की हाइको इंजीनियरिंग समेत पांच शहरों के 15 लोकेशन पर इडी का सर्वे

कंपनी के अंदर इडी के अधिकारियों व गाड़ियों के प्रवेश के बाद बाहरी लोगों के आने पर लगी रोक, पुलिस बल रहा मौजूद, हाइको कंपनी से जुड़े लोगों ने कहा - फर्जी तरीके से किसी ने कंपनी के नाम का किया इस्तेमाल, अब क्लोजर रिपोर्ट लेने पहुंची इडी

प्रमुख संवाददाता, जमशेदपुर

प्रवर्तन निदेशालय (इडी) ने गुरुवार को 1392 करोड़ रुपये के बैंक घोटाला मामले में आदित्यपुर औद्योगिक क्षेत्र, दिल्ली गुरुग्राम, महेंद्रगढ़ व बहादुरगढ़ में 15 लोकेशन पर सर्वे किया. बैंक घोटाले में यह सर्वे महेंद्रगढ़ के विधायक रावदान सिंह और उनके परिवार व उनके साथ जुड़ कर व्यापार करनेवालों के खिलाफ किया जा रहा है. इस बैंक धोखाधड़ी की जांच का जिम्मा इडी के साथ-साथ सीबीआइ को भी सौंपा गया है. मेसर्स अलॉयड स्ट्रिप्स लिमिटेड नाम की एक कंपनी है, जो कि विधायक रावदान सिंह और उनके परिवार से जुड़ी हुई है. उसके माध्यम से 1392 करोड़ रुपये का लोन लिया गया, जिसे कभी वापस नहीं लौटाया गया. सीबीआइ ने इस मामले में कंपनी और उसके प्रमोटर्स मोहिंदर अग्रवाल और गौरव अग्रवाल समेत अन्य के खिलाफ केस दर्ज किया था. बाद में इडी ने इस मामले में अलग से प्रीवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट यानी पीएमएलए के तहत एफआइआर दर्ज कर जांच शुरू की थी. इसमें आदित्यपुर की हाइको इंजीनियरिंग प्राइवेट लिमिटेड कंपनी का भी नाम है.

आदित्यपुर औद्योगिक क्षेत्र में हाइको इंजीनियरिंग प्राइवेट लिमिटेड में सुबह से ही छापा

आदित्यपुर औद्योगिक क्षेत्र फस्ट फेज चावला मोड़ के पास स्थित हाइको इंजीनियरिंग प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के तीन ठिकानों पर इडी द्वारा गुरुवार की सुबह से ही छापेमारी की जा रही है. रांची नंबर की चार एसयूवी गाड़ियां सुबह के वक्त कंपनी में दाखिल हुई. इडी के अधिकारियों के साथ काफी संख्या में पुलिस बल भी था. इडी के अधिकारी व पुलिसकर्मियों के कंपनी में प्रवेश के बाद मुख्य मार्ग को बंद कर दिया. कंपनी के बारे में मिली जानकारी के मुताबिक यह पहले टाटा मोटर्स के पार्ट्स बनाती थी, बाद में पीवीसी पाइप व इन दिनों यूपीसी के क्षेत्र में बड़ा काम कर रही है. पहले इस कंपनी के चार पार्टनर सत्यजीत साहु, तापस साहु, संजय सिंह व राजीव रंजन थे. अब यह कंपनी तापस साहु ही चला रहे हैं. एसिया के उपाध्यक्ष संजय सिंह ने बताया कि उन्होंने करीब पांच-छह साल पहले ही इस कंपनी को छोड़ दिया है.

हाइको को मशीन खरीद के नाम से दिये थे साढ़े सात करोड़

मेसर्स अलॉयड स्ट्रिप्स लिमिटेड ने आदित्यपुर इंडस्ट्रियल एरिया की स्टील मैन्युफैक्चरिंग कंपनी हाइकाे इंजीनियर्स लिमिटेड काे भी मशीन खरीदारी के नाम पर 7.50 कराेड़ दिये थे, पर न ताे कंपनी ने मशीन की सप्लाई की और न ही अलॉयड स्ट्रिप्स ने पैसे वापस मांगे. बैंकाें ने जब फॉरेंसिक ऑडिट कराई, ताे पता चला कि एलायड स्ट्रिप्स ने लाेन की राशि वैसी कंपनियाें काे ट्रांसफर कर दी है, जाे अलॉयड से ही जुड़ी थीं.

2012-13 में भी जांच के लिए आयी थी टीम

हाइको कंपनी के प्रबंध निदेशक तापस साहु से फोन पर बात करने का प्रयास किया, लेकिन उन्होंने फोन उठाया. उनके करीबियों से मिली जानकारी के मुताबिक 2012-13 में किसी व्यक्ति ने इस कंपनी को आधार बनाकर गड़बड़ी की थी. उस वक्त भी टीम जांच के लिए आयी थी, सारे रिकॉर्ड व सबूत लेकर चली गयी. अब यह केस क्लोजिंग पर है. ऐसे में एक बार फिर इडी की टीम तापस साहू का बयान लेने के लिए आदित्यपुर आयी है. बताया जाता है कि हाइको कंपनी और तापस साहु का किसी भी तरह की गड़बड़ी से कोई लेना-देना नहीं है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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