हो जायें सावधान! जमशेदपुर में आई फ्लू के तेजी से बढ़ रहे मरीज, स्कूली बच्चे भी हो रहे हैं संक्रमित
तेजी से कंजक्टिवाइटिस (जय बांग्ला ) बीमारी तेजी से फैल रही है. इसके चपेट में बच्चे व बड़े दोनों आ रहे हैं. सबसे ज्यादा बच्चे इससे प्रभावित हो रहे हैं.
मानसून सीजन में आई फ्लू या कंजंक्टिवाइटिस से जुड़ी समस्या होने की संभावना अधिक होती है. ऐसा इसलिए है क्योंकि माानसून के दौरान हवा में नमी और ह्यूमिडिटी बैक्टीरिया और वायरस के विकास और प्रसार को आसान बना देते हैं, जो आगे चलकर कंजंक्टिवाइटिस का कारण बनते हैं. वैसे तो यह बेहद खतरनाक बीमारी नहीं है, लेकिन काफी परेशानियों भरा होता है, जो व्यक्ति के दैनिक जीवन को काफी प्रभावित कर सकता है. अगर आप किसी भी तरह के आई इन्फेक्शन के लक्षण का अनुभव कर रहे हैं, तो डॉक्टर से तुरंत बात करें. आज कल बड़ों के साथ-साथ स्कूली बच्चे इस फ्लू की चपेट में तेजी से आ रहे हैं.
बुधवार को भी शहर के कई स्कूली बच्चों में कंजंक्टिवाइटिस फ्लू के लक्षण देखने को मिले. ऐसे में पीड़ित बच्चों के अभिभावकों को स्कूल बुलाकर उन्हें घर वापस भेजा गया. स्कूल प्रबंधन की माने तो हर दिन 4-5 बच्चे इसके शिकार हो रहे हैं. फ्लू के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए बुधवार को प्रभात खबर की ओर से शहर के स्कूल प्रबंधकों से बात करते हुए वास्तविक स्थिति का पता लगाया गया. परिणाम आश्चर्यजनक था. शहर के सभी स्कूलों में हर दिन कम से कम 4-5 केस ऐसे फ्लू के मिल रहे हैं. अब तक स्कूल के 100 से अधिक बच्चे इससे संक्रमित हो चुके हैं. स्कूल प्रबंधन ने इसे गंभीरता से लिया है.
अभिभावकों को इस संबंध में जागरूक किया जा रहा है. कहा जा रहा है बच्चों में आई फ्लू के लक्षण दिखे तो उन्हें स्कूल न भेजे. इसके बावजूद कई बच्चे स्कूल आ रहे हैं. जिससे अन्य बच्चों में यह बीमारी तेजी से फैल रही है. स्कूल प्रंबंधन के अनुसार जूनियर सेक्शन के बच्चों में आई फ्लू के लक्षण सबसे अधिक हैं. संज्ञान में आने पर उन्हें अलग बैठाया जा रहा है और अभिभावकों को सूचित करते हुए घर भेजा जा रहा है.
एमजीएम व सदर अस्पताल में हर रोज पहुंच रहे हैं 30 से 40 मरीज
जिले में तेजी से कंजक्टिवाइटिस (जय बांग्ला ) बीमारी तेजी से फैल रही है. इसके चपेट में बच्चे व बड़े दोनों आ रहे हैं. सबसे ज्यादा बच्चे इससे प्रभावित हो रहे हैं. इस समय एमजीएम व सदर अस्पताल सहित अन्य प्राइवेट अस्पतालों में इसके मरीज ज्यादा पहुंच रहे हैं. सदर में प्रतिदिन 10 से 15 मरीज इस बीमारी के पहुंच रहे हैं. वहीं एमजीएम में इसकी संख्या 20 से 30 तक पहुंच जा रही है. डॉक्टरों के अनुसार जय बांग्ला का इलाज कराने आने वाले मरीजों में बच्चों की संख्या अधिक देखी जा रही है. इसकी शुरुआत एक आंख से होती है, लेकिन जल्द ही दूसरी आंख भी संक्रमित हो जा रही है.
