झारखंड : कम बारिश से कोल्हान के किसान परेशान, अब तक नहीं लगी धान की फसल, चारा भी सूख रहा

कम बारिश ने कोल्हान के किसानों की चिंता बढ़ा दी है. खेतों में पानी नहीं होने के कारण किसान धान की फसल नहीं लगा पा रहे हैं. बता कि राज्य में सबसे ज्यादा धान की खेती पश्चिमी सिंहभूम जिले में ही होती है, लेकिन जिले के दो प्रखंड की स्थिति काफी खराब है. यहां खेत सूखने लगे हैं.

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 16, 2023 4:10 PM

जमशेदपुर (पूर्वी सिंहभूम), ब्रजेश सिंह : इस साल मानसून की बेरुखी के कारण खरीफ की खेती पर असर पड़ रहा है. हालत यह है कि किसान त्राहिमाम कर रहे हैं. धान के बिचड़े डालकर बारिश का इंतजार कर रहे हैं. खेत-खलिहान में सुखाड़ जैसी स्थिति है. कम बारिश होने से कोल्हान के किसान परेशान हैं. पूर्वी सिंहभूम जिले की बात करें, तो जिलों में खेती पूरी तरह बर्बादी की कगार पर है. कहीं चारा सूख रहा है, तो कहीं चारे को हाथियों से बचाना मुश्किल हो रहा है. किसानों के सामने विकट स्थिति बनी हुई है. कृषि विभाग के अधिकारी खेतों में जाकर फसल लगाने का आकलन करने के साथ किसानों को वैकल्पिक खेती की भी सलाह दे रहे हैं. लेकिन, सरकार की ओर से अब तक सूखे की स्थित को लेकर कुछ भी स्पष्ट नहीं किया गया है.

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पूर्वी सिंहभूम जिले में 1.45 लाख किसान खेती पर निर्भर

राज्य सरकार पूर्वी सिंहभूम जिले को सुखाड़ के दायरे में अब तक नहीं रख पायी है, जबकि यहां करीब एक लाख 45 हजार किसान हैं, जो खेती कर अपना जीवन-यापन करते हैं. जाहिर सी बात है कि मुश्किलें बढ़ चुकी हैं. राज्य के कई जिलों से आंकड़े मंगाये गये हैं, लेकिन राज्य सरकार ने अब तक इन जिलों को लेकर किसी तरह का कोई डाटा या जानकारी नहीं मांगी है. हालांकि, जिला कृषि विभाग की ओर से स्थानीय स्तर पर जानकारी हासिल की जा रही है.

खरीफ फसल का लक्ष्य

धान : 1,10,000 हेक्टेयर

मक्का : 11,820 हेक्टेयर

दलहन :

अरहर : 10,000 हेक्टेयर

उरद : 6,000 हेक्टेयर

मूंग : 2,500 हेक्टेयर

कुलथी : 2,000 हेक्टेयर

अन्य : 1,700 हेक्टेयर

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तेलहन

मूंगफली : 995 हेक्टेयर

तिल : 405 हेक्टेयर

सोयाबीन : 300 हेक्टेयर

सूर्यमूखी : 105 हेक्टेयर

सरगूजा : 793 हेक्टेयर

अंडी : 52 हेक्टेयर

मोटा अनाज

ज्वार : 150 हेक्टेयर

बाजरा : 40 हेक्टेयर

मड़ुआ : 1000 हेक्टेयर

पांच सालों में खेती की स्थित (सभी आंकड़े हेक्टेयर में)

