सोनारी के मरीन ड्राइव और जुगसलाई के महाकालेश्वर घाट के कचरा डंपिंग यार्ड में डेढ़ माह से आग लगी हुई है. सोनारी में दस हजार और जुगसलाई में आठ हजार लोग इससे प्रभावित हो रहे हैं. हालात यह है कि कचरे की आग व धुआं से लोग बीमार पड़ रहे हैं. सोनारी में मरीन ड्राइव से सटे रिहायशी इलाके के लोग शाम होते ही घरों में बंद हो जा रहे हैं.
बीमार व सांस की दिक्कत वाले लोग घर छोड़ दूसरी जगह शिफ्ट हो गये हैं. सोनारी इलाके में कई चिकित्सक भी इससे प्रभावित हैं. चिकित्सकों का कहना है कि अगर यही हालात रहे तो अधिकतर लोग लंग्स की परेशानी से जूझने लगेंगे. एक साल बाद इलाके में कैंसर के रोगी मिलने लगेंगे.
बढ़ रहा कचरे का बोझ, नया कचरा डालते ही धधकने लगती है आग. हर रोज कचरे का बोझ उसी एरिया में बढ़ता जा रहा है. मरीन ड्राइव के किनारे जमशेदपुर अक्षेस, टाटा स्टील और मानगो नगर निगम एरिया का कचरा डंप हो रहा है. गाड़ियों से कचरे को आग पर ही डंप कर दिया जा रहा है. रात में यह आग धधकने लगती है. वातावरण में नमी होने से धुआं पूरे इलाके में छा जाता है. ऐसी धधकती आग को कोई बुझाने तक नहीं आता है.
धुआं से सोनारी मरीन ड्राइव और जुगसलाई के आसपास के बड़े अपार्टमेंट से लेकर छोटी बस्तियों के लोग भी पीड़ित हैं. सोनारी के स्वर्ण विहार, वृंदावन गार्डेन, विजया शताब्दी, अनिरबन अपार्टमेंट, अजंता अपार्टमेंट, साई श्रद्धा अपार्टमेंट, एलोरा अपार्टमेंट, अपराजिता अपार्टमेंट, सेवेंथ हेवेन, मित्तल अपार्टमेंट, अलकनंदा, महानंदा अपार्टमेंट, आस्था हाइटेक, गोल्डन टाउन, बालाका अपार्टमेंट के अलावा बिरसा मुंडा बस्ती, टीलू भट्ठा बस्ती, निर्मल बस्ती व आसपास की कई बस्तियां प्रभावित हैं.
माइक्रोबायोलॉजिस्ट डॉ पियाली सोनारी आस्था हाइटेक सिटी में रहती हैं. उन्होंने बताया कि कचरा के धुआं से लोगों का रहना दूभर है. लोगों को लंग्स डिसऑर्डर, खांसी, सांस लेने में दिक्कत की शिकायत लोगों को अधिक हो रही है. रात के वक्त तो रहना ही मुश्किल होता है.
कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉ कुंडू ने बताया कि सुबह से रात तक प्लास्टिक व अन्य पदार्थ के जलने से आस्था हाइटेक सिटी व बस्तियों के लोग परेशान है. इससे ब्रोंकाइटिस, खांसी, आंख, नाक की एलर्जी हो सकती है. लंग्स कैंसर का यह बड़ा खतरा है.
मधु ने बताया कि धुएं के कारण लोग घरों में कैद रहते हैं. शाम होते ही आंख, कान, नाक में जलन होने लगती है. ऐसा लगता है कि यह घर छोड़कर जाना पड़ेगा. हमारे आर्किट अपार्टमेंट में तो कई लोग 15 दिनों तक बाहर रहकर आते हैं. सबको हेल्थ का इश्यू हो रहा है.
सोनारी आर्किट अपार्टमेंट निवासी नवल तिवारी ने बताया कि मेरा बेटा अस्थमा से ग्रसित है. हम लोगों को घर बंद करके रखना पड़ता है. बच्चे को सांस लेने में दिक्कत होती है. कुछ दिनों तक हम बाहर रुक गये थे, लेकिन कितना दिन कहीं और रहा जा सकता है.
करण सिंह ने बताया कि पूरा परिवार प्रदूषण की वजह से परेशान है. अस्पताल में एडमिट होने की नौबत आ गयी थी. मुझे ब्रोंकाइटिस तो पत्नी एवं पांच साल के बेटे को सर्दी, खांसी और सांस लेने की तकलीफ होने लगी है. अब तक स्वस्थ नहीं हो सके हैं.
रानी ने बताया कि उम्र दराज होने के बाद भी मैं स्वस्थ थी. प्रदूषण बढ़ने से काफी परेशानी है. कोविड के बाद भी मास्क पहनकर रहना पड़ रहा है. कोविड-19 में मैं अपने आप को बचा ली, लेकिन अब प्रदूषण से सांस लेने में परेशानी होने लगी है.