असामाजिक तत्व व वन तस्कर तालसा-कुदादा जंगल में लगा रहे आग

Forest smuggler Talsa-Kudada forest

By Prabhat Khabar News Desk | April 19, 2024 5:07 PM

जमशेदपुर प्रखंड केरुवाडुंगरी पंचायत क्षेत्र के तालसा-कुदादा जंगल में असामाजिक तत्वों के द्वारा हर दिन आग लगा दिया जा रहा है. इसी क्रम में जंगल में आग लगने से सदाबहार जंगल जल कर नष्ट हो रहे हैं. दिन में तेज हवा के कारण ग्राम वन सुरक्षा समिति सदस्यों को आग बुझाने में काफी परेशानी हो रही है. जंगल में यहां-वहां आग धू- धू कर जल रहा है. इस अगलगी से जंगल व वन्यजीव प्रभावित हो रहे हैं. हर दिन अगलगी की हो रही घटना से परेशान होकर ग्राम वन सुरक्षा समिति के सदस्यों ने पहाड़ी की ओर जाने वाले हर रास्ते में सूचनापट्ट लगाकर लोगों को आग नहीं लगाने की चेतावनी दी है. हालांकि चेतावनी के बावजूद जंगल में अगलगी की घटना कम होने का नाम नहीं ले रहा है. ग्रामीणों ने सुबह-शाम गश्ती करने का लिया है फैसला तालसा-कुदादा पहाड़ी से सटे विभिन्न गांव के प्रमुख व ग्राम वन सुरक्षा समिति के सदस्यों ने जंगल को असामाजिक तत्वों से बचाने के लिए सामूहिक बैठक किया. जिसमें निर्णय लिया गया कि वे हर दिन सुबह-शाम एक टीम बनाकर पहाड़ी में गश्ती करेंगे. जंगल में आग लगाते हुए पकड़े जाने पर असामाजिक तत्वों को दंडित भी करेंगे. वन तस्कर व असामाजिक तत्व जंगल में लगा रहे आग तालसा गांव के माझी बाबा दुर्गाचरण मुर्मू ने बताया कि वन तस्करों तथा असामाजिक तत्वों द्वारा जंगलों में आग लगा दी जा रही है. वे चोरी-छिपे जंगल में जाकर आग लगा दे रहे हैं. ताकि उन्हें सूखे लकड़ी को जंगल से लाने का एक बहाना मिल जाये. पहाड़ी से सटे तालसा, तुरामडीह, कुदादा, भुरीडीह, बाहरडाडी व भीतरडाडी गांव के ग्रामवासी लंबे समय से वन जंगल को बचाने का काम कर रहे हैं. जिसके बदौलत जंगल हरा भरा दिख रहा है. जंगल में वन-जंगल को काटना पूर्णत: मना है. लेकिन वन तस्कर व असामाजिक तत्व चोरी छिपे वन-जंगल को काट रहे हैं. ग्रामवासी उनकी घेराबंदी करने के मुस्तैद कर दिये गये हैं. एक सप्ताह पूर्व जंगल में लगी थी भीषण आग एक सप्ताह पूर्व जंगल में भीषण आग लग गयी थी. जिसमें कई छोटे-बड़े पेड़ जलकर राख हो गये. लगातार चार दिनों की मशक्कत के बाद तालसा, तुरामडीह व बाहरदाड़ी के ग्रामीणों ने आग पर काबू पाया था. आग को काबू करने में पूर्व पंचायत समिति सदस्य जितेन हेंब्रम, माझी बाबा दुर्गाचरण हेंब्रम, नायके बाबा हबीराम मुर्मू, सनातन हेंब्रम, रामचंद्र टुडू, सनातन सोरेन, पांडु मुर्मू, दुर्गा हांसदा, बासु मुर्मू समेत अन्य महिला-पुरुष ने बढ़-चढ़कर योगदान दिया था.

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