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जमशेदपुर की ये महिला बैंक की नौकरी छोड़ कर रही हैं मछली पालन, प्रतिमाह कमाती है 75 हजार रुपये

कोरोना काल में जब लोगों की नौकरी जा रही थी, तभी बारीडीह की अर्जुन कॉलोनी की नुपूर रानी ने गुड़गांव स्थित बैंक ऑफ अमेरिका की नौकरी छोड़ पति नयन बाजोरिया के साथ खुद का कारोबार शुरू किया.

By Sameer Oraon | October 13, 2022 1:53 PM

जमशेदपुर: जमशेदपुर की महिला नुपूर रानी ने गुड़गांव में बैंक की नौकरी छोड़ मछली पालन करना शुरू किया. वो भी तब जब कोरोना में लोगों की नौकरी जा रही थी. उन्होंने गुड़गांव स्थित बैंक ऑफ अमेरिका की नौकरी छोड़ी फिर पति के साथ मछली पालन काम शुरू किया. आपको बता दें कि उन्होंने बायो-फ्लॉक पद्धति से मछली पालन किया. इस इस पद्धति से बहुत कम लोग मछली पालन कम ही लोग करते हैं.

इस वजह से नुपूर रानी झारखंड सरकार के मत्स्य पालन विभाग के लिए भी रोल मॉडल बन चुकी हैं. इससे वह हर माह 75 हजार रुपये कमा रही हैं. नुपूर व उनके पति शाकाहारी हैं. बावजूद उन्होंने मछली पालन शुरू किया है. कारोबार अच्छा चल रहा है. कारोबार बढ़ाना चाहते हैं. नुपूर रानी ने बताया कि अधिकांश पानी को री-साइकल किया जाता है. पानी में ऑक्सीजन की सप्लाई भी लगातार होती है.

4000 वर्ग फीट भूमि पर बनायी टंकी 

नुपूर रानी ने बारीडीह अर्जुन कॉलोनी में 4000 वर्ग फीट जमीन पर सात टंकी का निर्माण किया है. एक टंकी की क्षमता 10 हजार लीटर पानी की है. कुल सात टंकियों में मछली का पालन किया जाता है. वह अभी कवई और सिंघी मछली का पालन कर रही हैं. इससे पहले वह मांगुर और पंगास जैसी मछलियों का पालन कर रही थी. करीब चार टन मछली का पालन बायो फ्लॉक के जरिये कर रही है. खुद बाजार जाकर कारोबारियों को मछलियां बेचती हैं, जिससे इसकी मांग बढ़ी है.

बायो-फ्लॉक पद्धति से करती हैं मछली का पालन 

इस तकनीक में बायो फ्लॉक नामक बैक्टीरिया का इस्तेमाल होता है. सबसे पहले मछलियों को बड़ी-बड़ी टंकियों में डाला जाता है. फिर मछलियों को खाना दिया जाता है. मछलियां जितना खाती हैं, उसका 75 फीसदी मल के रूप से निकाल देती हैं. फिर इस मल को बायो फ्लॉक बैक्टीरिया प्रोटीन में बदलने का काम करता है. इसे मछलियां खा जाती हैं. इससे उसका विकास बेहद तेजी से होता है और बिना तालाब के ही मछली पालन होता है.

रांची की हैं नुपूर 

रांची के पहाड़ी मंदिर निवासी बसंत कुमार साहू की बेटी नुपूर रानी का विवाह नयन बाजोरिया से हुआ. उसने स्कूली पढ़ाई रांची से की थी. वनस्पति शास्त्र में मास्टर की डिग्री हासिल की. इसके बाद उसने सोचा कि क्यों नहीं वह प्राकृतिक चीजों से जुड़कर ही अपना कारोबार करे, ताकि नौकरी का झंझट ही नहीं रहे.

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