नबी की जात आला थी, इसलिए उन्होंने जो फरमाया हमने मान लिया : मौलाना अब्दुल हफीज नूरी
जाकिरनगर के खानकाह शर्फ में पीर-ए-तरीकत शाह अहमद अली फिरदौसी की चौथी बरसी रविवार को अकीदत के साथ मनायी गयी.
जाकिरनगर खानकाह शर्फ में पीर ए तरीकत शाह अहमद अली की चौथी बरसी संपन्न
जमशेदपुर :
जाकिरनगर के खानकाह शर्फ में पीर ए तरीकत शाह अहमद अली फिरदौसी की चौथी बरसी रविवार को अकीदत के साथ मनायी गयी. सुबह नौ बजे चादरपोशी हुई, 10 बजे मिलादुन्नबी का आयोजन हुआ, जिसका आगाज कारी मुश्ताक आरिफ ने कुरान के पाठ से किया. ओडिशा से आये कवि जाकिर हुसैन ने मनकबत की रचना प्रस्तुत करते हुए कहा कि सब से निराले मेरे अहमद अली, जन्नत की बाग के हैं वह एक कली. शायर कारी अली अशरफी ने अपनी रचना पेश करते हुए कहा शाहकार दस्ते कुदरत हजरत अहमद अली, दिलबर जाने रिसालत हजरत अहमद अली. समारोह में मुख्य वक्ता के रूप में कटक से आये मौलाना अब्दुल हफीज नूरी ने कहा कि पहले जात की फिर किसी बात का फरमान है. हमारे नबी ने जो कुछ फरमाया, वह मान लिया जाता था, क्योंकि उनकी जात आला थी. उन्होंने कहा कि शाह अहमद अली वह पीर हैं जो बस्ती बसा दें, मुरझाए दिलों को खिला दें, जिंदगी को सजा दें. महफिल में फिरोज फिरदौसी कव्वाल ने नातिया कव्वाली प्रस्तुत किया. इस अवसर पर प्रो. जावेद अख्तर अंसारी, मास्टर नसीम अहमद, जुनैद खान फिरदौसी, डॉ. समी खान फिरदौसी, सरफराज अहमह, शेख अजीम हैदर, जियाउल कमर फिरदौसी समेत काफी संख्या में अकीदतमंद उपस्थित थे.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है