ऐसे फैल रहा संक्रमण
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किसी ऐसे व्यक्ति के संपर्क में आना जिसको कंजंक्टिवाइटिस है
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किसी ऐसी चीज के संपर्क में आना जिससे आपको एलर्जी है
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रसायनों का एक्सपोजर, जैसे स्विमिंग पूल के पानी में मौजूद क्लोरीन के संपर्क में आना
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लंबे समय तक कांटेक्ट लेंस का इस्तेमाल करना
डॉक्टर के पास कब जायें
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आंखों में तेज दर्द होने पर
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आंखों में तेज चुभन महसूस होने पर
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नजर धुंधली होने जाने पर
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प्रकाश के प्रति संवेदनशीलता
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आंखे अत्यधिक लाल हो जाए
फ्लू को रोकने के लिए क्या करें
संक्रमित होने पर बार-बार अपने हाथ एवं चेहरे को ठंडे पानी से धोये, निजी चीजों जैसे तौलिया, तकिया, आई कॉस्मेटिक्स आदि को किसी से साझा न करें, रूमाल, तकिये के कवर, तौलिया आदि चीजों को रोज धोएं, स्वच्छता का पूरा ध्यान रखें, अगर कोई भी लक्षण दिखाई दे तो घर से बाहर न जाएं और परिवार में भी लोगों से शारीरिक दूरी बनाकर रखें, आंखों को बार-बार हाथ न लगाएं, खुजली होने पर आंखों को बिल्कुल मले नहीं, आई ड्रॉप डालने से पहले और बाद में हाथों को साबुन से अवश्य धो लें, बिना डॉक्टर की सलाह के दवा न लें.
फ्लू का निदान
कंजक्टिवाइटिस का निदान करने के लिए सबसे पहले डॉक्टर आंखों की जांच करते हैं. इसके जरिए ये पता लगाया जाता है कि आपको जो लक्षण नजर आ रहे हैं, वह कंजक्टिवाइटिस होने के कारण हैं या फिर आंखों से संबंधित कोई और समस्या है. लक्षणों का पता लगाने के लिए डॉक्टर आपकी हेल्थ हिस्ट्री के बारे में भी पूछ सकता है.
इसके लिए ये टेस्ट करायें
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विजुअल एक्विटी मेजरमेंट (दृष्टि की जांच करने के लिए). आंखों की आंतरिक संरचना का मूल्यांकन करना.
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चमकदार रोशनी और मैग्निफिकेशन के जरिए कंजंक्टिवा और आंखों की टिशू का मूल्यांकन करना.
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लॉन्ग-टर्म कंजंक्टिवाइटिस या इस समस्या के प्रति इलाज का असर ना होने पर डॉक्टर आंखों से निकलने वाले डिस्चार्ज का सैंपल ले सकता हैं, ताकि माइक्रोस्कोप के जरिए इसके बारे में अध्ययन कर सके और स्थिति के ठीक न होने की सही वजह को जान सके.
आई फ्लू से डरें नहीं, डॉक्टर से मिल कर करायें इलाज
बिना जांच के आंखों में नहीं डालें दवा
अगर किसी को आई फ्लू हो गया तो अपने से दवा न लें, पहले डॉक्टर से दिखा ले उसके बाद दवा लें. डॉक्टर आपके लक्षणों को देखकर आंखों की जांच करते हैं उसके बाद ही दवा देते हैं. जिससे की यह बीमारी छह से सात दिनों में ठीक हो जाती है. इस बीमारी को लेकर बाजार में कई प्रकार के आई ड्रॉप बिक रहे हैं. अगर आंख में कोई गलत दवा पड़ जाती है तो इससे आंखों की समस्या बढ़ सकती है. इसलिए बिना डॉक्टर को दिखाये, दवा नहीं लें. खासकर बच्चों की आंखों में फ्लू के लक्षण दिखे तो तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए.
