Jharkhand News: पूर्व सिंहभूम क्षेत्र के किसान मानसून की बेरुखी से काफी परेशान हैं. घाटशिला समेत डुमरिया, गालूडीह और धालभूमगढ़ क्षेत्र के किसान काफी परेशान हैं. डुमरिया क्षेत्र के किसान तो काफी परेशान हैं. यहां न तो कैनाल है और न ही बोरिंग. यहां के किसान आज भी धान की खेती मानसून के सहारे करते हैं. कृषि वैज्ञानिक अब जिले में कम बारिश को देख कर लाह की खेती करने पर जोर दे रहे हैं, ताकि क्षेत्र के किसानों की आर्थिक स्थिति खराब न हो.
डुमरिया में एक प्रतिशत हुई रोपनी, किसान चिंतित
पूर्वी सिंहभूम स्थित डुमरिया प्रखंड के किसान मॉनसून की बेरुखी से मायूस हैं. किसान रोजाना उम्मीद करते हैं कि आज झमाझम बारिश होगी, लेकिन शाम होते-होते मायूसी मिलती है. इधर निम्न दाब से कई जगह बारिश हो रही है, पर डुमरिया क्षेत्र में बारिश नहीं के बराबर हुई. रोज आसमान में घनघोर घटा छाती है, पर बरसती नहीं. सावन का महीना है, लेकिन जमीन प्यासी है. किसान चिंतित हैं. डुमरिया प्रखंड के किसानों की किस्मत में न तो कैनाल है, और ना डीप बोरिंग. खेती मॉनसून पर निर्भर है.
आस्ताकवाली पंचायत के कुछ हिस्सों को छोड़कर रोपाई शून्य
डुमरिया के प्रभारी कृषि पदाधिकारी अक्षय कुमार महतो ने बताया कि डुमरिया प्रखंड में एक प्रतिशत रोपाई कार्य अबतक हो पाया है. आस्ताकवाली पंचायत के कुछ हिस्से को छोड़कर अन्य जगह रोपाई शून्य है. बिचड़ा सभी के तैयार हैं. खेत में पानी नहीं है. नदी नाले भी सूखे पड़े हैं, इसलिए किसान मशीन लगाकर पटवन कर रोपाई नहीं कर पा रहे हैं. 17 अगस्त तक अगर बारिश नहीं होती है, तो सुखाड़ घोषित किया जायेगा. हालांकि मौसम को देखते हुए ऐसा प्रतीत हो रहा है कि समय सीमा तक डुमरिया प्रखंड में रोपनी खत्म हो जायेगी. डुमरिया प्रखंड में 7067 हेक्टेयर भूमि पर खेती होती है. पिछले माह 81.6 एमएम बारिश हुई थी, किसान उम्मीद पर जी रहे हैं.
जिले में कम बारिश को देख लाह की खेती पर जोर
इस साल कम बारिश को देखते हुए पूर्वी सिंहभूम के गालूडीह स्थित दारीसाई कृषि विज्ञान केंद्र लाह की खेती को बढ़ावा दे रहा है. शनिवार को घाटशिला व पटमदा प्रखंड के गांवों के करीब 15 किसानों को लाह की खेती के लिए तैयार किया गया. खाद, प्रबंधन आदि की तकनीकी जानकारियां देने के साथ कुसुम के 1200 पौधे बांटे गये. ये पौधे छह माह के हैं. दो साल के होने पर कुसमी लाह का उत्पादन होने लगेगा. एक किलो लाह की कीमत 500 से 700 रुपये प्रति किलो है. डॉ आरती वीणा एक्का ने कहा कि अन्य फसलों की तुलना में लाह की खेती ज्यादा फायदेमंद है. किसान कुसुम, पलाश, बैर के पेड़ लगाकर लाह का उत्पादन कर सकते हैं. लाह की मांग काफी है. लाह की चुड़ियां समेत कई आभूषण बनते हैं.
पूर्वी सिंहभूम में लाह की खेती पुनर्जीवित की जा रही
केबीके की प्रधान कृषि वैज्ञानिक डॉ आरती वीणा एक्का ने कहा कि दो तरह की लाह की खेती होती है. एक कुसमी लाह, जो कुसुम, बैर और सेमिया लता में होती है. दूसरा रंगिनी लाह, जो पलाश, बैर के वृक्ष पर होते हैं. लाह की खेती पूर्वी सिंहभूम में विलुप्त हो चुकी है. इसे पुनर्जीवित करने का प्रयास है. इससे किसान आर्थिक रूप से सबल बनेंगे.