वित्तीय वर्ष 2018-2019

अनाज : लक्ष्य : आच्छादन

धान : 1,10,000 : 1,01,200

मक्का : 11,820 : 10,638

दलहन : 21,700 : 19,096

तेलहन : 2,650 : 2,067

वित्तीय वर्ष 2019-2020

अनाज : लक्ष्य : आच्छादन

धान : 1,10,000 : 78,100

मक्का : 11,820 : 08,510

दलहन : 22,200 : 16,650

तेलहन : 02,650 : 00,822

वित्तीय वर्ष 2020-2021

अनाज : लक्ष्य : आच्छादन

धान : 1,10,000 : 1,01,200

मक्का : 0,11,820 : 0,11,229

दलहन : 0,22,200 : 0,15,207

तेलहन : 02,650 : 00,599

वित्तीय वर्ष 2021-2022

अनाज : लक्ष्य : आच्छादन

धान : 1,10,000 : 1,08,075

मक्का : 0,11,820 : 0,07,210

दलहन : 22,200 : 0,12,067

तेलहन : 02,650 : 00,345

वित्तीय वर्ष 2022-2023

अनाज : लक्ष्य : आच्छादन

धान : 1,10,000 : 79,622

मक्का : 11,820 : 07,683

दलहन : 22,200 : 04,450

तेलहन : 2,650 : 00,288

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क्या कहते हैं किसान

पूर्वी सिंहभूम के चाकुलिया स्थित जुगितुपा पंचायत के हरिशचंद्र महाली का कहना है कि बारिश नहीं होने के कारण धान की खेती नहीं कर पा रहे हैं. चारा भी सूख रहा है. कहते हैं कि इस बार हालत खराब हो गयी है. मालूम नहीं बारिश हल्की भी होगी या नहीं, समझ नहीं आ रहा है. दो एकड़ जमीन में हमलोगों की खेती होती है, लेकिन अभी सुखाड़ जैसे हालात हैं. वहीं, चाकुलिया के लोधाशोली स्थित राजाबांध के किसान उपेंद्र नाथ महतो ने कहा कि धान का चारा पिछलेदिनों हाथी खा गये. किसी तरह धान के बिचड़े को तैयार किया था. हाथियों ने उनकी मेहनत पर पानी फेर दिया है. इस वर्ष खेती करने के लिए पुनः बिचड़ा तैयार करना पड़ेगा. वहीं, अल्प वर्षा से चिंतित हैं. हाथी और कम बारिश, हम लोगों की जान ले लेगा.

बारिश की कमी के कारण खेती का कार्य नहीं हो पा रहा शुरू

चाकुलिया स्थित उदाल के किसान गणेश हेंब्रम ने कहा कि चारा तैयार है, लेकिन बारिश नहीं होने के कारण खेती का कार्य शुरू नहीं हो पा रही है. किसान का कहना है कि बारिश की कमी के कारण धान की रोपनी नहीं हो पायी है. मानसून की बेरुखी से हमलोग बरबाद हो जायेंगे. समय हाथ से निकलता जा रहा है. ऐसा लग रहा है. इस साल सुखाड़ पड़ जायेगा. वहीं, पटमदा स्थित अगुइदानरा के विपिन कुंभकार का कहना है कि बारिश तो बिलकुल नहीं हो रही है. वैकल्पिक सिंचाई की योजना तो है, लेकिन इसका भी लाभ हमलोग नहीं ले पा रहे हैं. क्योंकि, ग्राउंड वाटर भी कम हो गया है. ऐस लग रहा है कि हमलोगों की खेती इस बार बर्बाद ही है. धान का बिचड़ा गिराकर भी हमलोग रोपनी नहीं कर पा रहे हैं. वहीं, बोड़ाम के गेरुवा निवासी किसान रुतु राम महतो का कहते हैं कि बारिश नहीं हो रही है. मुश्किल जैसे हालात हैं. किसी तरह की खेती नहीं कर पा रहे हैं. सब्जियों की खेती भी बर्बाद हो रही है. बारिश छिटपुट होती है, उससे खेती बेहतर होगी, ऐसा तो नहीं हो सकता है. इस कारण हमलोग अब भी बारिश का ही इंतजार कर रहे हैं.

कृषि पदाधिकारी पहुंचे गांव, खुद लगाया धान का बिचड़ा

पूर्वी सिंहभूम जिला कृषि पदाधिकारी मिथिलेश कालिंदी सुखाड़ जैसे हालात को देखते हुए काफी सक्रिय हो गये हैं. वे खुद पटमदा, बोड़ाम जैसे इलाकों का दौरा करने गये. यहां उन्हाेंने किसानों से मुलाकात की और ग्राउंड रियलिटी को चेक किया. उन्होंने वहां जाकर देखा कि सही में हालात खराब हैं. वैसे कई किसान अब भी धान की रोपनी करते नजर आये. इस आस में किसान थे कि बारिश होगी तो कहीं फसल हो जाये. इस मौके पर मिथिलेश कालिंदी खुद को रोक नहीं पाये और खुद धान का बिचड़ा लगाया. खुद किसानी शुरू की. खुद बीज लगाये. इस दौरान किसानों में जोश देखा गया. उन्होंने किसानों को कहा कि वे लोग और कृषि विभाग उनके साथ है. सरकार उनके साथ है. उनको इस संकट की घड़ी में अकेला नहीं छोड़ा जायेगा. मकई, सब्जियों में बेहतर विकल्प हैं. इसके लिए हल्की बारिश से भी लाभ होगा.

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सरायकेला-खरसावां में अब तक 3240 हेक्टेयर में ही हुआ खेती कार्य

वहीं, सरायकेला-खरसावां जिले में बारिश इस बार फिर से दगा दे गयी है. जुलाई का एक पखवाड़ा बीत गया है, पर अब तक बारिश महज 46 एमएम हुई है, जो सामान्य बारिश के लगभग 17 फीसदी है. जुलाई में 284 एमएम बारिश की जरूरत होती है. ऐसे में धान के खेत सूखे पड़े हैं. आंकडों को देखें, तो जिला कृषि विभाग द्वारा एक लाख हेक्टेयर में धान की खेती का लक्ष्य रखा गया है, जिसमें अब तक महज 3240 हेक्टेयर में ही खेती कार्य हो सका है. अन्य खरीफ फसल जैसे मक्का, बाजरा, ज्वार सहित दलहन व मोटा अनाज का भी यही हाल है.

