Jharkhand news: झारखंड में बिजली संकट की समस्या के समाधान को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने वर्तमान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पत्र लिखा है. पत्र में श्री दास ने लिखा कि राज्य में प्रचंड गर्मी के बीच बिजली संकट गहराता चला जा रहा है. गांव और शहर में लगातार पावर कट से जनता परेशान है. बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है. बुजुर्गों और मरीजों का हाल बुरा हो गया है. उनकी सरकार में भी बिजली का संकट पैदा होता था, लेकिन पहले से की गयी तैयारी और योजना के कारण इतनी अधिक लोड शेडिंग की आवश्यकता नहीं होती थी. उन्होंने श्री सोरेन से राज्य वासियों को बिजली संकट से निजात दिलाने का आग्रह किया है.
राज्य में जरूरत 2600 मेगावाट, मिल रहा मात्र 1200 मेगावाट
पूर्व सीएम श्री दास ने कहा कि वर्तमान में झारखंड में 2300 से 2600 मेगावाट बिजली की जरूरत है. इसमें DVC के अंतर्गत छह जिलों में 600 मेगावाट बिजली की जरूरत शामिल है. इसकी तुलना में झारखंड को लगभग 1200 मेगावाट बिजली ही मिल रही है. इसमें TVNL से 320 मेगावाट, आधुनिक से 180 मेगावाट, इंलैंड पावर से 60 मेगावाट तथा सेंट्रल पूल से 650 मेगावाट बिजली मिल रही है, जो आवश्यकता से 600-700 मेगावाट कम है.
हेमंत सरकार पर आरोप
उन्होंने इस बिजली संकट के लिए हेमंत सरकार की निष्क्रियता को जिम्मेवार बताया है. कहा कि वर्ष 2020 में इसी प्रकार का बिजली संकट उत्पन्न हुआ था. उस समय की घटना से आपकी सरकार ने कोई सीख नहीं ली. पहले से ही योजना बनायी जाती और टाटा पावर, डीवीसी या अन्य कंपनियों के साथ पीपीए कर लेना चाहिए था.
सबसे बड़ा कोयला राज्य, फिर भी दूसरे राज्यों से बिजली खरीदने को मजबूर
श्री दास ने कहा कि झारखंड देश में सबसे बड़ा कोयला उत्पादक राज्य है. यहां से कोयला दूसरे राज्यों में जाता था और हम बिजली खरीदते थे. झारखंड से कोयले का नहीं बिजली दूसरे राज्यों में जाए, इसे ध्यान में रखकर भाजपा की डबल इंजन सरकार के समय TPPS, पतरातू और NTPC के बीच साझा समझौता हुआ. इसके तहत 2024 तक 4000 मेगावाट बिजली का उत्पादन शुरू हो जाना था. पीएम नरेंद्र मोदी ने इसका शिलान्यास किया था. पहले चरण में 800 मेगावाट बिजली का उत्पादन शुरू होना था, जो सरकार की उदासीनता के कारण शुरू नहीं हो पाया.
NTPC के नार्थ कर्णपुरा से अब तक उत्पादन शुरू नहीं, कौन जिम्मेवार
उन्होंने कहा कि NTPC के नार्थ कर्णपुरा का शिलान्यास पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी ने किया था. 10 साल तक केंद्र की यूपीए सरकार ने इसे रोक दिया. 2014 में सत्ता संभालने के बाद पीएम मोदी ने इसे फिर से शुरू कराया. अब यह पावर प्लांट बनकर तैयार है, लेकिन राज्य सरकार के फोरेस्ट क्लियरेंस में यह मामला दो साल से लंबित है. इससे भी 800 मेगावाट बिजली का उत्पादन होता. इसी तरह गोड्डा में निजी कंपनी अडानी के साथ 400 मेगावाट बिजली उपलब्ध कराने का करार किया गया था. दो साल से कंपनी के अधिकारी पीपीए के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट रहें हैं, लेकिन PPA नहीं मिल रहा.
Posted By: Samir Ranjan.