खेती में विविधता लाना जरूरी, वरना परेशानी
मानसून की बेरुखी व बदलते जलवायु को देखते हुए किसान अगर खेती में विविधता नहीं अपनायेंगे, तो परेशानी होगी. इस क्षेत्र में लाह की खेती की असीम संभावना है. इस इलाके में कुसुम, पलाश, बैर के काफी वृक्ष हैं, जिसमें तकनीक अपनाकर किसान लाह की खेती कर सकते हैं.
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बंगाल की खाड़ी में लो प्रेशर से रूक-रूक कर हो रही बारिश
गालूडीह स्थित दारीसाई क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र के मौसम विभाग की रिपोर्ट के अनुसार, बंगाल की खाड़ी में लो प्रेशर का असर झारखंड में है. इससे रूक-रूक कर बारिश हो रही है. कहीं ज्यादा तो कहीं कम. इससे किसानों को थोड़ी राहत जरूर मिली है. वहीं, मौसम वैज्ञानिक विनोद कुमार ने बताया कि ऐसा मौसम 23 जुलाई तक रहेगा. 21, 22 और 23 तक लो प्रेशर का असर है. 24 जुलाई से मौसम साफ हो जायेगा. मानसून कमजोर है. इसके कारण वर्षा वितरण समान नहीं है. कहीं बारिश हो रही, तो कहीं नहीं. कहीं कम बारिश है, तो कहीं ज्यादा. जुलाई खत्म होने को है. अबतक संतोषजनक रोपाई नहीं हो पायी है. जुलाई की औसत बारिश 302 मिमी है, पर काफी कम हुई है. इससे धान की खेती पर बुरा प्रभाव पड़ा है. किसान चारा तैयार कर रोपाई के बजाय धान बीज की सीधी बोआइ करें. इससे फायदा होगा. ऊपरी और मध्यम जमीन को खाली ना छोड़ें. उसमें दलहन, मक्का और मोटे अनाज लें.
गालूडीह बराज में 91 मीटर आरएल पानी स्टोर
गालूडीह बराज के सभी 18 गेट बंद हैं. दो-तीन गेट को थोड़ा खोल कर रखा गया है. डैम में 91 मीटर आरएल पानी स्टोर हो गया है. 92 मीटर स्टोर होने के बाद मुख्य दायीं नहर में पानी छोड़ा जायेगा, जो ओडिशा जायेगा. यह नहर गालूडीह शून्य किमी से गुड़ाबांदा होते हुए ओडिशा जाती है, जो 56 किमी लंबी है. इससे ओडिशा को पानी मिलता है. झारखंड के 56 किमी तक में किसानों को पानी नहीं मिलता है.
घाटशिला के शहरी क्षेत्र में बारिश, ग्रामीण क्षेत्र में कम
वहीं, घाटशिला प्रखंड के शहरी क्षेत्र में लगातार दो दिनों से वर्षा हो रही है जबकि ग्रामीण क्षेत्र में वर्षा नहीं हो रही है. इससे किसान चिंतित हैं. किसानों ने बताया कि भदुआ, काड़ाडुबा, आसना, कालचिती के आसपास के क्षेत्रों में बीते दो दिनों से वर्षा हो रही है. ग्रामीण क्षेत्रों में वर्षा नहीं हुई. शनिवार की सुबह में ग्रामीण क्षेत्र में हल्की बारिश हुई.
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घाटशिला रेंज में रोपे जाएंगे तीन लाख पौधे
घाटशिला प्रखंड की कालचिती पंचायत स्थित बुरुडीह गांव में शनिवार को 74वां वन महोत्सव मनाया गया. वन पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग ने कार्यक्रम किया. मुख्य अतिथि विधायक रामदास सोरेन, जिला परिषद सदस्य देवयानी मुर्मू, डीएफओ ममता प्रियदर्शी ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित और पौधारोपण कर वन महोत्सव का उद्घाटन किया. डीएफओ ममता प्रियदर्शी ने कहा कि घाटशिला रेंज में 3 लाख पौधा लगाने का लक्ष्य है. समिति के सदस्यों को रोजगार से जोड़कर स्वावलंबी बनाया जायेगा. हाथी भगाने के लिए ग्रामीणों का दल गठित होगा. उन्हें प्रशिक्षण दिया जायेगा. उन्होंने कहा कि जनप्रतिनिधियों को टॉर्च और पटाखा उपलब्ध कराएंगे. जनप्रतिनिधि जरूरत के मुताबिक ग्रामीणों को वितरित करेंगे. एक टोल फ्री नंबर जारी होगा, ताकि हाथी भगाने के लिए त्वरित कार्रवाई की जा सके.
