Jharkhand News, Qatar News: खाड़ी देश कतर में फीफा विश्व कप-2022 की धूम है. दुनिया के सबसे लोकप्रिय खेल के शीर्ष आयोजन की मेजबानी को लेकर कतर की दुनिया भर में चर्चा हो रही है. कतर के खूबसूरत स्टेडियम की चर्चा हो रही है, विदेश से आनेवाले मेहमानों के सत्कार के लिए की गयी तैयारियों को देखकर सभी दंग हैं. इस खूबसूरती के पीछे की हकीकत काफी स्याह है. जिन लाखों मजदूरों ने दिन-रात मेहनत और लग्न से स्टेडियम व अन्य नागरिक सुविधाओं को विश्व स्तरीय बनाया, उनमें से काफी मजदूरों को विश्व कप शुरू होने के पहले ही काम से हटा दिया गया.
इतना ही नहीं उन्हें संबंधित कंपनी ने चार माह के लिए अपने वतन लौटा दिया है. इनमें भारत के विभिन्न प्रदेशों के डेढ़ लाख से अधिक मजदूर शामिल हैं. इनमें जमशेदपुर के 40 से अधिक मजदूर भी शामिल हैं. ये काम नहीं होने से मिले निर्देश के बाद लौट कर आना पड़ा है. कतर में फाइनल मुकाबला लुसैल स्टेडियम में 18 दिसंबर को खेला जायेगा. प्रवासी मजदूरों ने कतर में स्टेडियम, मेट्रो लाइन व टूर्नामेंट के लिए बुनियादी ढांचा तैयार किया.
भारत, पाकिस्तान, श्रीलंका समेत दक्षिण एशियाई देशों के मजदूरों की कतर में भरमार है. 2010 में फीफा ने कतर को विश्व कप की मेजबानी सौंपी, इसके एलान के बाद से कतर ने रोजगार सिस्टम में बड़े बदलाव करने की शुरुआत की. बड़े बदलावों में एक था काफला सिस्टम को खत्म करना. काफला सिस्टम के कारण मजदूर एक ही कंपनी से बंध जाते थे.
नौकरी छोड़ना मतलब देश छोड़ना माना जाता था. मेजबान कतर पर कई ह्यूमन राइट्स ऑर्गनाइजेशन ने प्रवासी मजदूरों के साथ बदसलूकी का भी आरोप लगाया है. एमनेस्टी, रियलिटी चेक 2021 की 48 पन्नों की रिपोर्ट के मुताबिक, कतर भले ही दावा करे कि उसने अपने श्रम कानूनों में बदलाव किया है, लेकिन सच यह है कि अब भी वहां मजदूरों को जबरदस्ती रखकर प्रताड़ित किया जाता है.
विश्व कप की तैयारी के लिए मजदूरों की काफी मांग थी, दिन-रात काम था. जैसे ही सारी व्यवस्थाएं सामान्य हुई, फोर्स टू लीव का आदेश सुना दिया गया. मजदूर हैं और काम के सिलसिले में 10 वर्षों से कतर में रह रहे थे. चार माह की छुट्टी मान कर वतन लौटे हैं. यह समय भी कट जायेगा.
इमरान खान, रोड नंबर 10, ओल्ड पुरुलिया रोड
विश्व कप को लेकर कतर में काफी भीड़ की संभावना को देखते हुए मजदूरों को वहां से हटाने का फैसला सरकार-शासन ने लिया है. जिनके अधीन काम करते थे, उनके आदेश के बाद वतन लौट आये. जब वहां चार माह काम नहीं मिलेगा. आदेश मिला, तो घर लौटना ही मुनासिब समझा.
आसिफ शरीफ, रोड नंबर 14, आजादनगर
रिपोर्ट- संजीव भारद्वाज, जमशेदपुर