Jharkhand news: जमशेदपुर के टेल्को, बिरसानगर और मनीफिट क्षेत्र में पहेली बनकर घूम रहा लकड़बग्घा सोमवार की सुबह मारा गया. पिछले 15 दिनों से वन विभाग की टीम रात के अंधेरे में लकड़बग्घा को पकड़ने के लिए जाल लेकर घूमती रही, लेकिन अफसोस कि बेजुबान दिन के उजाले में मारा गया.
मारा गया एक लकड़बग्धा
सोमवार को बर्मामाइंस क्षेत्र के सिदो कान्हू बस्ती के जंगल में सुबह करीब 7.30 बजे कचरा चुनने वाले बच्चों ने दो लकड़बग्घा को देखा. उसमें से एक सड़क की ओर भागा, जबकि दूसरा जंगल की ओर भाग गया. बच्चे सड़क की ओर भागते लकड़बग्घा का पीछे किया. इस दौरान लकड़बग्धा रेलवे ब्रिज के पास एक स्कूटी से टकराते हुए पुराने ब्रिज से नीचे गिर गया. नीचे गिरते ही लकड़बग्धा अचेत हो गया. अचेत स्थिति में लकड़बग्घा को बस्ती के एक युवक ने उसे कंधे पर उठा ले आया. हालांकि, तब तक उसकी मौत हो चुकी थी. उसके बाद मौके पर बर्मामाइंस पुलिस टीम और करीब 11 बजे वन विभाग की टीम मृत लकड़बग्घा को पोस्टमार्टम के लिए ले गयी.
प्रभात खबर ने सबसे पहले प्रकाशित की थी खबर
टेल्को के रिंग रोड में लकड़बग्घा के दिखने की खबर सबसे पहले प्रभात खबर ने 21 मार्च के अंक में प्रकाशित की थी. 19 मार्च की रात वह रिंग रोड, टेल्को क्लब के नाला के पास देखा गया था. उसके बाद वह बिरसानगर में देखा गया था. शुरुआत में वन विभाग की टीम लकड़बग्घा के दिखने की बात की पुष्टि नहीं कर रही थी, हालांकि टीम लगातार खोज में लगी थी. लेकिन, 31 मार्च की रात मनीफिट स्थित एक ब्रेड फैक्ट्री के सीसीटीवी कैमरे में लकड़बग्घा के जंगल से निकलने और घूमने की हरकत रिकॉर्ड होने के बाद वन विभाग पूरी तरह सुनिश्चित हो गयी कि लकड़बग्घा क्षेत्र में घूम रहा है. वन विभाग की टीम दो रात लगातार जाल लेकर लकड़बग्घा के जंगल से बाहर निकलने का इंतजार करती रही, लेकिन न वह बाहर आया और न पकड़ा गया और आखिरकार लकडबग्घा मारा गया.
दो लकड़बग्घा के होने की खबर सच साबित हुई
लकड़बग्घा दो की संख्या में है. इसकी संभावना भी प्रभात खबर ने मनीफिट में दिखे लकड़बग्घा के शारीरिक आकार को देखकर की थी. मनीफिट में दिखा लकड़बग्घा टेल्को में दिखे लकड़बग्घा से आकार में छोटा था. बर्मामाइंस में मारा गया लकड़बग्घा बिल्कुल वैसा ही है जैसा कि 31 मार्च की रात मनीफिट में दिखा था. वहीं, दूसरी ओर बर्मामाइंस में लकड़बग्घा को देखने वाले बच्चों ने भी स्पष्ट रूप से बताया कि उन्होंने दो लकड़बग्घा को देखा था.
10 साल के राजू ने दिखाई हिम्मत
लकड़बग्घा को देखकर उसे दौड़ाने वाले राजू की उम्र महज 10 वर्ष है. पूछने पर उसने कहा कि वह लकड़बग्घा को कभी नहीं देखा. कुत्ता से बड़ा दिखने पर पहले उसे डर लगा, इसलिए उसने उसे दौड़ाया, तो वह मेन रोड की ओर भागने लगा. राजू भी उसके पीछे भागा. राजू ने बताया कि भागते हुए लकड़बग्घा रेलवे पुल के पास एक स्कूटी वाले से टकराया और उसके थोड़ी दूर दौड़ने के बाद ब्रिज से नीचे गिर गया. बस्ती में रहने वाले ही एक युवक मोमो ने उसे मृत अवस्था में अपने कंधे में उठा कर बस्ती ले आया. भीड़ जुटने के बाद वह जानवर लकड़बग्घा है इसकी जानकारी राजू व मामो को हुई.
दूसरे लकड़बग्घे को देखने पर करें सूचित : डीएफओ
इस संबंध में डीएफओ ममता प्रियदर्शी ने कहा कि अफसोस है कि लकड़बग्घा को जिंदा नहीं रेस्क्यू किया जा सका. हमारी टीम कई रात संभावित इलाकों में खोजने का कार्य कर रही थी, लेकिन वह नहीं दिखा. लकड़बग्घा के मौत का कारण पोस्टमार्टम होने के बाद ही बताया जा सकता है. साथ ही दूसरे लकड़बग्घा को देखने पर वन विभाग को सूचित करने की अपील की. कहा कि जानवरों को हानि पहुंचाने पर वन अधिनियम और वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 के तहत कार्रवाई भी की जा सकती है.
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Posted By: Samir Ranjan.