मृदुभाषी और सहज राजनीतिज्ञ के तौर पर लक्ष्मण गिलुवा की थी पहचान, रुद्र प्रताप षाड़ंगी को मानते थे अपना राजनीतिक गुरु
Jharkhand News (चक्रधरपुर) : भारतीय जनता पार्टी के पूर्व सांसद सह पूर्व झारखंड प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुवा का निधन हो गया. वह 57 वर्ष के थे. अस्पताल द्वारा जारी बुलेटिन में बताया गया है कि लक्ष्मण गिलुवा का देहांत गुरुवार रात 2:50 बजे टाटा मोटर्स अस्पताल, जमशेदपुर में हुआ. विगत 21 अप्रैल को कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद उन्हें जमशेदपुर के टाटा मोटर्स हॉस्पिटल में 22 अप्रैल को दाखिल कराया गया था. जहां शुरू में उन्हें इलाज में भाजपाइयों का साथ नहीं मिलने की बात सामने आयी थी, लेकिन बाद में पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास के समर्थकों ने एक वीडियो बनाकर सोशल मीडिया में इस बात से इनकार किया और श्री गिलुवा के स्वस्थ होने की जानकारी दी गयी तथा उन्हें हर तरह से इलाज उपलब्ध कराने की बात कही गयी.
Jharkhand News (शीन अनवर, चक्रधरपुर) : भारतीय जनता पार्टी के पूर्व सांसद सह पूर्व झारखंड प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुवा का निधन हो गया. वह 57 वर्ष के थे. अस्पताल द्वारा जारी बुलेटिन में बताया गया है कि लक्ष्मण गिलुवा का देहांत गुरुवार रात 2:50 बजे टाटा मोटर्स अस्पताल, जमशेदपुर में हुआ. विगत 21 अप्रैल को कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद उन्हें जमशेदपुर के टाटा मोटर्स हॉस्पिटल में 22 अप्रैल को दाखिल कराया गया था. जहां शुरू में उन्हें इलाज में भाजपाइयों का साथ नहीं मिलने की बात सामने आयी थी, लेकिन बाद में पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास के समर्थकों ने एक वीडियो बनाकर सोशल मीडिया में इस बात से इनकार किया और श्री गिलुवा के स्वस्थ होने की जानकारी दी गयी तथा उन्हें हर तरह से इलाज उपलब्ध कराने की बात कही गयी.
बताया गया कि हॉस्पिटल में उन्हें रेमडेसिवीर इंजेक्शन की जरूरत थी, लेकिन वह इंजेक्शन उन्हें नहीं मिल रही थी. इसके बाद बहरागोड़ा विधायक कुणाल सारंगी ने ट्वीट कर इंजेक्शन उपलब्ध कराने की मांग की. इसके बाद उन्हें इंजेक्शन उपलब्ध हो सका था. टाटा मोटर्स अस्पताल में ही उनका इलाज चल रहा था. इस दौरान कांटेक्ट ट्रेसिंग के तहत चक्रधरपुर स्थित उनके निवास स्थान में रहने वाले सभी सदस्यों का ट्रूनेट द्वारा कोरोना वायरस की जांच 23 अप्रैल को की गयी, जिसमें परिवार के 6 अन्य सदस्य पॉजिटिव पाये गये. इधर, सभी 6 सदस्य वर्तमान में होम आइसोलेशन में हैं. जिनमें से एक की हालत ज्यादा खराब बतायी जा रही है.
