विद्यार्थियों का डाटा अपलोड नहीं करने वाले प्राइवेट स्कूलों को चेतावनी, लास्ट डेट आज
स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के सचिव के रवि कुमार की समीक्षा में जिला शिक्षा पदाधिकारी निर्मला बरेलिया ने बताया कि 90,000 बच्चों में करीब 50,000 से अधिक बच्चे प्राइवेट स्कूलों के हैं ,जिनका डेटा कई बार बोलने के बावजूद स्कूल प्रबंधकों ने अपलोड नहीं किया.
जमशेदपुर शहर के 114 स्कूलों के करीब 90 हजार विद्यार्थियों का डाटा ई विद्यावाहिनी में अपलोड नहीं किया गया है. स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के सचिव के रवि कुमार की समीक्षा में जिला शिक्षा पदाधिकारी निर्मला बरेलिया ने बताया कि 90,000 बच्चों में करीब 50,000 से अधिक बच्चे प्राइवेट स्कूलों के हैं ,जिनका डेटा कई बार बोलने के बावजूद स्कूल प्रबंधकों ने अपलोड नहीं किया. विभाग ने नौ मई तक बच्चों का डेटा नहीं अपलोड करने पर प्राइवेट स्कूलों पर कार्रवाई सुनिश्चित करने को कहा है.
बता दें कि इस मामले को लेकर सोमवार को जिला शिक्षा पदाधिकारी कार्यालय में ऐसे सभी स्कूल प्रबंधक जिनके विद्यार्थियों का डाटा अपलोड नहीं किया जा सका है, इस प्रकार के स्कूल के शिक्षकों को बुला कर उन्हें प्रशिक्षित किया गया. नौ मई तक डेटा अपलोड नहीं करने पर मान्यता प्राप्त निजी स्कूलों की मान्यता रद्द करने जबकि गैर मान्यता प्राप्त निजी स्कूलों का यू डायस कोड रद्द करने की कार्रवाई की जायेगी. जिले में चार अलग-अलग केंद्र बनाये गये हैं.
किस प्रखंड के कितने स्कूलों ने नहीं सौंपा है डाटा
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बहरागोड़ा – 9
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बोड़ाम- 1
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चाकुलिया- 10
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धालभूमगढ़- 7
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डुमरिया- 3
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घाटशिला- 1
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गुड़ाबांधा- 1
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जमशेदपुर – 74
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मुसाबनी- 4
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पटमदा- 3
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पोटका- 1
आरटीइ की मान्यता के लिए 560 में से 12 स्कूल ही कर पाये आवेदन
पूर्वी सिंहभूम जिले के अधिकांश प्राइवेट स्कूल नि:शुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार कानून( आरटीइ) की मान्यता के बगैर संचालित हो रहे हैं. अब तक जिले के सिर्फ छह स्कूलों को मान्यता मिली है. 560 स्कूलाें में से 12 स्कूलाें का आवेदन ऑनलाइन मोड में दिख रहा है. कई स्कूलों के प्रबंधन का कहना है कि प्राथमिक शिक्षा निदेशालय की ओर से आइटीइ मान्यता के लिए ऑनलाइन आवेदन का प्रावधान किया गया है. वेबसाइट पर आवेदन पूरी तरह अपलोड नहीं हो रहा. अक्सर एरर दिखायी दे रहा.
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स्कूलों की ओर से पूरा आवेदन अपलोड करने के बावजूद शिक्षा विभाग तक अधूरे दस्तावेज पहुंच रहे हैं. स्कूलों ने इस मामले में शिक्षा विभाग से शिकायत की है. विभागीय अधिकारियों का कहना है कि अलग-अलग स्कूलों से प्राप्त शिकायतों के आधार पर मामले की जानकारी प्राथमिक शिक्षा विभाग को भेजी जा रही है. जिला शिक्षा अधीक्षक कार्यालय के आरटीई सेल इस दिशा में पहल कर रहा है.