15 जून से 20 जुलाई तक धनरोपनी का उत्तम समय : सरायकेला जिला कृषि पदाधिकारी

सरायकेला-खरसावां के जिला कृषि पदाधिकारी संजय कुमार सिंह ने बताया कि धान की रोपनी के लिए 15 जून से 20 जुलाई तक का समय उत्तम माना जाता है. अगर इस समय बारिश नहीं होती है, तो फसल की पैदावार पर प्रभाव पड़ेगा. सरायकेला-खरसावां जिले के अधिकांश खेतों में छींटा विधि से ही खेती होती है. अगर पर्याप्त बारिश नहीं हुई, तो किसानों को मायूसी ही हाथ लगेगी.

वैकल्पिक खेती के बारे में भी किसानों को सोचना होगा : कृषि वैज्ञानिक

वहीं, सरायकेला-खरसावां जिले के कृषि अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिक बिनोद कुमार ने बताया कि वैकल्पिक व्यवस्था के बारे में किसानों को गंभीरता से सोचना चाहिए. अगर किसान के धान के बिचड़े खराब हो जाते हैं, तो वे लोग अन्य खेती भी कर सकते हैं. उरद, कुलथी की खेती की जा सकती है. किसानों के लिए कई सारे विकल्प मौजूद हैं. कम बारिश वाले एरिया में कम पानी में इसकी खेती हो सकती है.

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पूर्वी सिंहभूम जिले में जुलाई में अब तक सिर्फ 77.8 एमएम बारिश, जरूरत 316.4 एमएम की

दूसरी ओर, पूर्वी सिंहभूम जिला कृषि विभाग से मिले आंकड़ों के मुताबिक, जिले में एक जुलाई से 15 जुलाई, 2023 तक कुल 77.8 मिलीमीटर बारिश ही हुई है. इस समय तक कुल 316.4 मिलीमीटर हो जानी चाहिए थी. सबसे कम बारिश पटमदा और बोड़ाम प्रखंड में हुई है, जहां सबसे ज्यादा लोग खेती पर निर्भर हैं. टमाटर, सब्जियों के अलावा धान की भी बड़े पैमाने पर यहां खेती होती है. बहरागोड़ा, चाकुलिया, गुड़ाबांधा, धालभूमगढ़ जैसे प्रखंडों में बारिश बेहतर हुई है और चूंकि, वह निचला इलाका माना जाता है, इस कारण यहां खेती के हालात थोड़ा ठीक है. बोरिंग जैसी सुविधाएं भी ग्राउंड वाटर के कारण फेल कर चुकी है. इस कारण अब किसान सिर्फ बारिश पर ही निर्भर हैं.

एक जून से 15 जुलाई, 2023 तक पूर्वी सिंहभूम में 53 फीसदी कम बारिश

राज्य मौसम विभाग से प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक, पूर्वी सिंहभूम जिले में एक जून से 15 जुलाई, 2023 तक (मानसून में) अब तक 177.3 मिलीमीटर बारिश हुई है. वहीं, अब तक जिले में 376.2 मिलीमीटर बारिश होनी चाहिए थी.

प्रखंडवार बारिश की स्थिति (एक जुलाई से 15 जुलाई, 2023 तक) :

प्रखंड : बारिश

जमशेदपुर : 34.0 मिलीमीटर

पोटका : 53.2 मिलीमीटर

पटमदा : 46.0 मिलीमीटर

बोड़ाम : 46.2 मिलीमीटर

मुसाबनी : 83.4 मिलीमीटर

डुमरिया : 71.6 मिलीमीटर

घाटशिला : 83.0 मिलीमीटर

धालभूमगढ़ : 152.4 मिलीमीटर

चाकुलिया : 144.0 मिलीमीटर

बहरागोड़ा : 61.6 मिलीमीटर

गुड़ाबांधा : 73.4 मिलीमीटर

औसत : 77.8 मिलीमीटर

पश्चिमी सिंहभूम में जुलाई में 10% ही बारिश, आनंदपुर-मनोहरपुर के खेत सूखे

बता दें कि राज्य में सबसे ज्यादा धान की खेती पश्चिमी सिंहभूम जिले में ही होती है. यहां धान की पैदावार क्षमता प्रति हेक्टेयर 1950 किलोग्राम है. राज्य की उपज 42.2% है, लेकिन इस बार जुलाई में अब तक मात्र 10% ही बारिश हुई है. धान की खेती के लिए जुलाई में औसतन 271.7 एमएम बारिश होनी चाहिए, लेकिन आधी जुलाई बीतने के बाद भी मात्र 42.2 एमएम ही बारिश हो पायी है. ऐसे में अब तक खेतों में बिचड़ा नहीं डाला जा सका है. जिले के दो प्रखंड मनोहरपुर और आनंदपुर में तो स्थिति और भी बदतर है. इन प्रखंडों के खेत जुलाई में भी सूखे हैं.

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