लक्ष्मण गिलुवा का राजनीतिक सफरनामा
दिवंगत नेता लक्ष्मण गिलुवा अपना राजनीतिक गुरु दिवंगत सांसद रुद्र प्रताप षाड़ंगी को मानते थे. उन्हीं के नेतृत्व में उन्होंने राजनीति की शुरुआत की थी. पहली बार 1990 में निर्दलीय के तौर पर चक्रधरपुर विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़े थे, जिसमें उन्हें शिकस्त मिली थी. वर्ष 1995 में भारतीय जनता पार्टी की ओर से चक्रधरपुर विधानसभा चुनाव जीतकर पहली बार बिहार विधानसभा के सदस्य निर्वाचित हुए. सिंहभूम के दबंग राजनीतिज्ञ विजय सिंह सोय को 1999 के 13वीं लोकसभा चुनाव में शिकस्त देकर वह पहली बार सांसद बने थे. 2009 में वह झारखंड विधानसभा के सदस्य चुने गए. 16वीं लोकसभा में 2014 का चुनाव उन्होंने जीता और फिर सांसद चुने गये. 2 बार सांसद एवं 2 बार विधायक बनने के बाद 2017 में उन्हें झारखंड प्रदेश भारतीय जनता पार्टी का अध्यक्ष बनाया गया. 2019 तक इस पद पर रहे. राजनीति के शुरू में वह चक्रधरपुर प्रखंड अध्यक्ष और पश्चिमी सिंहभूम जिला भाजपा अध्यक्ष भी रहे थे.
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लक्ष्मण गिलुवा का जीवन परिचय
लक्ष्मण गिलुवा का जन्म 20 दिसंबर, 1964 को पश्चिमी सिंहभूम जिला के चक्रधरपुर प्रखंड अंतर्गत टोकलो थाना क्षेत्र के जानटा गांव में हुआ था. उनके पिता स्वर्गीय दांसर गिलुवा पेशे से कृषक थे. उनकी माता गुरुवारी कुई गिलुवा गृहणी थी. उनकी धर्मपत्नी मालती गिलुवा गृहणी है. उनकी एक पुत्री का विवाह हो चुका है जबकि दो पुत्र और एक पुत्री अभी भी घर पर हैं.
मधुमेह रोग से पीड़ित थे लक्ष्मण
गिलुवा को एक दशक से मधुमेह का रोग था. जानकार बताते हैं कि डायबिटीज के कारण उनकी किडनी भी इफेक्टेड थी. इसलिए अपनी सेहत को लेकर वह हमेशा चिंतित रहा करते थे. ठंड के मौसम में स्वयं को बहुत अधिक सुरक्षित रखने का प्रयास किया करते थे. लगातार मधुमेह रोग की दवाओं का सेवन किया करते थे.
कम और मीठा बोलना पहचान थी
लक्ष्मण गिलुवा एक मृदुभाषी और सहज राजनीतिज्ञ के रूप में जाने जाते थे. मंच पर माइक मिलने के बाद वह भले ही बहुत अधिक और गर्जदार अंदाज में भाषण दे देते, लेकिन व्यवहारिक जीवन में उनकी पहचान एक सहज और मृदुभाषी राजनीतिज्ञ के रूप में थी. बात-बात पर मुस्कुराना और मुस्कुरा कर प्रश्नों का उत्तर देना उनकी आदत में शामिल था. किसी से ऊंची आवाज में बात नहीं किया करते थे. इसलिए वह आम जनता के बीच काफी लोकप्रिय थे.
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कोल्हान भाजपा का स्तंभ थे लक्ष्मण गिलुवा
लक्ष्मण गिलुवा कोल्हान में भाजपा के सबसे सशक्त और कद्दावर नेता के रूप में जाने जाते थे. चक्रधरपुर विधानसभा हो या फिर सिंहभूम संसदीय क्षेत्र का चुनाव एकमात्र नाम लक्ष्मण गिलुवा का ही टिकट की दावेदार के रूप में उभर कर सामने आया करता था. उन्होंने संगठन और भाजपा पार्टी के लिए बहुत कुछ न्योछावर कर दिया.
सोय की प्रतिद्वंद्विता से प्रसिद्धि मिली
लक्ष्मण गिलुवा के 1995 में विधायक बनने के बाद तत्कालीन कांग्रेस जिला अध्यक्ष सह सांसद दिवंगत विजय सिंह सोय के साथ लक्ष्मण गिलुवा की राजनीतिक प्रतिद्वंदिता थी. विजय सिंह सोय हमेशा श्री गिलुवा को राजनीतिक टारगेट करते और समाचार पत्रों में उनके विरुद्ध बया बाजी करते. कभी सभाएं करते और उन्हें राजनीतिक मात देने का प्रयास करते. इसका असर यह हुआ कि श्री गिलुवा को बहुत ज्यादा प्रसिद्धि हासिल हुई. 1998 के 12वीं लोकसभा चुनाव में विजय सिंह सोय कांग्रेस के टिकट पर सिंहभूम लोकसभा सीट से सांसद चुने गये, लेकिन 13 महीने में ही स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेई की सरकार गिर जाने के बाद 1999 में फिर लोकसभा की चुनाव हुई. जिसमें लक्ष्मण गिलुवा ने विजय सिंह सोय को पराजित कर पहली बार सांसद चुने गये.
