जमशेदपुर के बनकटिया गांव में हाथियों का आतंक जारी, 50 से 60 बीघा में लगी फसलों को पहुंचाया नुकसान
जमशेदपुर के बनकटिया गांव में हाथियों का आतंक जारी है. इस दौरान हाथियों ने 50 से 60 बीघा में तैयार होती फसल को पूरी तरह बर्बाद कर दिया है. वहीं करीब 20 बीघा में लगे करेला की खेती को बर्बाद कर दिया है.
पूर्वी सिंहभूम (बरसोल), गौरब पाल : चारों तरफ जंगल से घिरा हुआ बरसोल थाना अंतर्गत गोपालपुर पंचायत के बनकटिया गांव में पिछले दो सप्ताह से जंगली हाथियों का उत्पात जारी है. इस दौरान हाथियों ने 50 से 60 बीघा में तैयार होती फसल को पूरी तरह बर्बाद कर दिया है. वहीं करीब 20 बीघा में लगे करेला की खेती को बर्बाद कर दिया है. रविवार की रात भी ग्रामीणों ने हाथियों को क्षेत्र से भगाने का प्रयास किया. इस दौरान हाथियों को जंगल के रास्ते पश्चिम बंगाल के सिंह जंगल भेजने का प्रयास किया गया, लेकिन चिचिड़ा गांव के पास ग्रामीणों द्वारा पटाखें फोड़ दिए जाने से हाथियों का झुंड पुन: वापस बनकटिया जंगल आ गया. इस क्रम में खेत में तैयार होती फसलों को हाथी खा गए.
इस संबंध में बनकटिया गांव के ग्राम प्रधान लालमोहन पातर ने कहा कि यहां धान खेती साल में एक बार होता है, जो ग्रामीणों के जीविकोपार्जन का मुख्य साधन है. ऐसे में हाथियों के द्वारा क्षति पहुंचाने के बाद फसल मालिक और उसके परिवार के समक्ष काफी विपरीत परिस्थितियां बन जाती है. लोगों ने वन विभाग से आवश्यक पहल कर हाथियों को भगाने की मांग की है ताकि लोगों को आर्थिक नुकसान न हो और विभाग को भी परेशानी न हो.
ग्रामीणों नकुल पातर, सहदेव पातर, छोटू पातर, राम पातर, भीम पातर, मंजू पातर, सावित्री पातर, कुंवर मांडी, बाजू सोरेन, सलाई हंसदा, आसुतोष हंसदा, कानाई सोरेन, गोपाल हंसदा, ज्योतिंद्र मंडी आदि ने कहा कि जंगली हाथी हम लोग को हर रोज परेशान कर रही है. वन विभाग की टीम को बुलाने पर आते तो हैं. लेकिन उन लोग हाथियों को जंगल में खदेड़ कर चले जाने के बाद ही तुरंत हाथी फिर से निकल आते हैं. ग्रामीणों को वन विभाग की तरफ से हाथी भगाने के लिए कोई भी उपक्रम नहीं दिया गया. जैसे कि हाथी भगाने के लिए पठाका, मशाल जलाने के लिए मोबिल, टार्च आदि कुछ भी सामान नहीं दिया गया है.
उक्त गांव में 150 घर है उसमें करीब 250 लोग निवास करते हैं
बनकटिया गांव चारों तरफ से जंगल से गिरा हुआ गांव है. इस गांव में लोगों का सिर्फ धान की खेती और सब्जी की खेती जीविका उपार्जन के लिए मुख्य साधन है. गांव की महिलाएं ने बताया कि हम लोग पूरे साल धान की खेती और सब्जी की खेती कर अपने परिवार का भरण पोषण करते हैं लेकिन पिछले 2 साल पहले से जंगली हाथी गांव में हमेशा घुस जाते हैं और धान और सब्जी की खेती को रौंद कर चले जाते हैं. इस कारण हम लोग सही तरीके से परिवार भी नहीं चला पाते और जो ऋण लेकर खेती करते हैं उसका पैसा भी सही समय पर नहीं चुका पाते हैं.
वन विभाग की तरफ से आज तक नहीं मिला कोई भी मुआवजा
जंगली हाथियों द्वारा खेती नष्ट करने के बाद हमेशा वन विभाग द्वारा फ्रॉम भरा जाता है ताकि मुआवजा मिल सके लेकिन आज तक ना ही मुआवजा दिया गया और ना ही कोई पैसा दिया गया. गांव के लोग हर साल महाजन की उधारी में डूब जाते हैं, इसे कैसे चुकाएंगे. जो की चिंता का विषय है. बताया गया कि गांव में 30 प्रतिशत लोगों का प्रधानमंत्री आवास मिल गया है बाकी के 70 प्रतिशत लोगों का भी होना बाकी है. वृद्धा पेंशन भी गांव के आधे बूढ़े बुजुर्गों को मिलता है.
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