-डॉ एमएम जमाल, एचओडी, नेत्र रोग विभाग
आयुर्वेद में उपलब्ध हैं इसकी दवाएं
कंजक्टिवाइटिस बैक्टीरियल संक्रमण की वजह से होता है. इससे घबराने की जरूरत नहीं है. यह छह से सात दिनों के अंदर ठीक हो जाता है. यह बीमारी होने पर डॉक्टर को दिखाएं, उसके बाद ही दवा लें. आयुर्वेद में इसकी दवा उपलब्ध है. यदी किसी व्यक्ति को यह बीमारी होती है तो त्रिफला का पानी, गुलाब जल, हल्दी व गर्म पानी से आंखों को धोने से काफी लाभ होता है.
-डॉ आलोक चंद्र श्रीवास्तव, जिला आयुष विभाग
होमियोपैथिक दवा भी लाभदायक
शहर में तेजी से आई फ्लू फैल रहा है. इससे किसी को डरने की जरूरत है. थोड़ी सी सावधानी रखकर इस बीमारी से बचा जा सकता है. वहीं होमियोपैथिक में इसके इलाज के लिए कई दवा हैं. जिससे इसको ठीक किया जा सकता है. बीमारी होने पर तुरंत डॉक्टर के पास जाएं. आंख को दिखाकर ही दवा लें. बिना डॉक्टर को दिखाये दवा लेने से आंख खराब हो सकती है. होमियोपैथिक की दवा से इसको आसानी से ठीक किया जा सकता है. इससे बचने के लिए संक्रमित मरीज से दूरी बनाकर रखें, चश्मा पहन कर रहें, ताकि इस बीमारी से बचा जा सके.
-डॉ नितेश कुमार, होमियोपैथिक डॉक्टर
इन लक्षणों काे न करें नजरअंदाज
आंख आना एक ऐसी बीमारी है, जो सामान्य तौर पर और इस मौसम में बहुत से लोगों में देखी जा रही है. इस बीमारी में मरीजों की आंखों में सूजन आने के साथ ही आंख गुलाबी होने के साथ ही लाल दिखायी देने लगता है. इसके अतिरिक्त इस बीमारी में आंखों में काफी तेज दर्द, जलन व खुजली महसूस होती है. इसके साथ-साथ इस बीमारी में मरीजों की आंखों से काफी ज्यादा पानी बहते रहता है. आंख खोलने में परेशानी होती है. आंख में बार-बार कीचड़ का जमा होना. ये इस बीमारी के लक्षण हैं.
हर रोज दर्जनों स्कूली बच्चे हो रहे हैं संक्रमित
एमएनपीएस, साकची में हर दिन 4-5 बच्चों में आई फ्लू की शिकायत मिल रही है. अभी तक करीब 12-15 बच्चों को घर वापस भेजा गया है. अभिभावक को इस संबध में जागरूक किया जा रहा है. बच्चों को बताया गया है कि अगर आपको इस तरह की कोई परेशानी हो तो आप 2-3 दिन घर पर आराम करें. चिकित्सक को दिखायें.
– आशु तिवारी, प्रिंसिपल
साकची हाई स्कूल में बुधवार को छठीं कक्षा के एक बच्चे में आई फ्लू का लक्षण मिला. बच्चे का घर तामोलिया में है और अभिभावक से संपर्क नहीं होने के कारण उसे अन्य बच्चों से अलग रखा गया. इसके पहले तीन बच्चों के घर वापस भेजा गया है. अभिभावकों नोटिस दिया गया है कि ऐसा होने पर वे बच्चों को स्कूल न भेजे और उनका इलाज करायें.
– प्रणव घोष
शारदामणि स्कूल, साकची में आई फ्लू के मामले में अभिभावकों को जागरूक होने की जरूरत है. बच्चों में लक्षण दिखे तो उन्हें स्कूल नहीं भेजे. हर दिन 5-6 बच्चों में यह लक्षण देखने को मिल रहे हैं. ऐसे बच्चों को अलग रूम में बैठा रहे हैं. अभिभावकों को सूचित करते हुए ठीक होने के बाद ही स्कूल आने का सुझाव दिया गया है.
– पारोमीता चक्रवर्ती, प्रिंसिपल
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