मोहल्ला विकास समिति के अध्यक्ष थे
स्वर्गीय लक्ष्मण गिलुवा चक्रधरपुर ब्लॉक कॉलोनी मोहल्ला विकास समिति के अध्यक्ष भी थे. विगत माह इस समिति का गठन किया गया था. जिसका उद्देश्य मोहल्ले का विकास करना था, लेकिन असमय उनके निधन से यह कार्य अधूरा रह गया.
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पूरा जीवन किराये के मकान पर काट दिये
लक्ष्मण गिलुवा का पैतृक गांव टोकलो थाना अंतर्गत जानटा में है. उनका बाल्यकाल एवं छात्र जीवन वहीं गुजरा. जब राजनीति की शुरुआत 1990 से किये और 1995 में पहली बार विधायक चुने गए तो उन्होंने दंदासाई में एक किराए का दो मंजिला मकान लिया और पूरे जीवन उसी मकान में काट दिए. तीन वर्ष पूर्व ही उन्होंने ब्लॉक कॉलोनी में अपना निजी मकान बनवाया और वर्तमान में वहीं पर निवास कर रहे थे.
रघुवर दास के करीबी थे
स्वर्गीय लक्ष्मण गिलुवा पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास के बहुत ही करीबी माने जाते थे. जब रघुवर दास मुख्यमंत्री और लक्ष्मण गिलुवा प्रदेश अध्यक्ष हुआ करते थे तो दोनों में बहुत बनती थी. झारखंड की राजनीति में दोनों काफी कद्दावर माने जाते थे.
कई बार मंत्री पद मिलने की अटकले लगी थी
लक्ष्मण गिलुवा दो बार सांसद एवं दो बार विधायक चुने गए. लेकिन कभी भी उन्हें मंत्री पद नहीं मिला. राज्य में जब भी आदिवासी मुख्यमंत्री बनाने की बात होती तो लक्ष्मण गिलुवा का नाम भी सामने आया करता था. केंद्र में दूसरी बार सांसद चुने जाने के बाद भी उन्हें मंत्री बनाये जाने की चर्चाएं होती रही, लेकिन कभी भी उनके नसीब में मंत्री पद नहीं रहा.
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पार्टी के वफादार थे गिलुवा
स्वर्गीय लक्ष्मण गिलुवा पार्टी के बहुत ही वफादार सिपाही माने जाते थे. 1990 में निर्दलीय चुनाव लड़ने के बाद जब उन्हें चक्रधरपुर प्रखंड का अध्यक्ष बनाया गया तो वह भाजपा से जुड़ गए. उसके बाद कभी भी उन्होंने किसी दूसरे दल की तरफ मुड़ कर नहीं देखा. अंतिम सांस तक वह भाजपा से ही जुड़े रहे. भाजपा संगठन को मजबूत करने के लिए वह हमेशा प्रयासरत रहे. यही कारण है कि उन्हें झारखंड में भाजपा का वफादार सिपाही के तौर पर जाना जाता है.
2009 में बने थे मुख्य सचेतक लक्ष्मण गिलुवा को भारतीय जनता पार्टी ने 2009 में पार्टी का मुख्य सचेतक बनाया था. तब झारखंड में भाजपा की सरकार थी. 2009 से 2014 तक झारखंड की राजनीति में काफी उथल-पुथल रही थी. कई सरकारें बनी आई और गई. ऐसे समय में मुख्य सचेतक रहकर गिलुवा जी ने पार्टी को मजबूत बनाने का काम किया था
Posted By : Samir Ranjan.