बच्चों को पौधरोपण की तकनीक सिखायी जायेगी
डीएफओ ने कहा कि जीवन में सभी लोग एक बार जरूर पौधा लगायें और उनका संरक्षण करें. स्कूल नर्सरी स्कीम के माध्यम से बच्चों को पौधा लगाने की तकनीक सिखायी जायेगी. हाथी भगाने के लिए बासाडेरा, टिकरी, बुरुडीह, डायनमारी, धोबनी और हीरागंज वन समिति के सदस्यों को पटाखा उपलब्ध कराया गया.
बुरुडीह डैम को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जायेगा
विधायक रामदास ने कहा कि कोरोना काल ने पेड़-पौधों की जरूरत को सही मायने में महसूस कराया. आम जनता का दायित्व बनता है कि वनों की रक्षा करें और पौधा लगायें. इससे झारखंड और भारत का कल्याण होगा. हेमंत सोरेन सरकार वन संरक्षण के लिए ब्लू प्रिंट तैयार कर रही है. पूर्वी सिंहभूम के कई रेंज हैं, जहां वन विभाग पौधे लगाने की दिशा में पहल कर रही है. इसकी रक्षा के लिए वन समिति और ग्रामीणों को आगे आना होगा. बुरुडीह डैम को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जायेगा. कई योजनाओं का प्रस्ताव सरकार को दिया गया है. जल्द योजनाओं को धरातल में उतारा जायेगा.
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हाथियों के कॉरिडोर में बंगल ने ट्रेंच खोदा : देवयानी
जिला परिषद देवयानी मुर्मू ने कहा कि पश्चिम बंगाल सरकार ने हाथियों के कॉरिडोर में ट्रेंच खोदा है. मामले पर विशेष रूप से वन विभाग को ध्यान देने की जरूरत है. प्रमुख सुशीला टुडू, पंसस सुमित्रा सोरेन, वनरक्षी परेश हेंब्रम, बलराम मुंडा, आकाश षाड़ंगी, संजय दास, अमित महतो, रजनी कुमारी, पुष्पा कुमारी, सुनीता हांसदा, जगदीश भकत, मेघराय मार्डी, छीतामनी हांसदा समेत ग्रामीण उपस्थित थे.
धालभूमगढ़ में किसान नयी तकनीक से खेती कर बढ़ाएं आय
कृषि एवं सहकारिता विभाग ने धालभूगढ़ स्थित एटिक भवन में प्रखंड स्तरीय खरीफ कर्मशाला का आयोजन हुआ. इसका उद्घाटन 20 सूत्री प्रखंड अध्यक्ष अर्जुन हांसदा, सांसद प्रतिनिधि विश्वनाथ बेहरा और पंचायत स्थायी कृषि समिति अध्यक्ष प्रदीप राय ने दीप प्रज्वलित कर किया. प्रभारी कृषि पदाधिकारी पीयूष मंडल ने बताया कि किसानों और किसान मित्रों को खरीफ में बेहतर फसल उगाने की जानकारी दी गयी. किसानों को नयी तकनीक अपनाने की सलाह दी. सही देखभाल नहीं होने से फसल में फंगस और कीड़े लगते हैं. खरपतवार होने से फसल अच्छी नहीं होती. उत्तम बीज के साथ सही मात्रा में कीटनाशक का प्रयोग करें. खाद की मात्रा सही डालनी चाहिए. खाद व कीटनाशक डालने के तरीके की जानकारी दी. वहीं, अर्जुन हांसदा ने कहा कि पारंपरिक धान की खेती के साथ मिलेट (बाजरा, जौ, मड़वा, रागी, कोदो और कांदनी) की खेती करें. कृषि के अलावा किसान मत्स्य, बत्तख पालन कर अपनी आय बढ़ा सकते हैं. कहा कि पीएम किसान सम्मान निधि की अगली किस्त आ चुकी है. इसे प्राप्त करने के लिए किसान बैंक खातों को अप टू डेट करें. इस मौके पर दो किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड दिया गया. वहीं, बैंक प्रतिनिधियों ने केसीसी की जानकारी दी. मौके पर बीटीएम बोधादित्य हांसदा, एटीएम निर्मल महतो, लैंपस प्रतिनिधि मलय कुमार षंड, दुलाल मांडी, किसान मित्र सुधीर मिश्रा, विक्रम सोरेन उपस्थित थे.