Engineers day 2020 : सर विश्वश्वरैया की देन है डिमना नाला जलापूर्ति योजना
भारतरत्न व भारत में इंजीनियरिंग के पथप्रदर्शक एम विश्वेश्वरैया की जयंती के अवसर पर देश हर साल 15 सितंबर को इंजीनियर्स डे के रूप में मनाता है. अपने अनूठे इंजीनियरिंग कौशल के साथ एम विश्वेश्वरैया विद्वान, निर्माता, राजनेता, शिक्षाविद् और भारत में सबसे प्रतिष्ठित इंजीनियर थे.
जमशेदपुर : भारतरत्न व भारत में इंजीनियरिंग के पथप्रदर्शक एम विश्वेश्वरैया की जयंती के अवसर पर देश हर साल 15 सितंबर को इंजीनियर्स डे के रूप में मनाता है. अपने अनूठे इंजीनियरिंग कौशल के साथ एम विश्वेश्वरैया विद्वान, निर्माता, राजनेता, शिक्षाविद् और भारत में सबसे प्रतिष्ठित इंजीनियर थे. उनका इंजीनियरिंग कौशल पूरे भारत में जल संसाधन के वितरण और बांधों के निर्माण में प्रतिबिंबित होता है. उनके बनाये हुए डिजाइन के कारण देश को बाढ़ से सुरक्षा मिली. सर एम विश्वेश्वरैया 12 नवंबर, 1927 को टाटा स्टील के निदेशक मंडल में शामिल हुए. वे 27 वर्षों तक टाटा स्टील के निदेशक बने रहे.
Also Read: इंजीनियर्स डे 2020 : भारतीय इंजीनियरिंग को समृद्ध करनेवाले विश्वेश्वरैया, जानिये कुछ रोचक तथ्य
इस दौरान उन्होंने टेक्नीकल इंस्टीट्यूट, स्टील वर्क्स और डिमना नाला जलापूर्ति योजना में सुधार के लिए इनके पुनर्गठन और पुनर्निमाण में बहुमूल्य मार्गदर्शन दिया. सर एम विश्वेश्वरैया को जमशेदपुर टेक्नीकल इंस्टीट्यूट के कामकाज की विस्तृत रिपोर्ट तैयार करने के लिए एक जांच समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था. सर विश्वेश्वरैया द्वारा तैयार रिपोर्ट को निदेशक मंडल द्वारा स्वीकार कर लिया गया.
उनकी सिफारिशों में से एक यह भी था कि जमशेदपुर टेक्नीकल इंस्टीट्यूट को एक सलाहकार समिति द्वारा प्रशासित किया जाना चाहिए, जिसका प्रमुख मेटलर्जी में अच्छा अनुभव रखने वाला इस स्टील कंपनी का भारतीय अधिकारी हो. सर एम विश्वेश्वरैया द्वारा सुझाई गयी सिफारिशें 1932 में जमशेदपुर टेक्नीकल इंस्टीट्यूट के पुनर्गठन का आधार बना. सर एम विश्वेश्वरैया सिंचाई परियोजनाओं के विशेषज्ञ थे. इसलिए, निदेशक मंडल ने उन्हें डिमना नाला पर जलाशय के निर्माण से जुड़ी एक योजना सौंपी.
1930 के दशक में यह महसूस किया गया कि जमशेदपुर के लोगों के लिए पानी की कमी हो सकती है, क्योंकि शहर की आबादी तेजी से बढ़ रही थी. इस आवश्यकता से निपटने की परियोजना की घोषणा की गयी और इसे ”डिमना नाला जलापूर्ति योजना” नाम दिया गया. उसके बाद एम विश्वेश्वरैया ने टाटा स्टील वर्क्स और जमशेदपुर शहर के लिए पानी की भावी आवश्यकता से संबंध में गहन अध्ययन किया. उनकी सिफारिशों के आधार पर, डिमना डैम के निर्माण का काम फरवरी 1940 में शुरू हुआ. इस परियोजना को सफलतापूर्वक पूरा किया गया और 17 अप्रैल, 1944 को पहली बार यहां से शहर को पानी की आपूर्ति की गयी.
Post by : Pritish Sahay