मोतियों की खेती से चमकेगी जिले के किसानों की किस्मत, 20 ने दिखायी रुचि
बिरसा हरित ग्राम योजना के तहत जिले में बिरसा किसान पाठशाला भी खोली जायेगी
ब्रजेश सिंह, जमशेदपुर
पूर्वी सिंहभूम जिले के किसान और मछुआरे अपने तालाबों में मोतियों की भी खेती करेंगे. मोतियों की पैदावार से मछुआरों और तालाबों के मालिकों की किस्मत बदलने वाली है. इसके तहत जिले में करीब 20 तालाब को चिह्नित किया गया है, जहां के करीब 20 लोगों ने रुचि दिखायी कि वे लोग इस खेती को करने को तैयार हैं. इस योजना के तहत किसानों और मछुआरों को लाभ भी दिलाया जायेगा. इसके तहत बिरसा हरित ग्राम योजना के तहत जिले में बिरसा किसान पाठशाला भी खोली जायेगी, जिससे किसान और मछुआरों को जागरूक किया जा सके. इसके लिए चयनित लोगों को ट्रेनिंग के लिए भी भेजा जायेगा, ताकि इसकी पैदावार बेहतर हो सके. क्वालिटी मोतियों की पैदावार करने के लिए तालाबों को भी बेहतर बनाया जायेगा. मत्स्य विभाग की ओर से इस योजना पर काम किया जा रहा है. जिले में एक किसान द्वारा इसका प्रयोग किया गया है. पोटका में ही इसकी पैदावार की गयी है. इसके जरिये सरकार 50 फीसदी सब्सिडी भी देना चाहती है.चांडिल में किसानों और मछुआरों ने पेश किया है उदाहरण
चांडिल में किसानों और मछुआरों द्वारा मोतियों की पैदावार किया जा रहा है. यहां 40 हजार रुपये की लागत से 15000 मोतियां तैयार होती है. सुवर्णरेखा बहुद्देश्यीय परियोजना की ओर से करीब 22000 हेक्टेयर में चांडिल जलाशय का निर्माण किया गया है. इसमें 84 मौजा के 116 गांवों के ग्रामीण विस्थापित हुए हैं. इन्हीं विस्थापितों ने मिलकर मत्स्यजीवी स्वावलंबन समिति बनाकर पहले केज कल्चर से मछली उत्पादन शुरू किया, उसके बाद मोती की खेती शुरू की, जिसमें पहले ही प्रयास में उन्हें सफलता मिली. इसको ही केस स्टडी के रूप में राज्य सरकार ले रही है.मोतियों की खेती के लिए किया गया है चयन : मत्स्य पदाधिकारी
जिला मत्स्य पदाधिकारी अलका पन्ना ने बताया कि मोतियों की खेती के लिए किसानों का चयन किया गया है. करीब 15 से 20 तालाब पोटका में पाये गये हैं, जहां इसकी खेती हो सकती है. करीब 20 किसानों को हम लोगों ने तैयार किया है. सरकार का आदेश आते ही इसकी पैदावार शुरू हो जायेगी.
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